Sunday, January 31, 2021

MERE BAABU JI ( GEET )

     

 

       मेरे बाबू जी

एक था बचपन ,मेरा बचपन , 

बचपन के एक बाबू जी थे ,

सीधे - सच्चे बाबू जी थे ,

प्यारे - न्यारे बाबू जी थे ,

दोनों का प्यारा था बंधन ,

एक था -- | 

बाबू जी थे बहुत अनोखे ,

प्यार वो करते मुझको ज्यादा ,

उनके प्यार में डूब के मैं तो ,

खुश -खुश रहती ज्यादा -ज्यादा ,

एक था -- | 

बाबू जी ने प्यार दिया ,

अपना मुझे दुलार दिया ,

बिटिया - बिटिया कह कर के ,

अपना सब कुछ वार दिया ,

एक था -- | 

आज वो ना जाने कहाँ गए ? 

दूर वो किस जहां में गए ? 

जहाँ वो होंगे ,मुझे देखते होंगे ,

सारा अपना आशीष मुझे देते होंगे ,

एक था -- | 

दुनिया से सब जाते हैं ,

वो भी जाने किस लोक में ? 

इस लोक में जन्म बिताकर ,

पहुँच जाते हैं वो परलोक में ,

एक था बचपन ---- |


Friday, January 29, 2021

MEGHA RE ( GAON KI CHHANV ) BHAG -- 26

 

   मेघा रे   (  गाँव की छाँव )  भाग --- 26 

 

जारे कारे बदरा जा ,साजन के उस गाँव में ,

रिमझिम बूँदें बरसाना ,पीपल की ठंडी छाँव में | 

 

रंगीले गीतों की गूँज ,मिलेगी पनघट तीरे ,

स्वर लहरी की लहरें ,सजाएंगी चूनर की तीरें ,

 सुनते जाना गीत मधुर तुम ,उस प्यारे से गाँव में ,

      रिमझिम बूँदें --------  | 


प्यार घूमता मिलेगा तुमको ,पगडंडी और गलियों में ,

तड़प छिपी से मिल जाएगी,फूली सरसों जिन खेतों में, 

प्यार की तड़प को तुम मेघा ,ले आना अंचरा की छाँव में ,

      रिमझिम बूँदें --------- | 


नन्हीं बूँदों का अमृत ,फैलाओगे चहुँ ओर जलद ,

खिल जाएगा हर तड़ाग में ,प्यारा एक मनहर जलज ,

उस अनुपम प्यार को ,लाओगे जो मेरे मेघा ,

प्यार से भर लूँगी ,तुमको अपनी बाँहों में ,

        रिमझिम बूँदे ---------- | 

 

  

Thursday, January 28, 2021

SINGAAR ( JIVAN )

 

            सिंगार

 

दुल्हन खड़ी है खेत में ,कर सोलह सिंगार , 

देखकर उसकी आँखें ,हम तो हुए शिकार | 


दुल्हन का सिंगार है,मानो आई बहार ,

इतना ही हम चाहते ,करले आँखें चार | 

 

इस दुल्हन को  देखकर ,मुस्काई है बहार ,

हम तो बंधु मर मिटे ,जब कीं उसने आँखें चार | 

 

वो है नशीली आँखों वाली,मस्ती का जाम पिलाए ,

ऐसा लगता है हमें ,हमने होश गँवाए | 

 

लाओ हमको होश में ,बंधु कुछ तो करो जतन ,

बात कराओ दुल्हन से ,करके कोई जतन |

Wednesday, January 27, 2021

CHANDAN HAI MAATI ( GEET )

     चंदन है माटी 

 

