Saturday, October 31, 2020

VO LADAKI ( GEET )

     वो लड़की 


कहाँ है वो लड़की ,जो घूम रही थी ,

आज़ाद होकर के ,शिखर को चूम रही थी |


तेरी गलियों में आई क्या वो ?

बहारों में खिली क्या वो ?

क्या वो फूलों को चूम रही थी ?

क्या वो तितली सी घूम रही थी ?


रिमझिम फुहारों में वो बसी थी ,

सावन के झूलों में वो फँसी थी ,

सावन के झूलों में तो वो झूल रही थी |


पतझड़ ने उसको रोका ,उसको था पुकारा ,

आज़ादी ने हाथ खींचा ,आगे को बढ़ाया ,

सावन की रिमझिम हरियाली ,

तो उसको खींच रही थी |


अपनी हिम्मत से वो बढ़ी थी ,

अपने साहस से वो चढ़ी थी ,

हारी ना वो कभी भी ,

अपनी मुस्कानों में वो खड़ी थी |




Friday, October 30, 2020

CHANDA ----- 1 ( KITANE DINON KE BAAD )

        चंदा ---- 1  

 (  जाने कितने दिनों के बाद  ) 

 

जाने कितने दिनों के बाद ,

खिड़की में मेरी चाँद निकला , 

रोज बदरा के पीछे छिपा रहता था ,

थोड़ा -थोड़ा सा झाँकता रहता था ,

आज तो बड़े अरसे के बाद ,

खिड़की में मेरी चाँद निकला | 


उसका चमकीला रंग भी है,आज तो बढ़ा हुआ,

चाँदनी की छटा भी है ,आज तो बढ़ी हुई ,

देखो -देखो तो मुस्काता हुआ ,

सखि री आज चाँद निकला | 


पहले तो रोज आता था रात में ,

कभी -कभी तो सखि री आधी रात में ,

कभी होता बड़ा ,कभी होता छोटा ,

मगर आज तो ये जादू सा हो गया ,

मेरा पूरा चाँद तो सरे शाम निकला | 


हम दोनों की बातें चलतीं रहीं ,

रात गहराती रही और गुजरती रही ,

हमारी बातें वो लगातार सुनती रही ,

साथ ही साथ वो मुस्कुराती रही ,

विदा ली चाँद ने सुबह को ,जब रवि निकला | 



Thursday, October 29, 2020

NANHEN SE KHWAB ( GEET )

 

                      नन्हें से ख्वाब 


देश हुआ आज़ाद हमारा,सच में क्या आज़ाद हुआ?

पहले अंग्रेजों के गुलाम थे ,अब हम अंग्रेजी के हुए | 


पहले परंपराएँ थीं अपनी ,अब रूढ़िवादिता हुई ,

पहले पंडित मौलवी थे,अब बाबाओं की बानी हुई |


पहले घर में बड़े लोग थे,समझाते हर बात को ,

अब घर में कम्प्यूटर हैं ,हल करते हर बात को |


सबसे आज़ादी चाहें हम ,नहीं बंदिशें चाहते ,

नन्हें -नन्हें ख्वाब हमारे ,पूरा करना चाहते |


दुनिया को खुशहाल हमेशा ,निरोगी,खुशियों भरी,

पेड़ों की हर डाली हो ,पत्तों से सदा हरी -भरी |





Wednesday, October 28, 2020

AANEN VALIN HAIN BAHAREN ( SAMAJIK )

   आने वालीं हैं बहारें 


मौसम है आज पतझड़ का ,

चिंता मत करो यारों ,

नए फूल खिलेंगे ,

आएंगी फिर से बहारें यारों |


खुद को सुरक्षित रखो तुम,

घर में प्यार बनाओ तुम,

चिंता कुछ नहीं करो तुम,

जिंदगी भरपूर जियो तुम|


मत सोचो तुमने क्या खोया है ?

सोचो कि तुमने क्या पाया है ?

क्यों प्रकृति ने तुम्हें रुलाया है ?

क्यों वक्त ने तुम्हें सताया है ?


