Sunday, February 28, 2021

MEGHA RE (GHATAEN ) BHAG -30

 

   मेघा   रे  (घटाएँ )  भाग -- 30 

 

इस ठंडी हवा के साये तले ,

तेरी याद के दीपक आके जले ,

जब छाईं घटाएँ अंबर में ,

तुम क्यूँ ना मुझ से आके मिले ? 

 

मेरे दिल ने तुमको याद किया ,

अब तो आ जाओ मेरे पिया ,

जब बरखा बरसी सावन में , 

तुम देश में रहते भी ना मिले | 


जब बिछड़े साथी सावन में ,

क्यूँ बरखा बरसे आँगन में ? 

तू आया जो मेरे जीवन में ,

बगिया में बहुत से फूल खिले | 



Saturday, February 27, 2021

AAYA HAI ( GEET )

       आया है 


 

तेरी यादों का हर जख्म उभर आया है ,

प्यार का आज ही तो दर्द उभर आया है | 


जिंदगी जलती चिता पे बैठी है ,

हर तमन्ना बुझी -बुझी सी है ,

साँस भी तो घुटी -घुटी सी है ,

कोई सैलाब सा दिल में भी उमड़ आया है | 


प्यार के जख्म दिए हैं तूने ,

मेरे हर ख्वाब दफन किए हैं तूने ,

मेरी खुशियों को छीनकर मुझ से ,

तूने क्यूँ जोर से खुशियों का गीत गाया है ? 


Thursday, February 25, 2021

SHIKAVA NAHIN ( GEET )

 

    शिकवा नहीं 


ना है शिकवा कोई तुझसे ,

तेरी बेवफाई का ,

हम ही ना थे तेरे प्यार के काबिल | 


क्या करें तुझसे गिला ,

तेरी बेवफाई का ,

हम ही ना होंगे तेरे प्यार के काबिल | 


प्यार मिलता है कैसे लोगों को ,

हमें तो दर्द भी ना हुआ तेरा हासिल | 


जिनको तू प्यार करेगा मेरे सजना ,

वो ही तो होंगे तेरे प्यार के काबिल | 




Tuesday, February 23, 2021

CHANDRAMA ( LAADLI ) BHAG - 3

 

 चंद्रमा  ( लाडली )  भाग - 3 

 

सोने चली है मेरी लाडली ,

हवा तुम धीरे बहो ,

सोने चली -------- | 

 

चंदा आया है गाने को लोरी ,

चाँदनी भी खींचे है ,

पलने की डोरी ,

सोने चली --------- | 

 

पंछी सारे सो गए हैं ,

कुछ नहीं है शोर ,

रात ये जाएगी ,

आ जाएगी भोर ,

सोने चली --------| 

 

Tuesday, February 16, 2021

RADIO ( KAHANI RADIO KI )

          

                   रेडियो 

शैशव से ही सुना रेडियो,कुछ महीने की उम्र हमारी,

तभी से हमने सुना रेडियो ,मीठे गाने ,मीठी तान ,

उन्हीं से हमने सुना रेडियो | 


बचपन बीता तो गाने ,और भी मीठे लगे ,

साथ में रेडियो लगा ,अपना दोस्त,अपना सखा | 


पहचान बढ़ी कार्यक्रमों से ,हवामहल हमें भाया ,

फौजी भाइयों के लिए,पेश किया जयमाला भाया |

 

फिर आए अमीन सयानी जी,बिनाका गीत माला लेकर ,

भूल गए हम अन्य कार्यक्रम ,गीत माला में खो गए | 

 

जब 1969 में नील आर्मस्ट्रॉन्ग ,ने चाँद पर रखा कदम ,

अमीन सयानी जी ने ,गीत माला के जरिए ,

हमें भी उतारा चाँद पर ,दिखाए नज़ारे चाँद के ,

दिल बाग - बाग हो गया ,गीतों में खो गया | 

 

आज भी वही रेडियो ,अन्नू कपूर जी,

 का कार्यक्रम सुनवाता है ,हमको लुभाता है | 

 

कोरोना की मारी इस धरती पर ,

आज रंगोली सजाई है दूरदर्शन पर ,

रेडियो ने ही हमारा पसंदीदा कार्यक्रम ,

जीवित रखा है विविध भारती ने |


Monday, February 15, 2021

VINAVADINI ( AADHYATMIK GEET )

 

          वीणावादिनी 

 

वर दे ,वर दे ,वर दे ,

वीणावादिनी माँ ,वर दे | 

 

झूठ हो मन में मेरे तो ,

उसका तू मन से नाश कर दे ,

सत्य का दीपक मेरे दिल में ,

जला कर प्रकाश कर दे ,

वर दे ----- | 

 

अज्ञान के तिमिर को ख़त्म कर के ,

ज्ञान की ज्योति जला दे ,

राह गर भूली हूँ माँ तो ,

उचित राह प्रशस्त कर दें ,

वर दे ----- | 

 

अहंकार ना हो मुझे ,

माँ नम्र मेरा स्वाभाव कर दे ,

सबमें खुशियाँ बाँट दूँ माँ ,

ऐसा एक भंडार भर दे ,

वर दे ,वर दे ,वर दे | 

 

