Monday, December 4, 2023

SAMAY ( KSHANIKA )

 

                       समय 


समय का पहिया घूमो ही जाय ,

नहीं किसी को देय दिखाय ,

मगर सभी को सारे सुख - दुःख ,

का बंधु ,वो अहसास कराय || 


पकड़ के रखना गर चाहो ,

कस के मुट्ठी  जकड़ो ,

मगर ये तो ऐसा है ,

मुट्ठी से भी फिसलता जाय || 


ये तो बंधु  फिरे दौड़ता ,

आगे - आगे ही बढ़ता जाय ,

नहीं वापसी इसकी होती ,

चाहे कितना लेयो बुलाय ?


ना ही सुखमय ,ना ही दुःखमय ,

कुछ भी तो रुक नहीं पाय ,

इसकी चिंता छोड़ दो बंधु ,

हर समय ही तो बीता जाय ,बीता जाय || 


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