Monday, December 11, 2023

DAUD CHALII NADIYAA ( JIVAN )

 

                        दौड़ चली नदिया 


हिम शिखर से उतरी नदिया,उछलती,छलछलाती ,

चली नदिया ,मैदान में दौड़ी नदिया ,

संगीत की धुन गुनगुनाती नदिया ,

दौड़ चली ,देखो दौड़ चली नदिया || 


मैदान में ,किनारों के बीच में ,

धरा उपजाऊ बनाती नदिया ,

सबके दिलों को हर्षाती नदिया ,

सबकी प्यास बुझाती नदिया ,

दौड़ चली ,देखो दौड़ चली नदिया || 


राह सभी देखते उसकी ,मानव और जीव जंतु 

जल जीवों और मानव की प्राणदायिनी नदिया ,

पेड़ - पौधों की वह है संगिनी ,

नाम अनेक दिए मानव ने उसको ,

गंगा ,यमुना ,सरस्वती ,कृष्णा ,कावेरी अनेक हैं ,

दौड़ चली ,देखो दौड़ चली नदिया || 


नहीं रास्ता पूछे किसी से,चलती जाए,चलती जाए ,

कर के पार वह लंबा रास्ता ,

जा कर सागर में समा ही जाए ,

सागर की तो वह बानी प्रियतमा ,

दौड़ - दौड़  ,सागर में मिल जाए नदिया || 


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