Friday, October 30, 2020

CHANDA ----- 1 ( KITANE DINON KE BAAD )

        चंदा ---- 1  

 (  जाने कितने दिनों के बाद  ) 

 

जाने कितने दिनों के बाद ,

खिड़की में मेरी चाँद निकला , 

रोज बदरा के पीछे छिपा रहता था ,

थोड़ा -थोड़ा सा झाँकता रहता था ,

आज तो बड़े अरसे के बाद ,

खिड़की में मेरी चाँद निकला | 


उसका चमकीला रंग भी है,आज तो बढ़ा हुआ,

चाँदनी की छटा भी है ,आज तो बढ़ी हुई ,

देखो -देखो तो मुस्काता हुआ ,

सखि री आज चाँद निकला | 


पहले तो रोज आता था रात में ,

कभी -कभी तो सखि री आधी रात में ,

कभी होता बड़ा ,कभी होता छोटा ,

मगर आज तो ये जादू सा हो गया ,

मेरा पूरा चाँद तो सरे शाम निकला | 


हम दोनों की बातें चलतीं रहीं ,

रात गहराती रही और गुजरती रही ,

हमारी बातें वो लगातार सुनती रही ,

साथ ही साथ वो मुस्कुराती रही ,

विदा ली चाँद ने सुबह को ,जब रवि निकला | 



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