Saturday, October 9, 2021

GAHRAIYAN ( RATNAKAR )

 

              रत्नाकर   

 

कलरव छिप गयाहै घोंसलों में ,

खुशबुएँ छिपी हैं फूलों में ,

चाँद - तारे छिपे हैं बादलों में ,

रत्नाकर की लहरें भी गहराइयों में | 

 

रत्नाकर के अंदर ही ,अनेक रत्न छिपे हैं ,

ऊपर से रत्नाकर ,साधारण सा दिखाई देता है ,

अंदर है रत्नों का खज़ाना ,सुंदर और अनमोल | 

 

सभी जीव -जंतु ,गहराइयों में विचरते ,

साथ उठते -बैठते ,तैरते और रुकते ,

खिलखिलाते ,खेलते ,ना कोई परेशानी ,

जिंदगी तो अनमोल ,जिंदगी तो उनकी दीवानी | 

 

आज रत्नाकर के तट हैं सूने ,

कोई ना आता लहरों से खेलने ,

लहरें भी हो चली उदास हैं ,

उनके भी दिल में एक प्यास है | 

 

कोई आए ,उनके साथ खेले ,उन्हें छुए ,मुस्काए ,

रत्नाकर भी बाट जोहता है ,कोई आए ,उसे बुलाए ,

मगर निस दिन ,आस रह जाती अधूरी ,

कोई नहीं आता ,उसे बुलाता ,जाने कब हो पूरी |