Tuesday, May 30, 2023

JINDAGEE KE SWARNAAKSHAR ( KSHANIKA )

 

 

                  जिंदगी के स्वर्णाक्षर 


हर दिन खुलता जाता है ,जिंदगी का एक पन्ना ,

हर  पल गुजरते ही पढ़ पाते हैं हम ,

क्या लिखा था एक लाइन में ? 

पूरे  दिन के बीतने पर ही ,

पढ़ पाते हैं वह पूरा पन्ना | 


क्या हम कर पाए ? क्या नहीं कर पाए ? 

दिन बीत जाता है तभी ,यह सब याद आए ,

चलते ,रुकते ,यूँ ही तो दिन बीता जाए ,

कर्तव्य पथ पर हम ,कितना आगे बढ़ पाए ? 


जिंदगी में बहुत से ,दोस्त हमारे साथ रहते ,

जिनमें से कुछ हमारी तारीफ़ करते ,

वो ,जो हमारी उन्नति से खुश होते ,

और कुछ हमारी गलतियाँ बताते ,

वो ,जो हमारी उन्नति में सहायता करते ,

दोनों तरह के ही तो ,दोस्त सच्चे हैं हमारे ,

जो हमारी जिंदगी की ,किताब में लिखे ,

स्वर्णाक्षर हैं ,स्वर्णाक्षर हैं ,स्वर्णाक्षर हैं | 


Sunday, May 28, 2023

DAANVEER KARNN ( KSHANIKA )

 

                     दानवीर कर्ण 


भारतीय हूँ मैं ,गर्व है मुझे ,

इस माटी में जन्म ,मिला है मुझे ,

जीवन इस हवा में ,खिलता रहा हरदम ,

स्वरों में जैसे ,गूँज गया हो स्वर पंचम | 


इसी भारत में ,लिखा गया महाकाव्य ,

नाम जिसको मिला था महाभारत ,

जिसमें एक चरित्र था कर्ण ,

माता से त्यागा हुआ , पुत्र था वो कर्ण | 

 

गरीबी में पला बढ़ा ,ज्ञान का था धनी ,

सभी शिक्षा सीखने में ,वह था प्रबल ,

मगर सभी समझते थे ,उसे दुर्बल ,

जब कि वह था ,सबसे ही सुबल | 

 

भरी सभा में द्रौपदी ने ,सूतपुत्र कहा ,

ना ज्ञान उसका जाना ,ना मान उसका किया ,

कौरवों की सभा में भी ,अपमान जब हुआ ,

दुर्योधन  ने ही उसे ,तब राजपद दिया | 

 

युद्ध में जब पांडवों की ,हार होने लगी ,

त्यागने वाली माता ने ,रिश्ते की दुहाई दी ,

तब क्या यह उचित था ? उसके मन को भरमाना ,

क्या वही माता ,लौटा सकती थी उसका मान ? 

 

छल तो इंद्र ने भी किया ,कर्ण के साथ ,

कवच ,कुंडल माँग लिए ,ब्राह्मण बन के ,

इंद्र ने यह सब किया ,पांडवों से मिल के ,

जिससे कर्ण ना उभरे ,बहुत शक्तिशाली बन के | 

 

Thursday, May 25, 2023

APANAA LE ( KSHANIKA )

 

                         अपना ले 

 

हर पल को तू अपना ले राही ,

हर साँस तेरी आए ,जाए ,

सोचों में तू डूबा ना रह ,

सोच भी तो तेरी आए ,जाए | 


मत सोच कि किस्मत कैसी है ? 

