बावरा मन
मन हो गया बावरा ओ - सखि ,
कैसे इसको मनाऊँ ओ - सखि ,
घूमें ये तो चहुँ ओर को सखि ,
कैसे इसको मनाऊँ ओ - सखि ?
राम जाने ,क्या सोच ,इसको लगा ?
राम जाने ,क्या रोग ,इसको लगा ?
ये तो घूम -घूम के ,नाचे रे ओ - सखि ,
कैसे इसको मनाऊँ ओ - सखि ?
रंग सारे जहां के ,इसको अच्छे लगें ,
रूप फूलों के सारे मन में सजें ,
ये तो नाचे हरदम उन्हीं के बीच ,
कैसे इसको मनाऊँ ओ - सखि ?
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