ढूँढ लो
स्वयं में ही ,स्वयं को ढूँढ लो दोस्तों ,
यही खोज होगी ,सबसे बड़ी दोस्तों ,
रास्ते ढूँढना मुश्किल नहीं होता ,
मंजिल भी ढूंढने से ,मिल ही जाती है ,
मगर स्वयं को ढूँढना लगभग ,
असंभव ही होता है दोस्तों ||
दुनिया बहुत बड़ी है दोस्तों ,
दुनिया की हर जगह सकती है ,
मगर स्वयं के अंदर क्या है ? कैसा है ?
दिल की गहराइयों में ,क्या भाव छिपे हैं ?
दिमाग की ऊँचाइयों में ,क्या ज्ञान छिपा है ?
उस सब को ढूँढना ही ,
बहुत - बहुत - बहुत ,मुश्किल है दोस्तों ||
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