Sunday, December 31, 2023

PRATILIPI KE BHAV ( KSHANIKA )

 

                          प्रतिलिपि के भाव  


नोट -- दोस्तों प्रतिलिपि द्वारा दिए गए कहानियों के 

शीर्षक पिरोकर यह कविता बनी है ,अपनी राय 

जरूर दीजिएगा ,धन्यवाद | 


  कविता ---

जन्म जब लिया हमने ,रहे दुनिया से हम अनजान ,

अज्ञात थी दुनिया ,अज्ञात उसके रास्ते ,

साथ पा गुरुओं का ,खुले उनके ताले ,

रहस्यमय चाबी से ,खुला अज्ञात रास्ता ,

चल पड़े हम रातों के सफर से ,

अज्ञात सागरों से ,ख़ुशी और गम के सागर से || 


प्रकृति की सुंदरता ,साथ दोस्तों का ,

प्यार और स्नेह ने ,हाथ पकड़ा हमारा ,

अपनों के आँगन  से निकल हमने ,

बाहर की दुनिया ,देखने का अवसर मिला ,

जो स्वप्नों की नगरी से अलग थी ,

हमारे देखे हुए ,सपनों से अलग थी || 

 

मिलने वाले शख्स थे अनजान ,

अजनबीं थीं सभी ,जो बन गईं सहेलियाँ ,

इंद्रधनुषी ,रंगीन आसमान के नीचे ,

गुनगुनाए गए मीठे गीत और ,

बिना आवाज के ही हो गई अनोखी चोरी ,

ये  चोरी  थी हमारे दिल की ,

मिल गया एक हमसफ़र ,एक सच्चा साथी ,

जिंदगी  के सभी रास्ते ,फूलों भरे हो गए || 

 

VIDAAI 2023 KII ( KSHANIKA )

 

                       विदाई  2023 की 


विदा -विदा -विदा साल तेईस ,अंतिम दिन है आया ,

तेईस की विदाई है तो ,दिल तो मायूस होता है ,

मगर नव -वर्ष के स्वागत का ,माहौल भी है छाया ,

आने वाला जाता है ,यही नियम है बनाया || 


इस वर्ष में कुछ खोया है ,और कुछ है पाया ,

किसी बात पर मुस्काए हम ,कुछ पर नयनों ने नीर बहाया ,

जीवन की इन्हीं राहों में ,लगातार कदम बढ़ाया ,

ईश्वर ने हमको जो दिया ,हमने उन्हें धन्यवाद थमाया || 


कल नया साल शुरु होगा ,उसका स्वागत -स्वागत है ,

हर बीते दिन के बाद ,नए दिन का आगत - आगत है ,

जीवन की इस बगिया में ,फूलों का खिलना प्राकृत है ,

कल की सुबह ही ,दो हजार चौबीस का स्वागत है || 


Friday, December 29, 2023

MANN MEIN ( JIVAN )

 

                         मन में 


मत ढूँढो खुशियाँ जग में ,ढूँढो अपने मन में ,

वहीं तो ये बसती हैं ,और हमको खुश रखती हैं || 


खुशियाँ ना खरीदी जातीं ,खुशियाँ ना बेची जातीं ,

ये तो मन में बस कर के ,मंद - मंद मुस्कातीं || 


होठों पे मुस्कानें लातीं ,संग में सबको खुश कर जातीं ,

जो भी ढूँढ ले इनको ,उसको खिल - खिल कर जातीं || 


संख्या इतनी कर जातीं ,झोली सबकी भर जातीं  ,

कभी - कभी तो बंधु अपनी ,

झोली छोटी पड़ जाती ,झोली छोटी पड़ जाती || 

 


Wednesday, December 27, 2023

THAATII ( JIVAN )

 

                           थाती 


जीवन की राहें हैं ,एक भूल - भुलैयां दोस्तों ,

खो मत जाना ,इनमें चलते -चलते दोस्तों ,

याद सदा रखना हमको ,जो साथ में वक्त बिताया था ,

यादों की मिठास ही तो ,अपनी थाती है दोस्तों || 


भूत ,भविष्य तो सुनहरे ,ख्वाब हैं जीवन में ,

जो बीत गया उसे ,तो बदला जा नहीं सकता ,

जो आने वाला समय है ,वह पर्दे में ही छिपा है ,

वर्तमान को ही ,मुस्कानों के साथ जी लो दोस्तों || 


कुछ सहारा ले यादों का ,बिताओ आज का दिन ,

कुछ ख्वाब जो देखे तुमने ,उनमें डूब जाओ दोस्तों ,

ख्वाबों को सजाकर ,जीवन सफल बना लो दोस्तों ,

मुस्कानों को सहेज कर ,जीवन सफल बना लो दोस्तों || 


Tuesday, December 26, 2023

MOTI - MAANIK ( DOHA )

