धरा हिली
धरा हिली ,गिरीं इमारतें ,
मचा हाहाकार ,चीखो पुकार ,
दर्द भरी कराहटों से , गूँजा वातावरण ,
प्रकृति का यह विनाशकारी रूप ,
देखा सभी ने ,मगर ,
महसूस किया कुछ ने ,
भरे -पूरे परिवार ,समृद्ध संसार ,
दब गए मलबे के ढेर में ,
यह थी किस्मत जो ,
लिखी विधाता ने ,
कुछ जीवन समाप्त हुए ,
कुछ तड़प रहे दबे हुए ,
कोई दे सहारा ,
बढ़ाए हाथ ,उठाए उन्हें ,
इस इंतजार में ,
मौत से जूझते हुए ,दर्द से कराहते ,
जीवन लिए जो ऊपर थे मलबे के ,
जरूरतों को तलाशते ,
रोटी के टुकड़े को ,पानी की बूँद को ,
सिर पर एक छत को ,
बदन पर एक कपड़े को ,
पाने की लालसा में ,खड़े हैं इंतजार में |
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