मन में
मत ढूँढो खुशियाँ जग में ,ढूँढो अपने मन में ,
वहीं तो ये बसती हैं ,और हमको खुश रखती हैं ||
खुशियाँ ना खरीदी जातीं ,खुशियाँ ना बेची जातीं ,
ये तो मन में बस कर के ,मंद - मंद मुस्कातीं ||
होठों पे मुस्कानें लातीं ,संग में सबको खुश कर जातीं ,
जो भी ढूँढ ले इनको ,उसको खिल - खिल कर जातीं ||
संख्या इतनी कर जातीं ,झोली सबकी भर जातीं ,
कभी - कभी तो बंधु अपनी ,
झोली छोटी पड़ जाती ,झोली छोटी पड़ जाती ||
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