चंदन है माटी अपने देस की ,

चंदन है माटी अपने खेत की ,

 खुश्बुओं से भरी हुई ,

शक्तियों से रची हुई ,

ऐसी है माटी अपने देस की | 


इसी का तिलक लगाओ तुम ,

इसी को शीश नवाओ तुम ,

प्यार करो इस माटी से ,

प्यारी है माटी अपने खेत की | 


जीवन ये देती है सबको ,

शक्ति ये देती है सबको ,

मुस्कान से भरती है सबको ,

ऐसी है माटी अपने देस की | 


इसी में उगती हैं फसलें ,

कृषक उगाता है सब फसलें ,

अन्नदाता है कृषक अगर ,

अन्नपूर्णा है माटी अपने खेत की | 

 

ये माटी वरदान हमारा ,

ये माटी अहसान धरा का ,

धरा जो देती हम हैं लेते ,

देन है माटी धरा की ,

अपने देस की ,अपने खेत की |   



Monday, January 25, 2021

TUN - TUN IKTARA ( DESH )

 तुन - तुन  इकतारा 


इकतारा बोले तुन -तुन ,

क्या कहे ये तुमसे सुन -सुन ,

इकतारा बोले तुन -तुन -तुन-तुन -तुन |


कुछ ऐसे लोग भी होते हैं ,

रात और दिन तो सोते हैं ,

जब काम नहीं होता पूरा ,

तो परेशान हो रोते हैं ,

इक तारा बोले तुन -तुन --- |


पहले तो थी हिंदी भाषा ,

अब आई है इंग्लिश भाषा ,

ना हिंदी है ना इंग्लिश है ,

अब छाई है हिंगलिश भाषा ,

इकतारा बोले तुन -तुन |


सरकार को दोष ही सारा है ,

कर्त्तव्य क्या नहीं तुम्हारा है ?

काम नहीं करते क्यों तुम ?

क्या देश ये नहीं तुम्हारा है ?

इकतारा बोले तुन - तुन  | 


Wednesday, January 20, 2021

MERI ALPANA ( POETRY MAIRATHAN )

          

         मेरी अल्पना 

मेरी नहीं गुड़िया ,मेरी अल्पना ,

नाचे मेरे अँगना ,मेरी अल्पना ,

अल्पना ने बनाई ,एक अल्पना ,

मुस्कान के तारों से सजाई अल्पना ,

फूलों की खुशबु से महकाई अल्पना ,

प्यार के धागों से बंधाई अल्पना ,

नाच की ताल से थिरकाई अल्पना ,

सूरज के दीये से जगमगाई अल्पना | 

 

मुस्कानों से मुस्कुराई अल्पना ,

खिलखिलाहटों से खिलखिलाई अल्पना ,

रंगों से रंगाई अल्पना ,

हमारे दिलों को है भाई अल्पना ,

सभी के दिलों को है भाई अल्पना | 

 

 

Tuesday, January 19, 2021

ONE TO TWENTY ( POETRY MAIRATHAN )

 ONE  TO TWENTY 

 

ONE ,TWO ,THREE ,FOUR ,

OPEN THE ALL DOORS . 

 

FIVE ,SIX ,SEVEN ,

MAKE THE EARTH HEAVEN . 

 

EIGHT ,NINE ,TEN ,

POLYTHENE IS BAN . 

 

ELEVEN ,TWELVE ,THIRTEEN ,

DO NOT THROW GARBAGE OUT OF BIN . 

 

FOURTEEN ,FIFTEEN ,SIXTEEN ,

KEEP THE PROPER BIN (WET  & DRY  ) . 

 

SEVENTEEN ,EIGHTEEN ,NINETEEN ,

PUT THE GARBAGE IN BIN . 

 

NOW COMES TWENTY ,

  COUNTING IS COMPLETE . 