 

                   मोती - माणिक 


मोती - माणिक गहि रहे ,बाकि देय भुलाय ,

अपनेपन की नाव में ,सबको लेय बिठाय || 


कागा सब कुछ खात है ,हंस मोती चुग जाय ,

जीवन सब का अलग है ,सब ही अलग बिताय || 


अपनापन जीवन में हो  ,भाव सागर तर जाय ,

तब ही अपनी आत्मा ,परमात्मा से मिल जाय || 


मोती - माणिक सा जीवन ,परमात्मा ही भिजवाय ,

मानव उसको धरा पर ,ख़ुशी - ख़ुशी बिताय || 


KAR JAAO DOSTON ( JIVAN )

 

                          कर जाओ दोस्तों 


जिस बात से दिल खुश हो जाए ,

उसी को कर जाओ दोस्तों ,

जिस काम से मन को शांति मिल जाए ,

उसी को कर जाओ दोस्तों || 


जिंदगी की राह में ,कदम तो चलते रहेंगे ,

उन्हें चलने दो दोस्तों ,

मंजिल जब मिलेगी ,उस समय का इंतजार करो ,

मंजिल को मुस्कुरा कर ,

स्वीकार कर जाओ दोस्तों || 


किसी के दिल में बसना है ,

तो खुद छोटे हो जाओ दोस्तों ,

किसी को दिल में बसाना हो ,

तो दिल को बड़ा कर जाओ दोस्तों || 


सभी को खुश कर जाओ ,

सभी में मुस्कानें बाँट जाओ दोस्तों ,

तभी तो यह सिलसिला ,

दूर तक चल पाएगा दोस्तों || 


Saturday, December 23, 2023

DIL SE DIL TAK ( JIVAN )

 

                            दिल से दिल तक 



दिल की राहों से ,जो संदेसा तूने भेजा ,

वो संदेसा सीधा मेरे ,दिल तक ही है पहुँचा ,

ना कोई फोन ,ना कोई चिट्ठी ,

सीधा हो वह संदेसा ,मेरे दिल तक पहुँचा || 

 

ऐसे ही हम मीठे संदेसे ,भेजेंगे सभी दोस्तों तक ,

दोस्त भी आगे भेजेंगे ,सभी अपनों के दिल तक ,

प्यार की लड़ियाँ बँध जाएँगी ,सभी अपनों के दिल से || 


धीरे - धीरे देशवासियों के दिल , 

बँध जाएँगे प्यार की डोर में ,

एक देश ही नहीं दोस्तों ,दूसरे देश भी बँधेंगे ,

बँध जाएगा पूरा विश्व ही ,दिल से दिल तक की डोरी में || 


DE DOON ( PREM )

 

                                   दे दूँ 


हैं मेरे हाथ खाली ,तुम्हें क्या दूँ मैं बंधु ? 

मगर हाँ ! दिल भरा है प्रेम और सम्मान से ,

क्या ,वही मैं तुमको दे दूँ ? 


अगर होती ,जो धन - दौलत ,वो तो खर्च हो जाती ,

खर्च होने से उसकी। कीमत कम ही हो जाती ,

तो वह क्यों ,तुमको मैं दे दूँ ? 


मगर ये प्रेम और सम्मान तो ,गर खर्च भी कर दो ,

खजाना इनका बढ़ता जाएगा ,चाहे कितना भी बांटो ? 

तो फिर रहा यह तय ,यही मैं तुमको ही दे दूँ || 


Friday, December 22, 2023

KHOE SAAMAAN ( KSHANIKA )

 

                     खोए सामान 


सामान है भौतिक वस्तु , खो सकता है ,

मगर कुछ सामान ,जो दिल से जुड़े हैं ,

उनका खोना तो दोस्तों ,

बहुत ही बड़ा नुकसान है || 


याद करो वो बचपन के खिलौने ,

जिनसे बचपन चहचहाता था ,मुस्कुराता था ,

वो कंचे ,वो गुल्ली डंडा ,

नन्हीं सी मेरी गुड़िया ,जिससे बातें होती थीं || 


थोड़ा बड़े होने पर ,किशोर अवस्था में ,

रेडियो से दोस्ती होने पर ,गीत गुनगुनाए गए ,

बिनकन गीत माला ,अमीन सयानी जी की बातें ,

आज भी कानों में गूँजती हैं || 


वो रेडियो कहाँ खो गया ? 

वो खिलौने आज नहीं मिल सकते ,

ये खोए सामान कहाँ जा कर सो गए ? 


