Friday, April 28, 2023

JAADUI SHAAM ( JIVAN )

 

                              जादुई शाम 


ए - मेरे हमसफर ,चल मेरे संग में ,इस नयी राह में ,

पार करने ये लंबा सफर ,इस जादुई शाम में | 


ढलते रवि की ये जादुई किरणें ,शाम को हसीन बनाती हैं ,

ऐसे में ये किरणें ,तुझको - मुजादू  जादू  झको बुलाती हैं | 


रंग सुनहरी जो बिखरा है ,धरा की बन गई  है ,

ऐसे में तो ये धरा ,सपनीली हो गई है | 


ऐसे में हम -तुम जो चले ,शाम का जादू और निखरेगा ,

रवि -किरणों का सोना भी ,कुछ और बिखरेगा ,

आ हम ही समेट लें ,इस सारे जादू को ,इस सारे जादू को | 


Wednesday, April 26, 2023

MUSKAATEEN ( JIVAN )

 

                          मुस्कातीं 


रिश्तों का भंडार अनूठा ,बँधता प्रेम की डोरी से ,

इत - उत डोले धीरे -धीरे ,टूटे ना ये कभी जोरी से | 


तुम भी जोड़ो ,मैं भी जोड़ूँ ,बाँधें इसे मजबूती से ,

हँसते -गाते जीवन बीते ,बँध जाए जो मजबूती से | 


रिश्ता उतना पावन है बंधु ,जितना पावन प्यार है ,

जैसे फूल मुस्काते खूब ,आती जब बहार है | 


फूलों जैसी सुंदरता भी ,देख तितलियाँ मुस्कातीं ,

उन पर बैठ -बैठ के ,गीत सुनातीं ,उड़ जातीं | 


Monday, April 24, 2023

SEEKH ( KSHANIKA )

 

                          सीख 


अच्छे कर्म करके मानव ,उसका जिक्र ना करना कभी ,

उसके फल की चिंता ना करना कभी ,

सब कुछ उस रचेता पर छोड़ दो ,

बेफिक्री में बसर करना सदा | 


अपने शब्दों और सोच को सकारात्मक रखना ,

यही तो रिश्तों और सौहार्द  को ,घटाते और बढ़ाते हैं ,

दोनों को तोल ,मोल कर व्यक्त करना ,

तभी दोनों चैन की नींद सुलाते हैं | 


कभी भी शाम की तरह ,मायूसी लेकर ना ढलना बंधु ,

भोर की तरह उगना तो ,सीखो बंधु ,

एक स्थान पर रुक के ,खड़े मत होना ,थक जाओगे ,

अपने लक्ष्य की और ,बढ़ते रहना ,

लक्ष्य पा जाओगे ,लक्ष्य पा जाओगे | 


Sunday, April 23, 2023

KIRDAAR ( KSHANIKA )

 

                                    किरदार 


जीवन में सभी ,अलग -अलग किरदार निभाते हैं ,

कुछ परखने में माहिर होते हैं ,सबको परखते जाते हैं ,

कुछ इस्तेमाल करके ,साथ छोड़ जाते हैं ,

आप खुद ही समझो उन्हें ,और बचो | 


उन सबसे दूर रहो ,या खुद को उनके ,

गलत इरादों से बचाओ ,

अपनी नजर पैनी रखो ,और स्वयं ही संभल जाओ | 


कोई भी आपको बचाने ,नहीं आएगा दोस्तों ,

हर कोई आपको होनी के ,आसरे छोड़ जाएगा दोस्तों | 


Saturday, April 22, 2023

MERII PAHACHAAN ( KSHANIKA )

 

                               मेरी पहचान 


मेरे अनकहे शब्दों में ,बसे हो तुम मेरे हमदम ,

दिल की तहों में ,तुम्हारे विचार ही बसे हुए हैं ,

कोई भी शब्द ,जो मेरी दुनिया में गूँजते हैं ,

कोई भी शब्द ,जो होठों पे मुस्कानें जड़ते हैं ,

वही शब्द अनोखे हैं ,अनूठे हैं मेरे हमदम | 


मैं चाहती हूँ ,उन शब्दों को ,जुबां पे लाना ,

मैं चाहती हूँ ,उन शब्दों को ,गीतों में पिरोना ,

दिल से बाहर ,वो शब्द निकलेंगे तो ,

सभी जान जाएँगे ,

मेरे दबे - छिपे शब्दों को मेरे हमदम | 


शब्द जो सुंदर हैं ,शब्द जो मीठे हैं ,

शब्द जो प्यार से लिपटे हैं ,

शब्द जो मेरी जान हैं ,

शब्द जो मेरा अरमान हैं ,

शब्द जो मेरी पहचान हैं ,

उन्हीं शब्दों में मेरी धड़कनें बसती हैं मेरे हमदम | 

 