 

       

 

Monday, January 18, 2021

SAPTPADI ( GEET ) POETRY MAIRATHAN

          सप्तपदी 

 

इंद्रधनुष में रंग हैं सात ,

भरे हैं उस मालिक ने ,

उन्हीं सात रंगों से ,

भरा हुआ संसार है ,

खिला हुआ संसार है | 

 

सात ही दिन हफ्ते में होते , 

शुरुआत भी और अंत भी ,

हर दिन बीते है जैसे ,

हफ्ते भी बीत  जाते हैं वैसे ,

समय में डूबा ये संसार है | 


सात सुरों की सरगम से ,

गुंजायमान हर दिल है ,

हर गीत उन्हीं से बनता ,

हर साज उन्हीं पे बजता ,

तभी तो लय में ये संसार है | 


भाव ह्रदय में बसते जाते ,

पूजा और सम्मान के ,

प्रेम और प्यार के ,

देशभक्ति और देशप्रेम के ,

वीरता ,बहादुरी बसती यहाँ ,

दोस्ती ,सखा भाव है ,

वात्सल्य ,आदर भाव है ,

दया ,करुणा बसती यहाँ ,

सब में एक अहसास है | 


मस्तिष्क में हैं सोच ,विचार ,

सच ,झूठ का अंतर बसता यहाँ ,

गलत ,सही की सोच है ,

कर्त्तव्य का अहसास है ,

ज्ञान है, विज्ञान है ,

जीवन और मरण बसते हैं जहाँ ,

जिम्मेदारियों का अहसास है | 


मगर दिल ,दिमाग में ही ,

एक कोना ऐसा है ,

जिसे ना कोई ढूँढ सका ,

उसमें बसते ---- सपने हैं ,

लेखनी और लिखने का अहसास है ,

पढ़ने और खेलने की भी सोच है ,

सोच में भी अहसास है | 


दिल के मीठे भावों में ,

छिपी है एक मुस्कराहट ,

छिपी है एक खिलखिलाहट ,

प्यार की दुलार की ,

सपनों के पूरा होने की ,

जीवन में बहार आने की ,

गीतों में बसे संगीत से ,

कदम थिरक उठते हैं ,

लय का उन्हें अहसास है | 


सात समंदर हैं इस धरा पर ,

सातों में बहुत फासले हैं ,

मानव रहता बीच (BEACH ) पर उनके ,

लहरों की लय ,ताल को सुनकर ,

जगता मानव का अहसास है | 


सात अजूबे हैं इस दुनिया में ,

सातों बिखरे अलग - अलग हैं ,

मानो तो ढेरों हैं अजूबे ,

ना मानो तो नहीं कोई ,

मगर सबसे बड़ा अजूबा ,

मानव का दिल -औ -दिमाग है ,

जो यह नहीं होता तो कैसे ?

धरा पे होता विकास है ,

यही तो एक अहसास है | 


शादी में फेरे जब होते सात ,

तभी तो बँधता सूत्र प्रणय का ,

नया परिवार बसाते अपना ,

नया संसार बसाते अपना ,

तभी तो बनता अहसास नया | 


सात जन्म मानव के होते ,

पति - पत्नी का साथ है होता ,

प्रणय सूत्र जन्मों का बंधन ,

मानव को एक साथ पिरोता ,

सातों जन्मों का तो बंधु ,

मानव को अहसास है | 


सप्तपदी शादी की धड़कन ,

सप्तऋषि तारों की मधुबन ,

नीलगगन में चमकें तो ,

गगन है बंधु उनका आँगन | 



Sunday, January 17, 2021

MEGHA RE ( MEGHA ) BHAG -- 24

मेघा रे  (मेघा  ) भाग -- 24 


पैरों के नीचे दूधिया चमकीले मेघा ,

ऊपर गहरा नील गगन ,

बीच में हैं मैं और मेरा अंश ,

देखते चहुँ ओर उसके चमकीले नयन | 


चारों ओर बना है घेरा ,

चमकीले क्षितिज का ,

जिसका बिखरता प्रकाश ,

कर रहा है नाश रात के तिमिर का | 


मेघों के ऊपर नन्हें कदम बढ़े ,

धीरे -धीरे मेरे नन्हें अंश के ,

गुदगुदाहट महसूस कर के ,

मुस्कराहट बिखराई नन्हें अंश ने | 


हाथों की मुट्ठियाँ भी ,तैरी हैं यूँ हवा में ,

जैसे की उड़ रहा हो ,संग बदरा के हवा में,

नन्हें नयनों की चमक ने ,फैलाया है उजाला ,

किलकारियों ने उसकी ,संगीत है संवारा | 

 