आज वक्त का सम्मान करो तुम यारों ,

आज तो प्रकृति से जुड़ जाओ तुम यारों ,

प्यार से परिवार खुश कर जाओ तुम यारों ,

तभी तो पाओगे सभी चिंताओं से मुक्ति तुम यारों |


वक्त बीत रहा है और बीतेगा ,

नया द्वार दुनिया में खुलेगा ,

नया रास्ता दुनिया में मिलेगा ,

उसी पर तो मानव फिर चलेगा |


प्रकृति देगी बहारें फिर से तुम्हें ,

वक्त देगा ठहाके फिर से तुम्हें ,

होठों पे मुस्कराहट तुम्हारे आएगी ,

भरेगी नै सी चहचहाहट फिर से तुम्हें |


जिंदगी फिर से मुस्कुराएगी ,

मुस्कुरा के नए गीत गुनगुनाएगी ,

रुको ना उस पल का इंतज़ार करो ,

एक नै सुबह जल्दी ही आएगी ,

उसी का इंतज़ार करो ,

आने पे उसका सत्कार करो ,

द्वार खोल दो उसके लिए ,

उठो और आरती सजा लो उसके लिए |






Tuesday, October 27, 2020

CHAND JAANE KAHAN ( GEET )

            चंदा ---- 1      (चाँद जाने कहाँ  ) 

 

गगन में जब सूरज चमका,चाँद जाने कहाँ खो गया? 

बदरा छाए जब गगन में ,चाँद  जाने कहाँ खो गया ? 

मैं जो निद्रा में डूबी ,चाँद जाने कहाँ खो गया ? 

मैं जो सपनों में खोयी ,चाँद जाने कहाँ खो गया ? 

 

दिन निकलता रहा ,शाम ढलती रही ,

चाँद का हमको, कुछ भी  पता ना चला ,

ढूँढा किए हम उसे ,आसमां में सारा दिन ,

मगर अपना चाँद तो ,जाने कहाँ खो गया ? 

 

रात गहराती गई ,तारे टिम - टिम किए ,

रोज़ सपनों की ,दुनिया बदलती रही ,

सपनों में तो ,चाँद आता था रोज ,

जगते में चाँद की ,रंगत बदलती रही  | 

 

गायब रहता था चाँद ,दिखाई ना देता ,

गगना के माथे का टीका ,घूँघट में छिपा रहता ,

बदरा ऊपर गगन में ,फैले रहते थे रोज ,

पवना के संग खेलते - खेलते ,

चाँद को अपने घर में छिपाते थे रोज | 

 

क्या करें ,कहाँ ढूँढें ? हम अपने चाँद को ,

तुमने भी तो देखा होगा दोस्तों ,हमारे चाँद को ,

कोई हमको बता दे ,चाँद जाने कहाँ खो गया ? 

आओ संग हमारे दोस्तों ,ढुंढवाओ चाँद को दोस्तों | 

 

 

GALIYAN LAHARON KI ( GEET )

   गलियाँ लहरों की 


चंचल लहरें उछल - उछल कर ,

शोर मचाकर ,पहुँचीं मेरे पास ,

भीग गया मेरा तो तन -मन ,

पहुँच के उनके पास |


दाएँ -बाएँ खड़े थे जो ,सूखे -सूखे थे वो ,

नहीं था उनके कपड़ों पे,पानी का एक छींटा,

पर मैं भीगी थी इतना ,मन -तन सब ही भीगा |


लहरों में एक गीत था ,गीत में संगीत था ,

तन मन को मेरे उन ,लहरों ने थिरकाया ,

गलियाँ थीं वो कैसी ,जहाँ पे मुझको ,

लहरों ने नाच नचाया |


गलियाँ भीगी-भीगी सी,भरीं थीं फिसलन से,

नाच उठा था मन मेरा,संगीत की हर धड़कन पे,

यारों वो लहरों का साथ ,वो बजता संगीत ,

उन गलियों में लगे गूँजने ,प्यार के लाखों गीत |

Monday, October 26, 2020

EISI EK LADAKI ( JIVAN )

            ऐसी एक लड़की 


मुस्कान सी एक लड़की ,चेहरे वो सबके खिलाए ,

चमक चाँदनी सी ,मुस्कान बाँट जाए ,

ठहाकों की दुनिया में ,सबको वो ले जाए |


जिंदगी सी एक लड़की ,जिंदादिली सिखाए ,

साँसों में सबकी बस के ,जिंदगी दे जाए |


फूलों सी एक लड़की ,खुश्बु बिखेर जाए ,

सभी की जिंदगी को ,खुश्बुओं से महका जाए |


लहरों सी एक लड़की ,कल -कल की धुन सुनाए ,

सागर के जैसी शांत ना वो ,चंचल लहर सी गाए |


धूप सी एक लड़की ,छन से खिड़की से आए ,

पूरे घर को हरदम ,रोशन वो कर जाए |


यह सभी गुण ,उसी लड़की में समाए ,

वो लड़की मुस्काती हुई ,जीवन को खुश कर जाए |




CHANDA ---- 1 ( NAACH GAGAN ME )

 चंदा ----- 1   (  नाच गगन में    )

 

झीना सा पर्दा चाँद के ,मुख पर बदरा ने डाला ,

दुनिया ने कहा चाँद तो ,बादलों में छिप गया ,

पर्दे से भला कहाँ ,छिप सकती थी चाँदनी ? 