Monday, December 18, 2023

DHOONDH LO ( JIVAN )

 

                               ढूँढ लो 


स्वयं में ही ,स्वयं को ढूँढ लो दोस्तों ,

यही खोज होगी ,सबसे बड़ी दोस्तों ,

रास्ते ढूँढना मुश्किल नहीं होता ,

मंजिल भी ढूंढने से ,मिल ही जाती है ,

मगर स्वयं को ढूँढना लगभग ,

असंभव ही होता है दोस्तों || 


दुनिया बहुत बड़ी है दोस्तों ,

दुनिया की हर जगह  सकती है ,

मगर स्वयं के अंदर क्या है ? कैसा है ? 

दिल की गहराइयों में ,क्या भाव छिपे हैं ?

दिमाग की ऊँचाइयों में ,क्या ज्ञान छिपा है ? 

उस सब को ढूँढना ही ,

बहुत - बहुत - बहुत ,मुश्किल है   दोस्तों ||

Friday, December 15, 2023

KANKADII ( JIVAN )

 

                       कंकड़ी 


पल -पल ,छिन - छिन जीवन जाता ,

समय का पहिया चलता जाता ,

मुस्कानों से झोली भरे कभी ,

कभी अश्रु छलकाता जाता  || 

 

रंग - बिरंगी छटा बिखेरे ,

फूलों की क्यारी भरता जाता ,

खुश्बुएँ उड़ाए ये जग में ,

दिलों को खुश ही करता जाता || 

 

इंद्रधनुषी छटा खिलाए ,

जग को रंगों से भर जाए ,

होठों पर दे कर मुस्कानें ,

दोस्तों  की महफिलें   सजवाता || 


कभी जीवन को नदिया कर दे ,

कभी झरने सा बहाव लाता ,

कभी समंदर से शांत पानी में ,

डाल कंकड़ी लहरें मचलाता || 


Wednesday, December 13, 2023

GUNGUNAATE GEET ( GEET )

                      

                          गीत 


गुलज़ार साहब ने एक गीत लिखा था ,

मेरा कुछ सामां तुम्हारे पास पड़ा है ,

बहुत सुंदर और बहुत ही प्यारा गीत ,

पूरे ही जग से निराला गीत ,

उसी गीत से प्रेरित ,मेरे भी शब्द खिले ,

और बन गया ,मेरे भावों से भरा गीत || 


बचपन के गलियारों में ,गूँजते मेरे ठहाके ,

सहेलियों को पुकारती ,मेरी खिलती पुकारें ,

उन्हीं में सुनाई देतीं ,मेरे कदमों की आहटें ,

अगर मिल जाएँ ,तो उनका पता मुझे दे दो || 


बचपन के कुछ बरसों बाद ,

गुनगुनाहटों में बीतते ,वो सुंदर से लम्हे ,

जिंदगी से भरपूर ,वो हमारे कहकहे ,

दौड़कर सिनेमा हॉल में पड़ते ,वो हमारे कदम ,

पहले दिन ,पहला शो देख कर ,

वो आँखों का चमकना ,होठों का मुस्कुराना ,

इन सबका पता यदि मिल जाए ,

तो आज भी गुनगुना उठेंगे हमारे गीत || 


Monday, December 11, 2023

DAUD CHALII NADIYAA ( JIVAN )

 

                        दौड़ चली नदिया 


हिम शिखर से उतरी नदिया,उछलती,छलछलाती ,

चली नदिया ,मैदान में दौड़ी नदिया ,

संगीत की धुन गुनगुनाती नदिया ,

दौड़ चली ,देखो दौड़ चली नदिया || 


मैदान में ,किनारों के बीच में ,

धरा उपजाऊ बनाती नदिया ,

सबके दिलों को हर्षाती नदिया ,

सबकी प्यास बुझाती नदिया ,

दौड़ चली ,देखो दौड़ चली नदिया || 


राह सभी देखते उसकी ,मानव और जीव जंतु 

जल जीवों और मानव की प्राणदायिनी नदिया ,

पेड़ - पौधों की वह है संगिनी ,

नाम अनेक दिए मानव ने उसको ,

गंगा ,यमुना ,सरस्वती ,कृष्णा ,कावेरी अनेक हैं ,

दौड़ चली ,देखो दौड़ चली नदिया || 


नहीं रास्ता पूछे किसी से,चलती जाए,चलती जाए ,

कर के पार वह लंबा रास्ता ,

जा कर सागर में समा ही जाए ,

सागर की तो वह बानी प्रियतमा ,

दौड़ - दौड़  ,सागर में मिल जाए नदिया || 


Sunday, December 10, 2023

JEET YAA SEEKH ( JIVAN )

 

                      जीत या सीख 


कुछ भी नया करने से ,मत हिचकिचाओ दोस्तों ,

नया कदम आगे ही ,आगे बढ़ाते जाओ दोस्तों ,

जीवन की डगर ,चाहे सीधी हो टेढ़ी ?

