कंकड़ी
पल -पल ,छिन - छिन जीवन जाता ,
समय का पहिया चलता जाता ,
मुस्कानों से झोली भरे कभी ,
कभी अश्रु छलकाता जाता ||
रंग - बिरंगी छटा बिखेरे ,
फूलों की क्यारी भरता जाता ,
खुश्बुएँ उड़ाए ये जग में ,
दिलों को खुश ही करता जाता ||
इंद्रधनुषी छटा खिलाए ,
जग को रंगों से भर जाए ,
होठों पर दे कर मुस्कानें ,
दोस्तों की महफिलें सजवाता ||
कभी जीवन को नदिया कर दे ,
कभी झरने सा बहाव लाता ,
कभी समंदर से शांत पानी में ,
डाल कंकड़ी लहरें मचलाता ||
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