पर्दे को भेद कर वह ,दुनिया में फ़ैल गई | 

 

पवन  पर्दे को उड़ाया ,तो चाँद उजलाया ,

दुनिया मुस्काई कि ,चाँद निकल आया ,

चाँदनी की चमक ने ,दुनिया को चमकाया ,

दुनिया की मुस्कान देख ,चाँद भी मुस्काया | 

 

झीने -झीने से बदरा ने ,पवन को साथ मिलाया ,

पवन ने बदरा से मिल ,गगन में खेल दिखाया ,

चाँदनी ने भी खेल खेला ,दुनिया को उजलाया , 

सभी ने मिलकर इस सारी ,दुनिया को मुस्काया | 


चाँद ,चाँदनी ,बदरा ,पवन ,सब ही मिलकर खेले ,

तभी तारे गगन में छाए ,लेके मुस्कानों के मेले ,

सारे तारों ने मिलकर ,इन चारों को घेरा ,

टिम -टिम ,टिम -टिम करते ,तारों ने डाला डेरा | 

 

एक साथ फिर खेले सब ही,गगन साथ मुस्काया ,

उसने अपने आँगन में , सभी को साथ नचाया ,

साथ में गगन ने ,मधुर गीत गाया -------- ,

"टिम -टिम तारे आओ ,नाचो और गाओ ,

अपने साथ में तुम ,सारी दुनिया को नचाओ | "

Sunday, October 25, 2020

EK AHSAS MAHAL ME ( JIVAN )

    एक अहसास महल में  


आज दोस्तों तुम्हें सुनाएं,अपने सपनों की बातें,

आँखें खुलीं थीं जागे थे हम ,

महल में घूमने आए थे हम |


राजस्थान के महलों के बारे में बहुत पढ़ा था,

इसीलिए राजस्थान घूमने का नशा चढ़ा था ,

एक महल में जैसे ही अंदर प्रवेश पाया ,

तभी एक अहसास नया सा मैंने यूँ पाया ,

एक पालकी देखी मैंने ,उसमें मुझे बिठाया ,

उसे कहारों ने उठा कर महल में पहुँचाया ,

बजी दुदुंभी और नौबत तभी महल के अंदर ,

पर्दे से देखा मैंने चहल-पहल थी महल के अंदर|


नज़र गई दर्पण पर तो देखा,मैं हूँ सजी-धजी सी,

रानी जैसा रूप था मेरा ,वैसा ही श्रृंगार ,

मुस्कानों से सजी पालकी ,दिल में उठी हिलोर ,

मगर नहीं थी कोमल,सुंदर ही,साथ में थी तलवार |


तभी किसी ने मुझे पुकारा ,सपना टूटा मेरा ,

"चलो! भई अंदर,क्यों खड़ी -खड़ी मुस्कातीं "?

पति की थी आवाज ,लौटी आज की दुनिया में ,

मगर वो बरसों पुराना अहसास ,

आज भी है मेरे दिल की थाती |


क्या जन्मों -जन्मों का चक्कर है ?

क्या पहला कोई जन्म था ?

क्या ये फ़्लैश बैक था ?

मगर दोस्तों जो भी मैंने देखा ,

जो अहसास मैंने पाया ,

मुझे तो बड़ा मज़ा आया ,

आज भी वो अहसास बाकि है |





RAAVAN NE POOCHHAA ( SAMAJIK )

 

                   रावण ने पूछा


आज फिर क्यों आ गए ,मुझको जलाने तुम ?

आज फिर क्यों लेकर मशाल ,आ गए हो तुम ?

क्या किया  है मैंने बोलो मैं?

बहिन के अपमान का बदला लिया मैंने ,

सीता का हरण जरूर ही किया मैंने |


मगर क्या मैं उसको अपने घर लाया ?

क्या छुआ मैंने उसे ,क्या उसको सताया ?

मंदोदरी के साथ ही तो ,

मैं मिला जानकी को अशोक वाटिका में |


व्यवहार भी शालीन था मेरा ,

शब्द भी शालीन थे ,

मैं तो बहिन के अपमान के ,

बदले में तल्लीन था |


युद्ध से पहले यज्ञ में ,राम ने बुलवा लिया ,

यज्ञ करवा कर मैंने ,कर्त्तव्य अपना पूरा किया ,

विजयी भव का आशीष भी ,मैंने राम को दिया |


मेरे अंतिम समय में राम ने ,

लक्ष्मण को भेजा पास मेरे ,

मेरे राजनीतिक ज्ञान को लेने ,

वो भी सब दिया मैंने ,

जो भी था पास मेरे | 


फिर भी तुम मेरा पुतला ,

हर साल जलाते हो क्यों ?

क्यों नहीं मिटाते उन लोगों को ?