 

Sunday, February 14, 2021

PRATILIPI ( GEET )

 प्रतिलिपि 

 

बार - बार पढ़ो ,

हज़ार बार पढ़ो ,

यहाँ पढ़ने का मौसम है,

प्रतिलिपि ,

प्रतिलिपि ,

प्रतिलिपि | 

 

बहुत से हैं कथाकार यहाँ ,

कविताओं की बहार यहाँ ,

लेखों की है बयार यहाँ ,

पढ़ लो यहाँ जाने जां ,

बार - बार -----  | 


बल्ले - बल्ले ,

छोड़ के इसको कहाँ चले ,

पकड़ो इसको मेहरबां ,

संगीत मय तो राज है ,

पढ़ लो इसे तो बार - बार ,

बार - बार ----  | 



Saturday, February 13, 2021

BARISH BARF KI ( GEET )

      

      बारिश बर्फ की 

 

बर्फ की बारिश ,हमने देखी नहीं बंधु , 

बर्फ के देवता सुनो ,

कभी तो हमरे अँगना में भी ,

अपनी बर्फ गिराओ जी ,

अपना जलवा दिखाओ जी | 


सुना है रूई जैसी हल्की ,

बर्फ जब धरा पे गिरती है ,

मौसम होता है सुहावना ,

दिल की धड़कन बढ़ती है ,

हमारा भी दिल धड़काओ जी | 


हाथों में जब आती बर्फ ,

ठंडक पहुँचे धड़कन तक ,

धरा पे जमती है तो बंधु ,

पहुँच जाती है फिसलन तक ,

हमको भी तो जरा फिसलाओ जी | 


हमने  तो ओले देखे हैं ,

मोटे - मोटे और छोटे - छोटे ,

गिरते हैं जब ऊपर से ,

दे जाते हैं चोटें -चोटें ,

ऐसी चोटों से हमें बचाओ जी | 


ओले हाथ में भरकर हम ,

उन्हें खाकर खुश हो जाते थे ,

खेल होता ओलों से तब ,

पैर भी सुन्न हो जाते थे ,

उस सुन्नता से हमें बचाओ जी | 



Friday, February 12, 2021

KADHI (HASYKAVY )

                  कढ़ी 


कढ़ी  रे कढ़ी ,तू कहाँ पे चढ़ी ?

कड़ाही से तू ऐसे ,कैसे उबल पड़ी ?


स्वाद से तो तू है चटपटी सी ,

पकौड़ियों में तू है लटपटी सी ,

मुँह में जो जाए ,घुलती सी जाए ,

चावलों के साथ तो ,तू खिल पड़ी |


रंग तेरा खिला ऐसा ,बसंत की बयार जैसा ,

खिलता सा रंग है ,स्वाद की उमंग है ,

तेरे जैसी तो ,कोई ना बूटी ,ना जड़ी |



Thursday, February 11, 2021

LAKIRE N PARISHRAM KI ( GEET )

             

            लकीरें परिश्रम की 

 

हाथों की लकीरें क्या कहतीं ? 

माथे पे लिखा क्या भाग्य मेरा ? 

क्या लिखा विधाता ने बंधु ? 

कहते किसको किस्मत बंधु ? 

 

सब प्रश्न खड़े हैं राहों में ,

सब प्रश्न अड़े हैं चाहों में ,

क्या हल है इन सब प्रश्नों का ? 

क्या उत्तर है इन सब प्रश्नों का ? 

 

हमने तो जीवन भर माना ,

" कर्म ही पूजा है " ,

" परिश्रम करो ,सफलता कदम चूमेगी "| 

 

इसी सोच पर जन्म बिताया ,

इसी कर्म पर जन्म बिताया ,

यही तो अपना जीवन है ,

यही तो अथक परिश्रम है | 

 

हाथों की मेहनत अपनी ,

हाथों का परिश्रम अपना ,

क्यों देखें दूजा सपना ? 

 

 

DUNIYAA ( JIVAN )

              दुनिया


जीवन है एक नैया ,सागर में बहती जाए ,

उस नैया में बैठ के ,माँझी पार लगाए ,

माँझी पार लगाए ,जीवन होगा पूरा ,

ऊपर वाला ही करेगा ,हर जीवन को पूरा | 

 

रंग - बिरंगा खेल है ,दुनिया है मैदान ,

जो जीतेगा खेल में ,बढ़ेगी उसकी शान ,

बढ़ेगी उसकी शान ,मिलेगा उसे इनाम ,

उसी के साथ ही ,होगा ऊँचा नाम | 

 

प्रेम नाम की लूट है ,लूट सके तो लूट ,

प्रेम तभी तो मिलेगा ,जब सही पकड़ोगे रुट ,

सही रुट होगा तो ,बंदा बनेगा सही इंसान ,

दुनिया भर में तो बंधु ,गिनती के हैं वो इंसान | 

 

 

Sunday, February 7, 2021

INDRADHANUSH (GEET )

         

