दौड़ चली नदिया
हिम शिखर से उतरी नदिया,उछलती,छलछलाती ,
चली नदिया ,मैदान में दौड़ी नदिया ,
संगीत की धुन गुनगुनाती नदिया ,
दौड़ चली ,देखो दौड़ चली नदिया ||
मैदान में ,किनारों के बीच में ,
धरा उपजाऊ बनाती नदिया ,
सबके दिलों को हर्षाती नदिया ,
सबकी प्यास बुझाती नदिया ,
दौड़ चली ,देखो दौड़ चली नदिया ||
राह सभी देखते उसकी ,मानव और जीव जंतु
जल जीवों और मानव की प्राणदायिनी नदिया ,
पेड़ - पौधों की वह है संगिनी ,
नाम अनेक दिए मानव ने उसको ,
गंगा ,यमुना ,सरस्वती ,कृष्णा ,कावेरी अनेक हैं ,
दौड़ चली ,देखो दौड़ चली नदिया ||
नहीं रास्ता पूछे किसी से,चलती जाए,चलती जाए ,
कर के पार वह लंबा रास्ता ,
जा कर सागर में समा ही जाए ,
सागर की तो वह बानी प्रियतमा ,
दौड़ - दौड़ ,सागर में मिल जाए नदिया ||
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