जो हर दिन अपमान करते ,एक नई सीता का ,

उन्हें मिटाओ ,मेरा अपमान करना बंद करो ,

मुझे बदनाम करना बंद करो ,

मेरा पुतला जलाना बंद करो |


मेरे नाम को उजियाओ ,

रावण ने नारी का अपमान ,

कभी नहीं किया और ना कभी सोचा |






SAPANE SUHANE ( SMALL POEM )

    सपने  सुहाने 


सपने सुहाने लड़कपन के ,

आज हैं बच्चों के बचपन में ,

कुछ हैं पूरे ,कुछ हैं अधूरे ,

सपने  जो देखे नैनन ने |


रात जो आए इंतज़ार जगाए ,

नयन हमारे नींद को बुलाएं ,

नींद हमारी नया द्वार खोले ,

और सपनों को अंदर बुलाए |


सपनों की दुनिया है अनूठी ,

कुछ है सच्ची कुछ जादू की ,

जादू कैसा मैं न जानूं ,

ना समझूँ भाषा सपनों की |


दूर अजनबी जगह दिखाएं ,

नई जगह की सैर कराएँ ,

ऐसे सपने हमको आएँ ,

निद्रा में ही हमें सुलाएँ |


सपनों में ही मन जो चाहे ,

जिन राहों पे चलना चाहे ,

जिन कामों को करना चाहे ,

वही तो सपने हमसे करवाएं |





Friday, October 23, 2020

SADAKEN MUMBAI KI ( GEET )

   सड़कें मुंबई की 


ये हैं सड़कें मुंबई की ,

कोई सड़क चिकनी है ,

फिसल जाएं जो भीगी हो ,

कोई सड़क मुड़ती है ऐसे ,

मानो पेड़ों की हों डालियाँ ,देखो तो ज़रा |


कुछ सड़कें गड्ढों वाली ,

गड्ढों में हैं सड़कें या ,

सडकों में हैं गड्ढे ,बताओ तो ज़रा |


गड्ढों वाली सडकों पर ,

कारें बोलें धड़क -धड़क ,

ट्रेन की आवाज़ ली है कारों ने ,सुनो तो ज़रा |


धीरे चलना यारों ,तेज ना चलाना ,

कारों का पंक्चर हो ,फिर ना पछताना ,

कितना लगा समय फिर ,बताओ तो ज़रा |



Thursday, October 22, 2020

JAY MATA KI ( AADHYATMIK )

    जय माता की 


जय माँ ,जय माँ ,जय शेरावालिए ,

मेरे घर आओ ,जय शेरावालिए |


रोली का माथे तिलक लगाऊँ ,

फूलों का हार मैं तुमको पहनाऊँ ,

जय माँ ,जय माँ ------ |


पूजा की विधि मैं ना जानूँ ,

अनगढ़ की पूजा माँ स्वीकारो ,

जय माँ ,जय माँ ------ |


घी  के दीए की जोत जलाऊँ ,

आरती तेरी रज -रज गाऊँ ,

जय माँ ,जय माँ ------ |


हलवा ,चने का भोग लगाऊँ ,

पूरियाँ भी मैं संग खिलाऊँ ,

जय माँ ,जय माँ ------ |

Wednesday, October 21, 2020

BANDHAN PYAR KE ( JIVAN )

               बंधन प्यार के 


जिंदगी आगे बढ़ी ,रिश्ते नए जुड़ते गए ,

आगे बढ़ते कदमों से ,बंधन नए बंधते गए |


कुछ दोस्त नए बन गए,मगर पुराने तो वहीं थे,

कुछ रिश्ते नए बन गए,मगर पुराने तो वहीं थे,

कुछ बंधन नए बंध गए,मगर पुराने तो वहीं थे | 


बच्चे बड़े हुए ,शादीशुदा हुए ,

खूब ही रिश्ते जुड़े ,नए -नए बंधन बंधे ,

नया जुड़ता है तो ,पुराने वहीं रहते हैं ,

टूटते नहीं हैं ,श्रृंखला को और बड़ी करते हैं |


प्यार के हैं सारे रिश्ते ,प्रेम के हैं सारे बंधन ,

सबसे प्यारा ,सबसे सुंदर ,

उस परमात्मा से है बंधन ,

वो है अलौकिक ,बाकि हैं लौकिक ,

सभी को निभाना ,हमारी जिम्मेदारी ,

सभी में हो हमारी भागीदारी |

Tuesday, October 20, 2020

MAN BAVARA ( GEET )

