Sunday, October 25, 2020

SAPANE SUHANE ( SMALL POEM )

    सपने  सुहाने 


सपने सुहाने लड़कपन के ,

आज हैं बच्चों के बचपन में ,

कुछ हैं पूरे ,कुछ हैं अधूरे ,

सपने  जो देखे नैनन ने |


रात जो आए इंतज़ार जगाए ,

नयन हमारे नींद को बुलाएं ,

नींद हमारी नया द्वार खोले ,

और सपनों को अंदर बुलाए |


सपनों की दुनिया है अनूठी ,

कुछ है सच्ची कुछ जादू की ,

जादू कैसा मैं न जानूं ,

ना समझूँ भाषा सपनों की |


दूर अजनबी जगह दिखाएं ,

नई जगह की सैर कराएँ ,

ऐसे सपने हमको आएँ ,

निद्रा में ही हमें सुलाएँ |


सपनों में ही मन जो चाहे ,

जिन राहों पे चलना चाहे ,

जिन कामों को करना चाहे ,

वही तो सपने हमसे करवाएं |





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