सप्तपदी
इंद्रधनुष में रंग हैं सात ,
भरे हैं उस मालिक ने ,
उन्हीं सात रंगों से ,
भरा हुआ संसार है ,
खिला हुआ संसार है |
सात ही दिन हफ्ते में होते ,
शुरुआत भी और अंत भी ,
हर दिन बीते है जैसे ,
हफ्ते भी बीत जाते हैं वैसे ,
समय में डूबा ये संसार है |
सात सुरों की सरगम से ,
गुंजायमान हर दिल है ,
हर गीत उन्हीं से बनता ,
हर साज उन्हीं पे बजता ,
तभी तो लय में ये संसार है |
भाव ह्रदय में बसते जाते ,
पूजा और सम्मान के ,
प्रेम और प्यार के ,
देशभक्ति और देशप्रेम के ,
वीरता ,बहादुरी बसती यहाँ ,
दोस्ती ,सखा भाव है ,
वात्सल्य ,आदर भाव है ,
दया ,करुणा बसती यहाँ ,
सब में एक अहसास है |
मस्तिष्क में हैं सोच ,विचार ,
सच ,झूठ का अंतर बसता यहाँ ,
गलत ,सही की सोच है ,
कर्त्तव्य का अहसास है ,
ज्ञान है, विज्ञान है ,
जीवन और मरण बसते हैं जहाँ ,
जिम्मेदारियों का अहसास है |
मगर दिल ,दिमाग में ही ,
एक कोना ऐसा है ,
जिसे ना कोई ढूँढ सका ,
उसमें बसते ---- सपने हैं ,
लेखनी और लिखने का अहसास है ,
पढ़ने और खेलने की भी सोच है ,
सोच में भी अहसास है |
दिल के मीठे भावों में ,
छिपी है एक मुस्कराहट ,
छिपी है एक खिलखिलाहट ,
प्यार की दुलार की ,
सपनों के पूरा होने की ,
जीवन में बहार आने की ,
गीतों में बसे संगीत से ,
कदम थिरक उठते हैं ,
लय का उन्हें अहसास है |
सात समंदर हैं इस धरा पर ,
सातों में बहुत फासले हैं ,
मानव रहता बीच (BEACH ) पर उनके ,
लहरों की लय ,ताल को सुनकर ,
जगता मानव का अहसास है |
सात अजूबे हैं इस दुनिया में ,
सातों बिखरे अलग - अलग हैं ,
मानो तो ढेरों हैं अजूबे ,
ना मानो तो नहीं कोई ,
मगर सबसे बड़ा अजूबा ,
मानव का दिल -औ -दिमाग है ,
जो यह नहीं होता तो कैसे ?
धरा पे होता विकास है ,
यही तो एक अहसास है |
शादी में फेरे जब होते सात ,
तभी तो बँधता सूत्र प्रणय का ,
नया परिवार बसाते अपना ,
नया संसार बसाते अपना ,
तभी तो बनता अहसास नया |
सात जन्म मानव के होते ,
पति - पत्नी का साथ है होता ,
प्रणय सूत्र जन्मों का बंधन ,
मानव को एक साथ पिरोता ,
सातों जन्मों का तो बंधु ,
मानव को अहसास है |
सप्तपदी शादी की धड़कन ,
सप्तऋषि तारों की मधुबन ,
नीलगगन में चमकें तो ,
गगन है बंधु उनका आँगन |
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