      मन बावरा 


मन बावरा ढूँढे यहाँ ,

खुशियों के फूल खिलते यहाँ ,

आशाओं का रंग बिखरे जहाँ , मन बावरा --|


प्यार ही प्यार बसा हो जहाँ ,

मीठे से बोल चहकें जहाँ ,

उम्मीदों के आशियाने बने हों जहाँ ,मन बावरा--|


मेरे दिल के अंदर झाँको जरा तुम ,

प्यार से लबालब है दिल का जहां ,

तुम भी पाओगे प्यार ही जहाँ ,मन बावरा ---|


जीवन में मुस्कानें खिलतीं जहाँ ,

ठहाकों में वो तो बदलतीं जहाँ ,

ढेरों कलियाँ चटखतीं जहाँ ,मन बावरा ---|


दीपों से राहें उजियाती जहाँ ,

कदमों की आहटें भी रिझाती जहाँ ,

इंतज़ार भी मीठा लगता जहाँ ,मन बावरा --|


सपने सभी के सच हों जहाँ ,

दोस्तों का लगे झुरमुट जहाँ ,

ठंडी बयार करे कुछ बयां ,मन बावरा ---|




 

Monday, October 19, 2020

YE YAADEN

        ये यादें 


" भूली - बिसरी यादें मेरे ,

हँसते गाते बचपन की ",

आतीं हैं ये यादें मेरे ,

नींद चुराने नैनन की |


गुदगुदाती हैं ये यादें ,मेरे दिल को ,

छेड़ जातीं हैं ये यादें ,मेरे दिल को |


मुस्कराहट की वजह होती हैं ,ये यादें ,

गुनगुनाने की वजह होती हैं ,ये यादें ,

कदमों में गति भर देतीं हैं ,ये यादें ,

उड़ने को मजबूर कर देती हैं ,ये यादें ,

रुनझुन पायल सी बज उठतीं हैं ,ये यादें ,

जब बचपन के पिटारे से ,

निकल आतीं हैं ये यादें |



 

Sunday, October 18, 2020

PARCHHAIN (GEET )

    परछाईं 


जिस माँ ने जन्म दिया ,जिस माँ ने हमें पाला ,

उनको है नमन हमेशा ,जिस ने दिया उजाला |


चलना सिखाया ,बोलना सिखाया ,

पढ़ना और लिखना सिखाया ,

जीवन में आगे बढ़ना सिखाया ,

सबसे प्यार करना सिखाया ,उनको है ----|


मिला है प्यार हमेशा उनका ,

जीवन की हर राहों पर ,

ऐसी माँ को प्यार हमेशा ,

करेंगे हम जीवन भर ,उनको है ----|


अब हैं हम दूर उनसे ,

फिर भी दिल तो पास हैं ,

उनका दिया आशीर्वाद तो ,

आज भी अपने साथ है ,उनको है ----|


जो कुछ है दिया उन्होंने ,

हमने बच्चों में बाँटा ,

और कुछ नहीं हैं हम ,

हम तो माँ की परछाईं हैं ,उनको है ----|





NINDIYA MAIN ( GEET )

     निंदिया  में

  निंदिया में तुम डूब के बच्चों ,
   मीठे सपनों में खो जाओ ,  निंदिया में ---

   मत देखो चाँद की धरती को ,
   सूखी नदियों और मिट्टी को ,
   चन्दा पर बसे परी - लोक को ,
   ढूँढो और उसमें खो जाओ ,  निंदिया में --

   नन्हीं - नन्हीं परियाँ उसमें ,
   नए - नए खेल खिलाएँगी ,
   हाथ पकड़ उन परियों का ,
   गगन में  भी तुम उड़ पाओ , निंदिया में ---

   हर रंग के फूल खिले होंगे ,
   खुशबू से भरे चमन होंगे ,
   तुम भी उन फूलों जैसा ,
   गुलशन अपना महकाओ , निंदिया में ---

   चन्दा की चमक निराली है ,
   धवल चाँदनी  आली  है ,
  साथ में तुम नन्हें बच्चे ,
  तारों के झुरमुट छू आओ , निंदिया  में ----



 

Friday, October 16, 2020

JAADUI GHADI ( SMALL POEM )

                  जादुई घड़ी 


एक घड़ी है मेरे पास ,बंधु है वो बिल्कुल खास ,

हर घंटे वो हँसती जाए ,कभी ना दिखती मुझे उदास |


अपने साथ सब को हँसाए,मुस्कानों के फूल खिलाए,

घर भर में खुश्बू महकाए ,बच्चे भी तो खिलखिलाएं |


चेहरा उसका बड़ा अनूठा ,देखो तुम तो कहोगे चंदा ,

साथ में आए हैं दो तारे ,मुस्काता है मंदा -मंदा |


बच्चे कहते जादुई घड़ी ,समय बताती और मुस्काती ,

हम को वो खुश कर जाती,ऐसी जादुई छड़ी घुमाती|

Thursday, October 15, 2020

SANDALI KHUSHBU ( GEET )