तेरे फैसलों से ही तो तेरी ,

किस्मत बदलती जाए | 


हिम्मत कर और सभी समाधानों को अपना ,

परिणाम ही तो तेरी ,

किस्मत को बदल जाए | 


लिखी विधाता ने किस्मत ,

सबकुछ तो अटल है जीवन में ,

पर निर्णय तेरे ,हिम्मत तेरी ,

हो सकता किस्मत बदल जाए ,

अपना ले ,अपना ले नए फैसले ,

किस्मत को बदल दे राही तू | 


Monday, May 22, 2023

APNAANE MEIN ( KSHANIKA )

 

                                  अपनाने में 


समय नहीं लगता बंधु ,अनजानों को अपनाने में ,

पूरा जीवन बीत जाता है ,उन रिश्तों को निभाने में ,

कुछ तो रिश्ते खत्म हो जाते ,जाने बिन ,अनजाने में ,

इसीलिए तो यही सही है ,प्यार में ही डूब जाने में | 


कुछ बोलकर ,कुछ तोलकर ,कुछ समझकर चुप रहकर ,

दो कदम आगे बढ़ाकर ,और कुछ पीछे हटाकर रहजाने में ,

चले चलो सब राहों पर ,चाहे जानी हों या अनजानी ,

यही तो तत्व ज्ञान है बंधु ,सब ही रिश्ते निभाने में | 


Sunday, May 21, 2023

BAAVARAA MANN ( GEET )

 

                   बावरा मन 


मन हो गया बावरा ओ - सखि ,

कैसे इसको मनाऊँ ओ - सखि ,

घूमें ये तो चहुँ ओर को सखि ,

कैसे इसको मनाऊँ ओ - सखि ?

 

राम जाने ,क्या सोच ,इसको लगा ?

राम जाने ,क्या रोग ,इसको लगा ? 

ये तो घूम -घूम के ,नाचे रे ओ - सखि ,

कैसे इसको मनाऊँ ओ - सखि ?  


रंग सारे जहां के ,इसको अच्छे लगें ,

रूप फूलों के सारे मन में सजें ,

ये तो नाचे हरदम उन्हीं के बीच ,

कैसे इसको मनाऊँ ओ - सखि ? 


Friday, May 19, 2023

PYAAR KA MAUSAM ( KSHANIKA )

 

                              प्यार का मौसम 


हर मौसम आता - जाता है ,चाहे हो गर्मी या सर्दी ,

बरखा का मौसम भाता है खूब ,

सभी समय में प्यार का मौसम ,मीठा मौसम ,

भाए सबको ,गुदगुदाए सबको | 


प्यार का मौसम सदा चले ,

प्रकृति में बदलते  मौसम हैं ,

प्यार का मौसम ,दिल का मौसम ,

लू के थपेड़ों को भी बदल दे ,ठंडी बयार में ,

कड़कती ,ठिठुरन भरी सर्दी को भी ,

बदल दे गुनगुनाती फुहार में | 


तार साँसों के गुनगुनाने लगेंगे ,

धड़कनें नई ताल पे थिरकने लगेंगी ,

वही तो कहलाता है  प्यार का मौसम ,

वाह ,वाह प्यार का मौसम | 



Wednesday, May 17, 2023

GUNGUNAA LE ( JIVAN )

 

                               गुनगुना ले 


साँसों के तार पर ,गुनगुना ले राही ,

धड़कन की ताल पर ,पैर चला ले राही ,

जीवन तो इन्हीं से चलता है ,

इन्हीं पर जीवन बिता ले राही |

 

विधना सेअलग ,कोई ना जाने ,

कब साँसें पूरी हो जाएँ ?

विधना से अलग ,कोई ना जाने ,

कब धड़कन बंद पड़ जाए ? 

इसीलिए तू जश्न मना ,

मुस्कान बिखेर ,जीवन को सुंदर बना ले राही | 


कल जो होना है ,होगा ही ,

आज जो है वो सच है ,

कल बीत गया ,आने वाला कल सपना है ,

इसलिए आज ,आज और आज में जी ले तू राही | 


UMARIYAA ( JIVAN )

 