 


DHARA HILII ( SMALL POEM )

 धरा हिली

 

धरा हिली ,गिरीं इमारतें ,

मचा हाहाकार ,चीखो पुकार , 

दर्द भरी कराहटों से , गूँजा वातावरण ,

प्रकृति का यह विनाशकारी रूप ,

देखा सभी ने ,मगर ,

महसूस किया कुछ ने ,

भरे -पूरे परिवार ,समृद्ध संसार ,

दब गए मलबे के ढेर में ,

यह थी किस्मत जो ,

लिखी विधाता ने ,

कुछ जीवन समाप्त हुए ,

कुछ तड़प रहे दबे हुए ,

कोई दे सहारा ,

बढ़ाए हाथ ,उठाए उन्हें ,

इस इंतजार में ,

मौत से जूझते हुए ,दर्द से कराहते ,

जीवन लिए जो ऊपर थे मलबे के ,

जरूरतों को तलाशते ,

रोटी के टुकड़े को ,पानी की बूँद को ,

सिर पर एक छत को ,

बदन पर एक कपड़े को ,

पाने की लालसा में ,खड़े हैं इंतजार में | 

 

 


Saturday, January 16, 2021

SAATH JANMON KA ( GEET )

           साथ जन्मों का 

 

ये कहाँ आ गए हम ? 

बीते हैं कुछ पड़ाव जिंदगी के ,

जन्मों का साथ है माना ,

ताला बंदी इस जन्म में | 

 

बीत रहा हर पल ,

तुमसे ही दूर दोस्तों ,

मिलें कैसे बोलो ? 

ये कहाँ आ गए हम ? 


इस जन्म के बाद भी ,

कहाँ मिलेंगे दोस्तों ? 

किस ग्रह पे हम मिलेंगे ? 

किस रूप में मिलेंगे ? 

जन्मों का साथ है ये तो | 


क्या धरा पे जन्म मिलेगा ? 

या आकाश गंगा से दूर ? 

कोई अन्य जगह होगी ? 

मालूम ना किसी को ,

जन्मों का साथ है ये तो | 


आज के हालातों में ,

दिल के जज़्बातों में ,

एक बात याद रखना ,

जन्मों का साथ है ये तो ,

ये कहाँ आ गए हम ? 



Friday, January 15, 2021

HAMARI BHASHA ,HAMARI HINDI ( VISHV HINDI DIVAS )

 

  हमारी भाषा ,हमारी हिंदी 


हिंदी हमारे माथे की बिंदी ,

हिंदी कंगना की खनखन , 

हिंदी है साँसें मेरी ,

हिंदी है दिल की धड़कन |


हिंदी है माता की भाषा ,

हिंदी दिल की अभिलाषा ,

हिंदी माटी की शक्ति ,

हिंदी है देश की आशा |


हिंदी है तो जग उजियारा ,

हिंदी के बिन अंधियारा ,

हिंदी के पंखों से ही तो ,

उड़ते हैं - चंदा ,तारा |


हिंदी है तो हैं परियाँ ,

हिंदी है तो हैं कहानियाँ ,

हिंदी से ही तो है जीवन ,

हिंदी से ही हैं जीवनियाँ |


हिंदी है देश की भाषा ,

हिंदी है देश की बोली ,

हिंदी भाषा में सब डूबे ,

हिंदी है प्यार की झोली |


हिंदी को तुम भी अपनाओ ,

हिंदी के सपने देखो तुम ,

हिंदी से तुम सीखोगे ,

बड़ों को करना नमन |

PRAVASI BHARTIY ( PRAVASI SAHITY )

    प्रवासी भारतीय 


क्यों चले गए परदेस ,छोड़कर देस ?