                 संदली खुश्बु 


भोली -भाली प्यारी सी ,मेरी राजकुमारी सी ,

बोली ऐसी कोयल कूके,संदल सी फूलों में महके|


नन्हीं सी वो मटके चटके,गले में मेरे जब वो लटके,

मुस्कानों का वो भंडार ,मिलती हैं यूँ ख़ुशी हजार |


परी है वो तो सारे घर की,सारे घर में उड़ती फिरती,

हमें मिली है ऐसी माया ,घर में खुशियों की है छाया |


छोटे -छोटे खेल खिलाए,घर में सबको वही सिखाए,

सबकी हुई साकार कल्पना,रंगों से जब सजी अल्पना|


अंश ॐ के पाए उसने ,घर में अरविंद खिलाए उसने ,

खिलती ऐसे चमन के फूल ,संदल सी महके है धूल |

ASTRONAUT (JIVAN )

         एस्ट्रोनॉट 


धरती के आकाश में दिखते ,

जगमग करते करोड़ों तारे ,

ये तारे सब सूरज जैसे ,

इन सब तारों का भी तो ,

सूरज जैसा सोलर सिस्टम होगा ,

हर सोलर सिस्टम में ही ,

एक ग्रह तो ऐसा होगा ,

जिस पर पृथ्वी जैसा जीवन होगा ,

मानव जैसा प्राणी भी होगा |


कितना विकास होगा उस ग्रह पर ?

क्या होगा पृथ्वी जैसा या पृथ्वी से कम ? 

या होगा पृथ्वी से बहुत अधिक ?

ना जाने कोई ,ना जानें हम ,

हमसे आगे जाने वाले प्राणी ,

जब हमें मिलेंगे तो क्या बोलेंगे ?

हिंदी ,इंग्लिश ,तमिल ,तेलुगु या चीनी ,

और ना जाने कौन सी भाषा ? 


भाषाएँ जब अलग -अलग हों ,

एक ही भाषा सब को आती ,

इशारों और मुस्कराहट की ,

प्यार की और दुलार की ,

किसी भी ग्रह पर रहता कोई ,

मुस्कान सभी की खिलती होगी | 


सोचो कितने हैं ग्रह ऐसे ,

जिनपे जीवन खिलता होगा ,

वो प्राणी आएं पृथ्वी पर ,

तो वो एस्ट्रोनॉट कहलाएँगे ,

हम भी एस्ट्रोनॉट बनेंगे ,

जब उस ग्रह पर जाएँगे ,

वहाँ के रहने वाले हमको एस्ट्रोनॉट बुलाएँगे |





 

Tuesday, October 13, 2020

PED HAMARE ( GEET )

  पेड़ हमारे 


पेड़ों के हैं भिन्न प्रकार ,

लाभ हमें देते हजार ,

नीम ,पीपलऔर बरगद ,

अलग -अलग हैं इनके लाभ |


नीम के हर एक अंग में ,

प्रकृति ने दिया दवा  का रूप,

नहीं पेड़ कोई इसके जैसा ,

जिसका हो ऐसा स्वरूप |


बरगद ,पीपल छाया हैं देते ,

वर्षों तक हैं जीवित रहते ,

लंबा इनका जीवन काल ,

मजबूती की हैं ये मिसाल |


अनगिनत हैं पेड़ हमारे ,

जो हैं गुणों के भंडारे ,

क्या -क्या उनके हम गुण गाएँ ,

बस हम उनको शीश नवाएँ |


नहीं जानते धरा पे हमारी ,

किस पेड़ की थी पहली बारी ?

हम तो जानें बनें दोस्त सब ही,

आए पेड़ धरा पर संग ही |

 

Monday, October 12, 2020

AAYA SAAWAN ( PREM )

             आया सावन 


रिमझिम गिरे सावन ,मचल -मचल जाए मन ,

कैसे मनाऊँ मैं सावन ,साथ में नहीं हैं साजन?


सखियाँ सब झूला झूलतीं,हैं पास जिनके साजन,

मैं कैसे झूला झूलूँ ,जब दूर बसे हैं साजन ?


अंबुआ पे कोयल कूकती ,

सखियाँ जब झूला झूलें ,

मैं बगिया द्वार खड़ी हो ,

राहें साजन की तकती |


राहें हैं सूनी दूर तक ,कोई नहीं निशान ,

इतना नहीं मैं जानती,आएँगे कब साजन?


समय बीतता जा रहा ,

सखियाँ मुझे बुला रहीं ,

साथ - साथ ही साजन को ,

साँसें मेरी बुला रहीं |


दिन यूँ ही बीत चला ,

बदरा घन - घन गरज रहे ,

साजन ऐसे मौसम में ,

तुम कहाँ जा बसे ?


