समय
समय का पहिया घूमो ही जाय ,
नहीं किसी को देय दिखाय ,
मगर सभी को सारे सुख - दुःख ,
का बंधु ,वो अहसास कराय ||
पकड़ के रखना गर चाहो ,
कस के मुट्ठी जकड़ो ,
मगर ये तो ऐसा है ,
मुट्ठी से भी फिसलता जाय ||
ये तो बंधु फिरे दौड़ता ,
आगे - आगे ही बढ़ता जाय ,
नहीं वापसी इसकी होती ,
चाहे कितना लेयो बुलाय ?
ना ही सुखमय ,ना ही दुःखमय ,
कुछ भी तो रुक नहीं पाय ,
इसकी चिंता छोड़ दो बंधु ,
हर समय ही तो बीता जाय ,बीता जाय ||
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