जीवंत गुंजन
जीवन की इस बगिया में ,
फूलों की महक जो फैली है ,
हरियाली भी छायी है ,
खुशबुओं की चिड़ियाँ चहकीं हैं |
ये जीवन इतना बीत गया ,
खुशियों के तराने गाते हुए ,
खिलती कलियों को देखा कभी ,
तितलियों को देखा आते हुए |
सतरंगा इंद्रधनुष देखा ,
आकाश में छाते हुए ,
बच्चों की किलकारियों को ,
देखा चहुँ ओर गुँजाते हुए |
इस पार हमारी दुनिया है ,
सुन्दर सी हमारी प्रकृति है ,
उस पार ना जाने क्या होगा ?
क्या वहाँ भी ऐसा ही जीवन होगा ?
क्या --हँसता ,गाता सावन होगा ?
तितलियों ,पंछियों का मेला होगा ?
मुस्काते चेहरे होंगे ,खिलती हुई कलियों से ,
महकता हुआ उपवन होगा ?
क्या --इंद्रधनुष वहाँ बनता होगा ?
कदम -कदम पर जीवन का ,
बहता हुआ ,जीवंत सदा ,
प्यारा सा ,गुनगुनाता सा ,कोई गुंजन होगा ?
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