सपने सुहाने
सपने सुहाने लड़कपन के ,
आज हैं बच्चों के बचपन में ,
कुछ हैं पूरे ,कुछ हैं अधूरे ,
सपने जो देखे नैनन ने |
रात जो आए इंतज़ार जगाए ,
नयन हमारे नींद को बुलाएं ,
नींद हमारी नया द्वार खोले ,
और सपनों को अंदर बुलाए |
सपनों की दुनिया है अनूठी ,
कुछ है सच्ची कुछ जादू की ,
जादू कैसा मैं न जानूं ,
ना समझूँ भाषा सपनों की |
दूर अजनबी जगह दिखाएं ,
नई जगह की सैर कराएँ ,
ऐसे सपने हमको आएँ ,
निद्रा में ही हमें सुलाएँ |
सपनों में ही मन जो चाहे ,
जिन राहों पे चलना चाहे ,
जिन कामों को करना चाहे ,
वही तो सपने हमसे करवाएं |
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