आज ये देस बुलाता है ,

प्यार की धुन ये सुनाता है |


माटी ने दिया संदेस ,उड़ - उड़कर ,

वो भी तो तुमको बुलाती है ,

प्यार की बीन बजाती है |


हवाएँ बहती रहती हैं ,कुछ कह-कहकर,

कहती हैं कहाँ बसे हो तुम ?

प्यार से तुम्हें बुलातीं हैं |


बदरा भी छा -छा कर ,गरज -गरज कर ,

दामिनी का दामन थामते हैं ,

रिमझिम से तुम्हें बुलाते हैं |


पंछी का गान अलग सा है ,प्रेम भरा है ,

वो तो मिलजुल कर गाते हैं ,

आओ जी तुम्हें बुलाते हैं |


नदियाँ ,झरने गाते ,कल -कल ,छल -छल ,

पीने को शीतल जल लाते हैं ,

आओ जी तुम्हें बुलाते हैं |


सुनो तुम सबकी ये बानी ,

हृदय की धड़कन की बानी ,

ये सब दिल को धड़काते हैं ,

धड़क कर तुम्हें बुलाते हैं |




 

Saturday, January 9, 2021

SAFAR NADI KA ( GEET )

       सफर नदी का 

 

सफर कट रहा है जिंदगी का ,

प्यार से दुलार से ,लगातार से ,

चलते - चलते नदिया किनार से ,

बहती हुई नदिया की धार से | 

 

धार थी उदास सी ,

कुछ गुमसुम सी ,कुछ चुपचाप सी ,

पूछा जो उससे तो ,

नम आँखों से देखती सी बोली ,

ये उदासी तो अब ,

कभी ख़त्म ना होगी | 


क्यूँ ? कोई समस्या है तो बोलो ,

दिल का राज़ खोलो ,

सहमी सी आवाज़ में वो बोली ,

मेरा पानी तो दूषित हो गया है ,

शहर का गंद मुझ में घुल गया है ,

पीने योग्य नहीं रह गया है | 


कोई लाए गर संजीवनी ,

तो साफ हो जाए ये गंदगी ,

जी उठे मेरी जिंदगी ,

बहने लगूँ सुगंधित होकर ,

नीर पिएँ सभी खुश होकर | 


तभी तो कट जाएगा सफर ,

साथ सभी के चलते - चलते ,

तभी तो मंजिल पर पहुँचुँगी मैं ,

राहों को पार करते - करते ,

साथियों के साथ ही तो सफर ,

सुहाना हो जाता है चलते - चलते | 


Friday, January 8, 2021

PANI KI RAVAANII ( JIVAN )

 

    पानी  की  रवानी 


बहती नदी है पानी ही पानी ,

दोनों किनारे हैं छोर नदी के ,

बीच में उनके पानी ही पानी |


पानी की रवानी किनारों के बीच ,

नदी एक है पर किनारे हैं दो ,

नहीं कभी मिलते सदा दूर रहते ,

बीच में उनके पानी ही पानी |


सामानांतर हैं चलते पानी के साथ ,

मानो पानी की है लंबी कतार ,

मानो पानी है हाथ दोनों किनारों के ,

बाँध के रखते दोनों पानी ही पानी |


पानी की स्वच्छता किनारों के कारण ,

पानी की शीतलता किनारों के कारण ,

सभी हैं चकित देख नदी और किनारे ,

किनारों के बीच चंचल पानी ही पानी |





DAYARI --- 5 ( 08/01/2021 )

डायरी  -- 5   ( 08 /01 /2021  ) 