                          उमरिया 


पल -पल घटती जाय उमरिया ,

क्यों दशकों के प्लान बनाय रे बंधु ,

लेकर आया जितना समय तू जग में ,

बढ़ता नहीं वह  घटता  ही है बंधु | 


बढ़ती है तो ,वो है तृष्णा ,

तेरी इच्छा ,तेरी आशा ,तेरी उम्मीद ,

सबको बंद करदे तू डिब्बे में ,

तभी मनेगी रोज ही ईद | 


चाहों की गठरी जो तेरी ,

जैसे तू चाहे ,कर्म बाँध ले ,

जब जाएगा वापस तू जग से ,

गिनती होगी तब कर्मों की ,

और जो होगा विधि की इच्छा , 

विधि की इच्छा ,विधि की इच्छा |





Tuesday, May 16, 2023

MERII DAADII MAAN ( JIVAN )

 

                               मेरी दादी माँ 


मेरी दादी माँ मुझको ,करती थीं प्यार घना ,

माँ के प्यार से भी वो तो ,प्यार मुझे करतीं दो गुना | 


अपनी पुरानी बातें हमें सुनातीं ,अपने बचपन ,

अपनी यादों में बसी हुईं ,बातें हमें बतातीं | 


हम खो जाते उनकी बातों में ,

उनके बचपन में ,उनके अल्हड़पन में ,

पर हम उनके बचपन की ,तस्वीर बना ना पाते | 


मेरे जन्म से पहले ही ,मेरा नाम चुन लिया ,

आज ये जो मेरा नाम है ,उन्हीं का दिया है ,

बहुत बरस पहले ,उन्होंने कहा था माँ को ,

लड़की आयेगी और नाम "मिथलेश "रखूँगी | 


कैसी सुंदर सोच थी उनकी ? 

ईश्वर उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें ,

काश मैं भी ऐसे गुणों वाली ,

दादी माँ बन पाऊँ ,दादी माँ बन पाऊँ | 


Saturday, May 13, 2023

KHILKHILAATII NADIYA ( JIVAN )

 

                   खिलखिलाती नदिया 


निर्मल शीतल जल की धारा ,

हिमगिरि शिखर से उतरी ,

पहले धीरे से ,फिर उछलकर ,बही तेजी से ,

आस -पास के नन्हें पादप ,मुस्कुराए देखकर ,

नवीन ,पल्लवित पादपों से ,हाथ मिलाती ,गुनगुनाती ,

दौड़ चली ,दौड़ चली और दौड़ चली | 


वेगवान सी वह जल की धारा ,मैदान में पहुँच ,

नदिया कहलायी ,हँसती ,मुस्कुराती ,

दौड़ती रही ,सब को सुख पहुँचाती रही ,

जीवन बाँटती रही ,खिलखिलाती रही ,

बच्चे भी आए ,खेलते रहे ,तैरते रहे ,

और नदिया मुस्कुराती और खिलखिलाती रही | 


Sunday, May 7, 2023

ANKAHE SHABD ( KSHANIKA )

 

                    अनकहे शब्द 


कुछ अनकहे शब्द जो ,दिल में ही रह गए ,

चाहकर भी हम ,कह ना पाए किसी से ,

बहुत बातें हुईं सब से ,मगर तब भी ,

काफी बातें ,काफी शब्द ,दबे रह गए ,

दिल की तहों में ,छिपे रह गए | 


सभी शब्द प्यार की ,चाशनी में डूबे थे ,

जिंदगी भरी  खुशियों में डूबे थे ,

मगर ज़ुबां पर आते -आते रुक गए ,

जुबां कुछ कह ना पाई किसी से | 


एक भी मौका ना मिला ,किसी से प्यार जताते हम ,

एक भी मौका ना मिला ,जो दिल की बातें कह जाते हम ,

उन अनकहे शब्दों को ,जाहिर कर देते हम ,

तो कुछ जगह खाली होती ,और नए शब्द गढ़ लेते हम | 


Friday, May 5, 2023

KHOOBSOORAT HAI ( GEET )

 

                       खूबसूरत है 


जिंदगी कितनी खूबसूरत है ? 

