इंद्रधनुष
देवों और राक्षसों के बीच हुई लड़ाई ,
देवों की पारी थी हल्की ,
उनकी चली सभा फिर भाई ,
उसमें हल ये निकला भाई ,
उनके राजा (इंद्रदेव )कुछ करें उपाय ,
सब देवों का करें वही बचाव |
इन्द्र ने सोच - सोच कर ये ठाना ,
अपना बड़ा सा धनुष उठाया ,
पहले तो पानी बरसाया ,
वर्षा बाद धरा लोक वालों ने देखा ,
इतना सुंदर ,इतना बड़ा ,सतरंगा ,
एक धनुष आसमान में छाया ,
दुनिया को उसने हर्षाया |
ये था इंद्रधनुष भाई ,
रंगों का अजब मेल भाई ,
रंगों की पहचान बताता ,
सबके दिलों को वो है भाता ,
आओ हम भी उसको देखें ,
वर्षा की बूँदों में ढूँढें ,
आसमान में देखें उसको ,
प्रकृति का अजूबा वो तो भाई |
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