Friday, December 15, 2023

KANKADII ( JIVAN )

 

                       कंकड़ी 


पल -पल ,छिन - छिन जीवन जाता ,

समय का पहिया चलता जाता ,

मुस्कानों से झोली भरे कभी ,

कभी अश्रु छलकाता जाता  || 

 

रंग - बिरंगी छटा बिखेरे ,

फूलों की क्यारी भरता जाता ,

खुश्बुएँ उड़ाए ये जग में ,

दिलों को खुश ही करता जाता || 

 

इंद्रधनुषी छटा खिलाए ,

जग को रंगों से भर जाए ,

होठों पर दे कर मुस्कानें ,

दोस्तों  की महफिलें   सजवाता || 


कभी जीवन को नदिया कर दे ,

कभी झरने सा बहाव लाता ,

कभी समंदर से शांत पानी में ,

डाल कंकड़ी लहरें मचलाता || 


No comments:

Post a Comment