जिंदगी की तमाम राहों में ,आइए आपकी जरूरत है ,

जिंदगी के बही खाते में सनम ,

एक  तेरे नाम जरूरत है | 


हर कदम साथ ही उठेगा मेरा ,

मिल के हम रास्ता करें पूरा ,

राहें खुशियों से भरती जाएँगी ,

तेरे ही साथ की जरूरत है | 


डीप -मालाएँ खूब जगमगाएँगी ,

राहें तारों से मानो भर जाएँगी ,

मुस्कानों से ही दिल खिलखिलाएँगे ,

तेरी मुस्कानों की जरूरत है | 


दुनिया फूलों की खुश्बु से  महक जाएगी ,

हर कली फूल बन इतराएगी ,

दिल भी खुश्बुओं महक जाएगा ,

तेरे ही साथ की जरूरत है | 


Thursday, May 4, 2023

SAPNON KI TOLI ( CHANDRAMA )

 

                   सपनों की टोली  

 

चाँद  की चाँदनी से ,चमचमाती रातों में ,

जब हमें नींद आई ,निंदिया  डूबे तो ,

सपनों की टोली आई ,

ले गई एक अनजानी दुनिया में ,

हमारी पहचानी दुनिया से बहुत दूर  | 


सुंदर सा ,चमचमाता सा जहां था ,

दूर -दूर तक ,तारों भरा आसमां था ,

तारों की झिलमिल से ,आँखें झिलमिलाईं ,

सपनों को देख -देख ,आँखें भी मुस्कुराईं | 


ठंडी और मीठी बयार के झोंके थे ,

होंठों पे मुस्कान लिए हम तो रुके थे ,

ऐसे में ही चाँदनी ,चमक लिए आई ,

हाथ  पकड़ हमारा ,आगे को बढ़ गई | 


तभी दूर ,एक तारा टूटा गगन में ,

ऐसा नज़ारा ,देखा कभी  हमने ,

लगा जैसे वो ,तारा आएगा हमारे आँचल  में  ,

मगर वो तो बहुत दूर था ,बात नहीं बन पाई | 


अफ़सोस नहीं था ,इस बात का ,

तारा नहीं आया ,आँचल में हमारे ,

मगर वो नज़ारा ,बहुत सुंदर था ,

जो आज भी हमारे ,दिल में बसा हुआ है | 


Monday, May 1, 2023

DO GUNII ( KSHANIKA )

 

                       दो गुनी  


ख़ुशी छिपी है मन में तेरे ,फिर क्यूँ ढूँढे तू बाहर?

क्यों तू हाट में खोजे उसको?

क्यों ढूँढे जंगल - जंगल ? 

सबसे आसां रस्ता पकड़ के ,

ढूँढ ले तू मन के अंदर | 


खुशियों का जखीरा उपजा ,मानव तेरे ही अंदर ,

एक -एक कर बाहर निकाल ,

उपजेंगी मुस्कानें होठों पर | 


कल एक मुस्कान उगी थी ,उसे ही तू दो गुना कर ,

ऐसे ही मुस्कान उगेंगी ,

हर दिन दो गुनी हो होकर | 


MEETHEE MUSKAANEN ( RATNAAKAR )

 

                             मीठी मुस्कानें 


सागर जो उम्मीद का हो तो ,

खुशियों का मेला बन जाए ,

सागर ना उम्मीदी का हो तो ,

उदासियों का रेला बन जाए | 


चुन लो बंधु ,तुम्हें चाहिए कौन सा सागर ? 

खुशियों का मेला या उदासियों का रेला ? 


मुस्कानों के मोती चुन कर ,

बाँटो सभी में ,मीठी -मीठी मुस्कानें ,

खुशियाँ मिलेंगी ,सभी को  तुम से ,

तो बढ़ेंगी ,चहुँ ओर तुम्हारी पहचानें | 


दूजों से तुमको भी बंधु ,मिल जाएँगी  ,

मीठी - मीठी मुस्कानें ,

घिरे रहोगे मुस्कानों से तुम ,

तो सागर होगा मीठा - मीठा और मीठा |