डायरी - 3 ( 06 /01 /2021 )
जिंदगी सीधी राह पर चलने लगी | प्रिंसिपल
का प्यार भरपूर मिला | वह मुझे अपनी बेटी
मानने लगीं | मैं भी प्रसन्न थी | मेरे दिल लगाकर
काम करने के कारण उन्होंने मुझे भरपूर
सहयोग दिया | कुछ सहकर्मियों से दोस्ती हुई ,
कुछ ने मुझे छोटी बहिन बनाया | स्कूल का
वातावरण बहुत प्यार भरा ,सहयोग भरा था |
समय जैसे पंख लगाकर उड़ने लगा | ऐसे में ही
बेटी डॉक्टर और बेटा इंजीनियर बन गए | जिंदगी
बहुत मीठी हो गई |
धन्यवाद उस ईश्वर का ,जिसने सब कुछ इतना
अच्छा और सुन्दर कर दिया |
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