Friday, January 15, 2021

PRAVASI BHARTIY ( PRAVASI SAHITY )

    प्रवासी भारतीय 


क्यों चले गए परदेस ,छोड़कर देस ?

आज ये देस बुलाता है ,

प्यार की धुन ये सुनाता है |


माटी ने दिया संदेस ,उड़ - उड़कर ,

वो भी तो तुमको बुलाती है ,

प्यार की बीन बजाती है |


हवाएँ बहती रहती हैं ,कुछ कह-कहकर,

कहती हैं कहाँ बसे हो तुम ?

प्यार से तुम्हें बुलातीं हैं |


बदरा भी छा -छा कर ,गरज -गरज कर ,

दामिनी का दामन थामते हैं ,

रिमझिम से तुम्हें बुलाते हैं |


पंछी का गान अलग सा है ,प्रेम भरा है ,

वो तो मिलजुल कर गाते हैं ,

आओ जी तुम्हें बुलाते हैं |


नदियाँ ,झरने गाते ,कल -कल ,छल -छल ,

पीने को शीतल जल लाते हैं ,

आओ जी तुम्हें बुलाते हैं |


सुनो तुम सबकी ये बानी ,

हृदय की धड़कन की बानी ,

ये सब दिल को धड़काते हैं ,

धड़क कर तुम्हें बुलाते हैं |




 

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