मेरी डायरी  मैं तुम्हें अपने एक अहसास 

से परिचित कराना चाहती हूँ | वो अहसास 

 जो माँ बनने वाली लड़की को ही मिलता है |  

 जब मैं एक बेटी की माँ बनी ,तो उसे स्पर्श 

करने पर जो अहसास मुझे हुआ ,उसको 

बयां करना बहुत मुश्किल है | वह अहसास 

आज भी मेरी धड़कनों में बसा है ,मगर शब्द 

गायब हैं | उस नन्हीं गुड़िया को छूते ही उसकी 

कोमलता दिल को तेजी से धड़का गई | वह मेरे 

शरीर के अंदर पली है ,ये सोचकर कि वह मेरे 

शरीर का अंश है ,मैं आज भी सिहरन महसूस कर 

जाती हूँ | धन्यवाद डायरी ,मेरे अहसास को शेयर 

करने के लिए |

Wednesday, January 6, 2021

ROOP JINDAGI KA ( JIVAN )

 

 रूप जिंदगी का 


कोयल की कुहुक नहीं ,

कौवे का राग है जिंदगी ,

पेड़ों की ठंडी छाँव नहीं ,

धूप की कड़ी तपिश है जिंदगी |


चिकनी सी सड़क नहीं ,

ऊबड़ - खाबड़ से राह है जिंदगी ,

सीधी -सादी राहों की नहीं ,

टेढ़ी -मेढ़ी पगडंडियों सी है जिंदगी |


झूठ के मेकअप से सजा फोटो नहीं ,

सच के आईने की इमेज है जिंदगी ,

खुशियों के आँसुओं से भरी आँखें ही नहीं ,

ग़मों के कारण आई नमी है जिंदगी |


झूठी मुस्कानों से खिलते होंठ नहीं ,

छिपाई गई आहों की पहचान है जिंदगी ,

जैसी भी है ये कोई बात नहीं है दोस्तों ,

दोस्तों के प्यार में डूबी रसमलाई है दोस्तों |



STAR, MOON & SUN ( GEET )

 

STAR  MOON,  &  SUN


millions of stars ,

twinkling in the sky ,

twinkle - twinkle - twinkle . 


big -big moon ,

smile in the sky ,

he says good evening . 


one big sun ,

rises in the sky ,

he says ,wake up ,

good morning ,stand up ,

get ready for work ,

work ,work and work more .

DAYARI -- 4 ( 07/01 /2021 )

 डायरी  --  4  (07 /01 /2021 )

डायरी आज तुम्हें अपनी बचपन की 

मित्र से मिलवाती हूँ | तुम्हें भी वह बहुत

 पसंद आएगी | उसका नाम पूनम है | एक 

साथ स्कूल में पढ़ते -पढ़ते बड़े हुए हम 

दोनों | साथ स्कूल जाते और साथ ही लौटते | 

घर पर भी साथ -साथ ही पढ़ते | कॉलेज में 

भी साथ ही पढ़े | शादी के बाद अलग शहर 

में बसे | मगर मिलना -जुलना बना रहा | 

प्यार में दूरियाँ तो समाप्त ही हो जाती हैं | 

स्कूल ,कॉलेज की यादें मिलने पर ताजा हो 

जाती हैं | उसके पति हम दोनों को 

" लंगोटिया यार " कहते हैं ,तो खूब ठहाके 

लगते हैं | धन्यवाद डायरी ,मेरी दोस्त से 

मिलने के लिए | 



Tuesday, January 5, 2021

DAYARI -- 3 (06/01/2021 )

       डायरी  - 3  ( 06 /01 /2021  )

जिंदगी सीधी राह पर चलने लगी | प्रिंसिपल 

का प्यार भरपूर मिला | वह मुझे अपनी बेटी 

मानने लगीं | मैं भी प्रसन्न थी | मेरे दिल लगाकर 

काम करने के कारण उन्होंने मुझे भरपूर 

सहयोग दिया | कुछ सहकर्मियों से दोस्ती हुई ,

कुछ ने मुझे छोटी बहिन बनाया | स्कूल का 

वातावरण बहुत प्यार भरा ,सहयोग भरा था | 

समय जैसे पंख लगाकर उड़ने लगा | ऐसे में ही 

बेटी डॉक्टर और बेटा इंजीनियर बन गए | जिंदगी 

बहुत मीठी हो गई | 

धन्यवाद उस ईश्वर का ,जिसने सब कुछ इतना 

अच्छा और सुन्दर कर दिया |

Monday, January 4, 2021

DAYARI -- 2 (05 /01 /2021 )

