अनकहे शब्द
कुछ अनकहे शब्द जो ,दिल में ही रह गए ,
चाहकर भी हम ,कह ना पाए किसी से ,
बहुत बातें हुईं सब से ,मगर तब भी ,
काफी बातें ,काफी शब्द ,दबे रह गए ,
दिल की तहों में ,छिपे रह गए |
सभी शब्द प्यार की ,चाशनी में डूबे थे ,
जिंदगी भरी खुशियों में डूबे थे ,
मगर ज़ुबां पर आते -आते रुक गए ,
जुबां कुछ कह ना पाई किसी से |
एक भी मौका ना मिला ,किसी से प्यार जताते हम ,
एक भी मौका ना मिला ,जो दिल की बातें कह जाते हम ,
उन अनकहे शब्दों को ,जाहिर कर देते हम ,
तो कुछ जगह खाली होती ,और नए शब्द गढ़ लेते हम |
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