अगली सुबह जब आई ,

द्वार की घंटी बजी अचानक ,

द्वार खोल कर देखा जब मैने,

पाई मैंने ख़ुशी अचानक |


द्वार खड़े थे मेरे साजन ,

तभी अचानक बादल गरजे ,

मैं थी साजन की बाहों में ,

तभी मनाया हमने सावन |

Sunday, October 11, 2020

LUKAA - CHHIPI ( SMALL POEM )

     लुका-छिपी     


बचपन के वो मेले ,

आओ लुका -छिपी खेलें ,

तुम छिप जाओ कहीं सहेली ,

मेरी डैन है आई ,

तुम्हें छिपी हुई को अब तो ,

मैं ढूँढूँगी भाई |


यहाँ -वहाँ है ढूँढा मैंने ,

कहाँ छिपी हो ,कहाँ छिपी हो ?

फ्रॉक तुम्हारा दिखा है मुझको ,

ढूँढ लिया है मैंने तुमको ,

अब तो मेरी प्यारी सखि ,

तुम्हारी डैन है आई |


छिपने का स्थान मिला है ,

ढूँढ नहीं पाओगी तुम तो ,

ढूँढ रही हो सभी जगह पर ,

पर मैं ना मिल पाई ,

परेशान मत हो सखि मेरी ,

खुद ही मैं निकल आई ,

लुका - छिपी के खेल में सहेली ,

जीत ही मैंने पाई ,जीत ही मैंने पाई |

Saturday, October 10, 2020

JAANE KAHAN GAE ? (GEET )

    जाने कहाँ गए ?


कहाँ गईं वो सुनहरी आवाज़ें ,

जो दिल के तार छेड़ जातीं थीं ,

प्यार की दुनिया में हमको ले जातीं थीं ,

मदहोश कर जाती थीं |


" चौदहवीं का चाँद हो ,"

" बहारों फूल बरसाओ ,"

जैसे गीतों ने हमको गुदगुदाया ,

लगा जैसे मेरे लिए ही गाया |


" मेरे सपनों की रानी कब ,"

" ये शाम मस्तानी ,"

ने किया हमको दीवानी ,

कहाँ गई वो आवाज़ सुहानी ?


" ऐ - मेरी ज़ोहरा ज़बीं ,"

" लागा चुनरी में दाग ,"

सुनते लगता हम खो गए ,

गाने वाले की आवाज़ में गुम हो गए |


इन आवाज़ों के मालिक ,

दुनिया से हुए लापता ,

कोई ढूँढे तो दोस्तों ,

उनको बुलाने का रास्ता |




TAARIKH (MUKTAK )

 

       तारीख 

 

तारीख आज की याद रहे ,

05 /06 /2021 ,

कभी नहीं आएगी  फिर से ,

05 /06 /2021 |


भिन्न - भिन्न तारीखें आतीं ,

नए -नए दिन को दर्शातीं ,

दिन ,महीने ,वर्ष बदलते ,

मगर सूर्य ,चंद्रमा वही रहते |


कभी संजोग ऐसा ही आता ,

जो चेहरे पर मुस्कान जगाता ,

आओ हम भी कुछ कर जाएं ,

सबके चेहरे पर मुस्कान जगाएं |

 

तारीख एक हम लिख जाएँ ,

याद रखे फिर हमें जमाना ,

सबकी मुस्कानों  में हम हों ,

सबके दिलों को हम धड़काएँ | 

 

Thursday, October 8, 2020

PRAARTHANA ( GEET )

         प्रार्थना 


कैसे जग ये हुआ निढाल ?

किससे पूछें हम ये सवाल ?


ईश्वर सब कुछ देख रहा ,

मानव ने जो किया बवाल ,

मानव को था दिया सभी ,

पेड़ - पौधे ,धरती और ताल ,

फिर भी मानव ने किया बवाल |


प्रार्थना हमारी प्रकृति तुमसे ,

कर दो ख़त्म  ये सब बवाल ,

माफ़ करो मानव को तुम ,

तुम ही तो दूर कर सकती ,

मानव के मन का जंजाल |


दंड हो गया बहुत प्रकृति ,

कृपया अब इसे दूर करो ,

मानव को सद्बुद्धि दे कर ,

अब तो उसे कृतार्थ करो ,

अब तो उसे कृतार्थ करो |

JEET KAISI ? ( JIVAN )

                      जीत  कैसी ?


खेल हुआ है दो टीमों में ,हार जीत किसकी होगी ?