  डायरी --2 ( 05  /01 /2021 )

मैंने एक वर्ष तक उस नर्सरी स्कूल में कार्य 

किया | इसी बीच दिल्ली नगर निगम में 

अध्यापिकाओं के लिए रिक्त स्थानों की 

घोषणा हुई | अध्यापिकाओं की उम्र बढ़ाकर

40  वर्ष कर दी गई थी | मैं प्रसन्न हो गई |

फार्म भर कर लिखित परीक्षा दी पूर्ण तैयारी 

कर के | उसमें चयन के बाद इंटरव्यू दिया |

चयन हुआ और परिवार खुश हो गया | फिर 

घर और स्कूल दोनों संभाले |

मगर सबसे पहले नौकरी की सूचना उन्हीं

दीदी को दी ,जिन्होंने मेरी पहली मदद की थी |

मेरी नौकरी की बात सुनकर ,दीदी की ख़ुशी 

उनके चेहरे पर झलक रही थी | आज भी उनकी 

आँखों की चमक याद आती है |

धन्यवाद दीदी जी |

Sunday, January 3, 2021

DAIRY ---1 ( LEKH )

 

   डायरी --1  (  04 /01 /2021  )

जिंदगी में पहली बार 2021 में डायरी

लिख रही हूँ | आज से बहुत पुरानी बात 

है | कुछ मजबूरियाँ सभी की जिंदगी में

आती होंगी | मेरी जिंदगी में भी मजबूरी 

आई | पति के एक्सीडेंट के बाद पति को 

नौकरी छोड़नी पड़ी ,उस समय एक

गृहिणी घर को कैसे चलाए ?

धन की आवश्यकता तो होती ही है | ऐसे

में कैसे और क्या हो ? कुछ समझ में नहीं 

आ रहा था |

तभी मेरे बेटे के स्कूल की इंचार्ज ने ( मेरा

बेटा कक्षा -1 में पढ़ रहा था ) मुझे स्कूल 

( नर्सरी  ) में बुलाया और दैनिक वेतन पर 

अध्यापन कार्य दिया | कृतज्ञता से मेरी आँखें 

नम हो आईं | ऐसे व्यक्ति भी दुनिया में होते 

हैं | धन्यवाद उन्हें बहुत -बहुत ,जो निस्वार्थ

भाव से ही दूसरों की मदद करते हैं |

       एक बार फिर से उनका धन्यवाद |

Saturday, January 2, 2021

JIVANT GUNJAN ( GEET )

      

       जीवंत गुंजन 


जीवन की इस बगिया में ,

फूलों की महक जो फैली है ,

हरियाली भी छायी है ,

खुशबुओं की चिड़ियाँ चहकीं हैं | 


ये जीवन इतना बीत  गया ,

खुशियों के तराने गाते हुए ,

खिलती कलियों को देखा कभी ,

तितलियों को देखा आते हुए | 


सतरंगा इंद्रधनुष देखा ,

आकाश में छाते हुए ,

बच्चों की किलकारियों को ,

देखा चहुँ ओर गुँजाते हुए | 


इस पार हमारी दुनिया है ,

सुन्दर सी हमारी प्रकृति है ,

उस पार ना जाने क्या होगा ?

क्या वहाँ भी ऐसा ही जीवन होगा ? 


क्या --हँसता ,गाता सावन होगा ? 

तितलियों ,पंछियों का मेला होगा ? 

मुस्काते चेहरे होंगे ,खिलती हुई कलियों से ,

महकता हुआ उपवन होगा ? 


क्या --इंद्रधनुष वहाँ बनता होगा ? 

कदम -कदम पर जीवन का ,

बहता हुआ ,जीवंत सदा ,

प्यारा सा ,गुनगुनाता सा ,कोई गुंजन होगा ?