Saturday, January 2, 2021

JIVANT GUNJAN ( GEET )

      

       जीवंत गुंजन 


जीवन की इस बगिया में ,

फूलों की महक जो फैली है ,

हरियाली भी छायी है ,

खुशबुओं की चिड़ियाँ चहकीं हैं | 


ये जीवन इतना बीत  गया ,

खुशियों के तराने गाते हुए ,

खिलती कलियों को देखा कभी ,

तितलियों को देखा आते हुए | 


सतरंगा इंद्रधनुष देखा ,

आकाश में छाते हुए ,

बच्चों की किलकारियों को ,

देखा चहुँ ओर गुँजाते हुए | 


इस पार हमारी दुनिया है ,

सुन्दर सी हमारी प्रकृति है ,

उस पार ना जाने क्या होगा ?

क्या वहाँ भी ऐसा ही जीवन होगा ? 


क्या --हँसता ,गाता सावन होगा ? 

तितलियों ,पंछियों का मेला होगा ? 

मुस्काते चेहरे होंगे ,खिलती हुई कलियों से ,

महकता हुआ उपवन होगा ? 


क्या --इंद्रधनुष वहाँ बनता होगा ? 

कदम -कदम पर जीवन का ,

बहता हुआ ,जीवंत सदा ,

प्यारा सा ,गुनगुनाता सा ,कोई गुंजन होगा ? 


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