            इंद्रधनुष 


देवों और राक्षसों के बीच हुई लड़ाई ,

देवों की पारी थी हल्की ,

उनकी चली सभा फिर भाई ,

उसमें हल ये निकला भाई ,

उनके राजा (इंद्रदेव )कुछ करें उपाय ,

सब देवों का करें वही बचाव | 


इन्द्र ने सोच - सोच कर ये ठाना ,

अपना बड़ा  सा धनुष  उठाया ,

पहले तो  पानी बरसाया ,

वर्षा बाद धरा लोक वालों  ने  देखा ,

इतना सुंदर ,इतना बड़ा ,सतरंगा ,

एक धनुष आसमान में छाया ,

दुनिया को उसने हर्षाया | 

 

ये था इंद्रधनुष भाई ,

रंगों का अजब मेल भाई ,

रंगों की पहचान बताता ,

सबके दिलों को वो है भाता ,

आओ हम भी उसको देखें ,

वर्षा की बूँदों में ढूँढें ,

आसमान में देखें उसको ,

प्रकृति का अजूबा वो तो भाई | 

 

 

Friday, February 5, 2021

YE DOSTII ( GEET )

  ये  दोस्ती 


बिल्ली बोली - म्याऊँ ,म्याऊँ ,

मैं आऊँ ,मैं आऊँ ,

बच्चों सारा दूध तो,

मैं पी जाऊँ |


चूहा बोला - चीं -चीं -चीं ,

रहता मैं तुम्हारे साथ ,

खाना मुझे खिलाओ तुम ,

बिल्ली से बचाओ तुम |


कुत्ता बोला -भौं -भौं ,भौं -भौं ,

मुझसे दूर तुम जाते क्यों ?

दोस्त मुझको बनाओ ,

रोटी ,दूध खिलाओ |


चिड़िया बोली -चूँ -चूँ ,चूँ -चूँ ,

आओ मेरे पास तुम ,

दाना मुझे चुगाओ तुम ,

खेल मुझे खिलाओ तुम |


कोयल बोली -कू -कू ,कू -कू ,

 आम के पेड़ पे बैठी हूँ ,

मैं तो आम खाती हूँ ,

तुम भी आम खाओ खूब | 


टाँय - टाँय तोता बोला ,

मैं हूँ मिट्ठू राम जी ,

खाता मैं हरी मिर्च जी ,

दोस्त बनाओ मुझको जी |


कौवा  बोला -काँव -काँव ,

मेरे पास आओ तुम ,

मैं गंदगी साफ करता ,

गंदगी ना फैलाओ तुम |


मैं हूँ रंग -बिरंगी तितली ,

फर -फर ,फर -फर उड़ती हूँ ,

फूलों का रस पीती हूँ ,

आओ बच्चों आओ तुम ,

मेरे साथ दौड़ लगाओ तुम |

 

Thursday, February 4, 2021

CHANDA -- 1 ( RAAT ABHI HAI BAAKI )

     चन्द्रमा   ( भाग -- 1 )

 

 उतर कर चंदा ,आ मेरे अँगना ,

खेलेंगे मिलकर खेल नए ,

रात बाकि है अभी काफी सी ,

रात अभी है बाकि लंबी सी | 

 

अँगना बड़ा नहीं है ,

बच्चे भी तो छोटे हैं ,

खेलेंगे नए खेल सभी मिलकर ,

रात बाकि है अभी काफी सी | 

 

मैं पकाऊँ पूरी ,आलू ,

सब खाएँगे ये मिलकर ,

बूँदी का रायता भी पीकर ,

क्योंकि रात अभी है बाकि लंबी सी | 

 

खीर अगर खानी हो ,

बता दो सलाह करके ,

उसमें समय तो लगेगा ,

कोई बात नहीं समय की ,

रात बाकि है अभी काफी सी | 

 

खाया सभी ने मिलकर ,

स्वाद भी आया और मज़ा भी आया ,

सब खुश हो गए चंदा ,

तेरी चाँदनी भी आई और मुस्काई ,

क्योंकि रात अभी है बाकि लंबी सी | 

 

Tuesday, February 2, 2021

D00BTA KAIMARA ( JIVAN ) )

     डूबता  कैमरा 

 

हाय - हाय ,मेरा कैमरा ,पानी में डूबा जाए ,

 पकड़ो -पकड़ो कोई तो ,पानी में डूबा जाए ,

पानी में डूबकर भी वो ,अंदर के फोटो लाए | 


मछलियाँ तैर रहीं अंदर,रंग-बिरंगी,भाँति -भाँति की,

उनके अलग अलग खेलों की ,फोटो खींच के लाए | 

 

छोटे-बड़े पानी के जंतु ,खेल दिखाएं अजब -गजब ,

उनकी नयी कारीगरी की ,हमको छवि दिखलाए | 


पहले नहीं हमने उन ,नए जंतुओं को देखा ,

मेरा कैमरा डूबकर ,उनसे परिचय करवाए | 


रंग -बिरंगे पौधे भी ,उगे पानी के अंदर ,

उन पौधों की जाति से ,हमारा परिचय करवाए | 

 

धन्यवाद उस कैमरे का ,जो पानी में डूबकर भी ,

अनजानी दुनिया के ,दृश्य हमें दिखलाए |