चंदन है माटी
चंदन है माटी अपने देस की ,
चंदन है माटी अपने खेत की ,
खुश्बुओं से भरी हुई ,
शक्तियों से रची हुई ,
ऐसी है माटी अपने देस की |
इसी का तिलक लगाओ तुम ,
इसी को शीश नवाओ तुम ,
प्यार करो इस माटी से ,
प्यारी है माटी अपने खेत की |
जीवन ये देती है सबको ,
शक्ति ये देती है सबको ,
मुस्कान से भरती है सबको ,
ऐसी है माटी अपने देस की |
इसी में उगती हैं फसलें ,
कृषक उगाता है सब फसलें ,
अन्नदाता है कृषक अगर ,
अन्नपूर्णा है माटी अपने खेत की |
ये माटी वरदान हमारा ,
ये माटी अहसान धरा का ,
धरा जो देती हम हैं लेते ,
देन है माटी धरा की ,
अपने देस की ,अपने खेत की |
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