मीठी मुस्कानें
सागर जो उम्मीद का हो तो ,
खुशियों का मेला बन जाए ,
सागर ना उम्मीदी का हो तो ,
उदासियों का रेला बन जाए |
चुन लो बंधु ,तुम्हें चाहिए कौन सा सागर ?
खुशियों का मेला या उदासियों का रेला ?
मुस्कानों के मोती चुन कर ,
बाँटो सभी में ,मीठी -मीठी मुस्कानें ,
खुशियाँ मिलेंगी ,सभी को तुम से ,
तो बढ़ेंगी ,चहुँ ओर तुम्हारी पहचानें |
दूजों से तुमको भी बंधु ,मिल जाएँगी ,
मीठी - मीठी मुस्कानें ,
घिरे रहोगे मुस्कानों से तुम ,
तो सागर होगा मीठा - मीठा और मीठा |
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