एक टीम माँ -बापू की ,दूजी बच्चों की होगी |


माँ -बापू ना चाहें बिल्कुल ,बच्चे हारें उनसे ,

वो तो चाहें यही हमेशा ,बच्चे जीतें उनसे |


वही जीत तो माँ -बापू की ,बच्चों से वो हारें ,

आगे बढ़ जाएं बच्चे उनसे ,माँ -बापू उनसे पीछे |


ऐसा जग में कोई ना चाहे ,सब चाहें हैं जीत ,

सिर्फ माँ -बापू हैं ऐसे ,जो चाहें अपनी हार |


ऐसा खेल चलता है बंधु ,अपने ही परिवार में ,

खुश हो जाते माँ -बापू ,देखो अपनी हार में |

Wednesday, October 7, 2020

DUNIYA CHIDIYA KI ( GEET )

  दुनिया चिड़िया की 


नन्हीं सी चिड़िया रानी ,

कहाँ चलीं भई कहाँ चलीं ?

मेरे घर में आओ ना ,

दाना ,चुग्गा खाओ ना ,

पानी पी आराम करो ,

घोंसला यहीं बनाओ ना |


ये छोटी सी खिड़की मेरी ,

हवा ,धूप सब आएगी ,

तिनके ,कतरन पास में ही तो ,

सभी इकट्ठे किए हैं मैंने ,

इन सबसे तुम नया घोंसला ,

खिड़की में बनाओ ना |


मेरा राजा बेटा है ,

मेरी गुड़िया रानी है ,

दोनों को तुम मीठे गीत ,

गा कर सुनाओ ना ,

उड़ - उड़ कर तुम उनको ,

अपने खेल दिखाओ ना |


दोनों तुमको प्यार हैं करते ,

तुको देख -देख खुश होते ,

तालियाँ खूब बजाएँगे ,

तुमको खुश कर जाएँगे ,

तुम भी उन दोनों पर ,

अपना प्यार बरसाओ ना ,

घोंसला यहीं बनाओ ना |

 

Tuesday, October 6, 2020

JAA DOOO ( GEET )

                   जादू 


किसी की बातों में जादू ,किसी के नयनों में जादू ,

किसी के हाथों में जादू ,किसी के लेखन में जादू | 


हर ओर जादू बिखरा है ,हर एक ने समेटा है ,

जो जिसको पसंद आया ,जिसके नसीब ने पाया |


जादूगर है ऊपर वाला ,जिसने जादू बिखराया ,

जिसने सभी जीवों का, जैसा नसीब बनाया |


जिसके हिस्से जो जादू आया,उसने यहाँ बिखराया,

उसी जादू से तो उसने ,अपना जीवन चमकाया |


तभी तो किसी ने मधुर गीत लिखे ,

किसी के स्वर ने उसे गुंजाया है ----

"गोरी तोरे नैना हैं जादू भरे ,"

और " जादू तेरी नज़र "|

Sunday, October 4, 2020

YE DOSTI HAM NAHIN TODENGE

    ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे 


सबसे प्यारा रिश्ता जग में ,दोस्ती का ,

सबसे न्यारा रिश्ता जग में ,दोस्ती का |


नहीं लहू का ,नहीं रिश्तों का ,

बंधन है हमारे साथ में ,

नहीं उम्मीद रखते किसी से ,

फिर भी वो खड़े हैं साथ में |


प्यार असीम है आपस में ,

जान छिड़कते आपस में ,

जीवन में सुख -दुःख के साथी ,

दोस्त ही तो बने मगर |


पहले साथ - साथ थे रहते ,

अब हैं दूर - दूर बसते ,

मगर अभी भी खुले हैं अपने ,

प्यार भरे वो सब रस्ते |


नहीं टूटेगी ,सदा रहेगी ,

ये अपनी दोस्ती बंधु ,

प्यार नाम है अमर इस जग में ,

इसी से दोस्ती है अमर बंधु |


चलो अभी गुनगुना लेते हैं ---

" ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे " |

Saturday, October 3, 2020

PYAR KA DARD ( PREM )

            प्यार का दर्द 


इस नीले गगना तले ,प्यार का दर्द पले |


दुनिया बनाने वाले ने ,प्यार के फूल खिलाए ,

साथ में उन फूलों के ,काँटे भी थे लगाए |


प्रेम,प्यार की राहों को,ऊबड़-खाबड़ बनाया,

उन राहों के आगे, no entry का बोर्ड लगाया |


कुछ राही तो फिर भी,जाते उन्हीं राहों पर ,

कैसे रह पाएँगे वो ,जब जाएँगे ना उधर ?


उन राहों पर चलकर,और प्यार को अपनाकर,

वो दर्द सहन करते हैं,किसी के प्यार में डूबकर |


वो रही हैं मतवाले ,वो हैं भी हिम्मतवाले ,

तभी तो खोलें हैं , no entry के ताले |


पर दर्द में जब पड़ते हैं ,उसको सहन करते हैं ,

तब वही रही हरदम ,रचेता को याद करते हैं |