उसे हिम्मत के साथ ,पार कर जाओ दोस्तों || 


नया कदम उठाने में ,जीत मिले या ना मिले ,

हार तो नहीं मिलती ,तो जीत ना मिलने पर ,

नहीं घबराओ दोस्तों , आगे बढ़ने का ,

तरीका ही सीखते जाओ दोस्तों || 


यही सीख तुम्हें हौसला देगी  दोस्तों ,

हर मुश्किल से लड़ने का ,उसे पार करने का ,

तो हिचकिचाहटों   के दायरे को छोड़ के ,

कदम ,कदम बढ़ाओ दोस्तों ,

और रास्तों को पार कर जाओ दोस्तों || 


Thursday, December 7, 2023

CHANDRA MUKHI ( CHANDRAMA)

 

                     चंद्र मुखी 


चंद्रमा को देख - देख ,मैं बनी चंद्र मुखी ,

रोज - रोज चंद्रमा से ,बात मैं करूँ ,

रात को सो जाएँ सब ,मैं जागा करूँ ,

उसी से तो मैं ,खुश हूँ मेरी सखि || 


चंद्रमा खिड़की से बाहर ,गुहार ये लगाए ,

खिड़की पे आजा तू ,हम दोनों ही बतियाएँ ,

मैं दौड़ कर खिड़की पे ,पहुँच जाऊँ मेरी सखि || 


बातों का सिलसिला ,हमारा चलता ही जाए ,

करके ढेरों बातें ,हम दोनों मुस्कुराएँ ,

कैसे समय हमारा ,लंबा ही बीता जाए ?

भोर का तारा ,जब हमको नजर आए ,

तब चंद्रमा  भी दौड़ लगा  ,घर जाए मेरी सखि || 


Wednesday, December 6, 2023

JALAD MUKHII ( JALAD AA )

 

                          जलद मुखी 


बदरा घिरे हैं देखो ,आज तो सखि ,

मैं बन गई हूँ ,मानो  जलद मुखी ,

सूरज मुखी घूमे ,सूरज के साथ - साथ ,

मैं घूम रही हूँ ,बन के जलद मुखी || 


खिल रही है मुस्कान मेरी ,बदरा को देख - देख ,

बदरा भी तो मुस्का रहे ,मुझको देख - देख ,

प्यार और दोस्ती ,दोनों ही बढ़ रहे ,

इस प्यार ने ही तो मुझको ,बनाया जलद मुखी || 


रिमझिम फुहारें बदरा की ,मुझपे पड़ रहीं ,

बूँदों में प्यार बदरा का ,मुझ को मिल रहा ,

ऐसे में तो मुस्कान मेरी ,और बढ़ रही ,

हर कोई मुझको कह रहा ,तू है जलद मुखी || 


Monday, December 4, 2023

SAMAY ( KSHANIKA )

 

                       समय 


समय का पहिया घूमो ही जाय ,

नहीं किसी को देय दिखाय ,

मगर सभी को सारे सुख - दुःख ,

का बंधु ,वो अहसास कराय || 


पकड़ के रखना गर चाहो ,

कस के मुट्ठी  जकड़ो ,

मगर ये तो ऐसा है ,

मुट्ठी से भी फिसलता जाय || 


ये तो बंधु  फिरे दौड़ता ,

आगे - आगे ही बढ़ता जाय ,

नहीं वापसी इसकी होती ,

चाहे कितना लेयो बुलाय ?


ना ही सुखमय ,ना ही दुःखमय ,

कुछ भी तो रुक नहीं पाय ,

इसकी चिंता छोड़ दो बंधु ,

हर समय ही तो बीता जाय ,बीता जाय || 


Friday, December 1, 2023

SAAGAR MUKHI ( RATNAAKAR )

 

                             सागर मुखी 


आज मैं सागर किनारे ,खड़ी सागर को पुकारूँ ,

आजा तू पास मेरे ,बतियाएँ हम दोनों ,

बढ़ आईं उसकी लहरें ,बोलीं वो मुझसे ऐसे ,

हम आएँ  हैं सखि लेने ,आ जाओतुम अंदर || 


हाथ पकड़े वो मेरा ,ले चलीं साथ अपने ,

मैं भी खिलखिलाती ,चली कदम बढ़ाती ,

सागर भी मुस्कुराया ,मुझे देखकर ,

  जब उसने मुझको ,अपने द्वार में खड़ा पाया || 


बातें होने लगीं मेरी ,दोस्तों के साथ ,

मैं खुश थी ,वह भी खुश था ,

दोनों ही अपनी बातों में ,यूँ मगन थे ,

लहरों का ध्यान भी ,हमको नहीं था आया || 


काफी समय बीता ,बातों के सिलसिले में ,

फिर लौटने का ख्याल ही ,अचानक मुझको आया ,

मैं बन गई थी मानो ,एक लहर सागर की ,

सागर ने भी विदा करते ,मुझको गले लगाया ,

क्योंकि मैं ही तो हूँ सागरमुखी ||