चंदा ---- 1
( जाने कितने दिनों के बाद )
जाने कितने दिनों के बाद ,
खिड़की में मेरी चाँद निकला ,
रोज बदरा के पीछे छिपा रहता था ,
थोड़ा -थोड़ा सा झाँकता रहता था ,
आज तो बड़े अरसे के बाद ,
खिड़की में मेरी चाँद निकला |
उसका चमकीला रंग भी है,आज तो बढ़ा हुआ,
चाँदनी की छटा भी है ,आज तो बढ़ी हुई ,
देखो -देखो तो मुस्काता हुआ ,
सखि री आज चाँद निकला |
पहले तो रोज आता था रात में ,
कभी -कभी तो सखि री आधी रात में ,
कभी होता बड़ा ,कभी होता छोटा ,
मगर आज तो ये जादू सा हो गया ,
मेरा पूरा चाँद तो सरे शाम निकला |
हम दोनों की बातें चलतीं रहीं ,
रात गहराती रही और गुजरती रही ,
हमारी बातें वो लगातार सुनती रही ,
साथ ही साथ वो मुस्कुराती रही ,
विदा ली चाँद ने सुबह को ,जब रवि निकला |
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