दिल में रत्नाकर
सागर तू क्यों चूमे मेरे क़दमों को ,
मैं करती हूँ तुझको प्यार ,
वैसे मैं जानूँ हूँ सागर ,
तू भी करता मुझको प्यार ॥
लहरें तेरी उछल - कूद कर ,
पास मेरे ही आती जातीं ,
बड़े प्यार से शोर मचाकर ,
तन - मन पर करतीं बौछार ॥
तू तो इतना शांत है सागर ,
लहरें बनीं चंचला कैसे ?
तेरे अंदर का सोया बचपन , मानो ,
पाकर छूने चलीं संसार ॥
खारा पानी है तू तो सागर ,
देख तुझे कोई जाने ना ,
तेरे अंदर घुला है जैसे ,
मीठा - मीठा प्यार अपार ॥
छूले कोई भी गर तुझको ,
संग में तेरे रहले तो ,
खो जाएगा वो तुझमें ,
कर जाएगा तुझसे प्यार ॥
मैं तो दीवानी हूँ तेरी ,
जब से देखा छुआ तुझे ,
तेरी लहरों ने ही जैसे ,
दिया तेरा संदेस मुझे ॥
पाकर तेरा प्यारा संदेसा ,
तन - मन जैसे भीगा है ,
उमड़ - उमड़ कर मेरे दिल में ,
उमड़ा आता प्यार अपार ॥
तेरा प्यार मिला जो सागर ,
धन्य हो गयी हूँ मैं तो ,
रत्नों की तो खान है तू ,
पर मेरे दिल में रत्नाकर ॥
सागर तू क्यों चूमे मेरे क़दमों को ,
मैं करती हूँ तुझको प्यार ,
वैसे मैं जानूँ हूँ सागर ,
तू भी करता मुझको प्यार ॥
लहरें तेरी उछल - कूद कर ,
पास मेरे ही आती जातीं ,
बड़े प्यार से शोर मचाकर ,
तन - मन पर करतीं बौछार ॥
तू तो इतना शांत है सागर ,
लहरें बनीं चंचला कैसे ?
तेरे अंदर का सोया बचपन , मानो ,
पाकर छूने चलीं संसार ॥
खारा पानी है तू तो सागर ,
देख तुझे कोई जाने ना ,
तेरे अंदर घुला है जैसे ,
मीठा - मीठा प्यार अपार ॥
छूले कोई भी गर तुझको ,
संग में तेरे रहले तो ,
खो जाएगा वो तुझमें ,
कर जाएगा तुझसे प्यार ॥
मैं तो दीवानी हूँ तेरी ,
जब से देखा छुआ तुझे ,
तेरी लहरों ने ही जैसे ,
दिया तेरा संदेस मुझे ॥
पाकर तेरा प्यारा संदेसा ,
तन - मन जैसे भीगा है ,
उमड़ - उमड़ कर मेरे दिल में ,
उमड़ा आता प्यार अपार ॥
तेरा प्यार मिला जो सागर ,
धन्य हो गयी हूँ मैं तो ,
रत्नों की तो खान है तू ,
पर मेरे दिल में रत्नाकर ॥