Friday, April 21, 2023

JUDD JAAO DOSTON ( KSHANIKA )

   

                     जुड़ जाओ दोस्तों   


मिट्टी का मटका ही ,बन जाओ तुम दोस्तों ,

अपनी ही धरा से ,तुम जुड़ जाओ दोस्तों ,

अपनी जड़ों को ,मिट्टी में डुबा दो तुम दोस्तों ,

प्रकृति की इस देन को ,प्यार  अपनाओ दोस्तों | 


ईश्वर ने इस प्रकृति को ,सुंदर सा बनाया दोस्तों ,

मानव को उसी में ,उसने उपजाया दोस्तों ,

सोच और स्वास्थ्य से ,मानव को सजाया दोस्तों ,

तो तुम भी अपना कर्म ,पूर्ण -रूपेण निभाओ दोस्तों | 


ये धरा जो माँ है ,जननी है तुम्हारी दोस्तों ,

ये प्रकृति जो साथी है ,सब कुछ देती है दोस्तों ,

प्रकृति के नियमों और ,लाभों को अपनाओ दोस्तों ,

सूरज ,चंदा को भी ,अपना साथी बनाओ दोस्तों |  


Wednesday, April 19, 2023

SAMAY ( DOHAA )

 

                                       समय 


समय तो है  एक चलता पहिया ,हर दिन चलता जाय ,

चाहे अच्छा या बुरा समय हो ,समय बदलता जाय | 


चंचल -चंचल समय है बंधु ,कहीं भी रुक ना पाय ,

समय की इस चंचलता से ,जीवन बीता जाय | 


कभी उदासी ,कभी मुस्कान ,होठों पर समय खिलाय ,

कभी -कभी ये समय तो बंधु ,ठहाके खूब उपजाय | 


समय की इस आवाजाही में ,तुम भी खुश हो जाओ ,

करो नमन इस समय को बंधु ,साथ ही शीश झुकाओ | 


Monday, April 17, 2023

MERII KAMAAII ( GEET )

 

                    मेरी कमाई 


होठों पे खिलने दो मुस्कान ,

मन में उगने दो नूतन गान ,

सुरों की छिड़ने दो मीठी तान ,

यही तो खरी कमाई है दोस्त | 


देखो जब नव - पल्लव को तुम ,

रहो ना तुम तब गुमसुम ,

आँखों में चमक करे रुनझुन ,

यही तो खरी कमाई है दोस्त | 


किसी रोते को हँसा दो तुम ,

सहारे का हाथ बढ़ा दो तुम ,

फूल मुस्कानों के खिला दो तुम ,

यही तो खरी कमाई है दोस्त | 


चाँद से बातें करो अनटोक ,

सागर को बाँहों में भर लो ,

रवि को भोर में करो प्रणाम ,

यही तो खरी कमाई है दोस्त | 


मेरी इस रचना को पढ़ लो ,

थोड़ी सी मुस्कान जगा लो तुम ,

अगर कुछ राय भी दे दो तुम ,

यही तो मेरी खरी कमाई है दोस्त | 


Saturday, April 15, 2023

SAMAY KE PAAR (GEET )

 

 

                   समय के पार 


मनवा उड़ा जाय ,मेरा मनवा उड़ा जाय रे ,

कभी पीछे ,कभी आगे ,देखो मनवा उड़ा जाय रे | 


बचपन में पहुँच गया ये मनवा ,

खेलों में रम गया ये मन

सखा ,सहेली सब याद आय रे ,

मेरा ये मेरा मनवा उड़ा जाय रे | 


स्कूल ,कॉलेज की क्लास में पहुँचा ,

गुरुओं को नमन ,नमन ये करता ,

सीख ,शरारतों की याद कराय रे ,

मेरा तो, मेरा मनवा उड़ा जाय रे | 


कितनी मीठी है उड़ान इसकी ?

कितनी मीठी है याद सभी की ? 

लंबे समय को याद कराय रे ,

मेरा ,मेरा मनवा उड़ा जाय रे | 


देखो तो बेईमान मनवा की बात ,

पहुँच गया उड़ के दो सालों के बाद ,

सपने भविष्य के दिखाता है आज ,

शरारती ये मेरा मनवा उड़ा जाय रे | 


Thursday, April 13, 2023

KHOJ AAG KI ( KSHANIKA )

 

                           खोज आग की 


एक समय था ऐसा बंधु ,मानव जंगलों की ,

गुफा में रहता था ,

जानवरों जैसा खाना - पीना था ,

मगर उन्हीं से डरता था ,झुंड बनाकर रहता था ,

और शिकार जानवर का करता था ,

कर शिकार ,फिर उन्हीं की तरह ,

कच्चा ही भक्षण करता था | 


जंगल में लगी  बार आग ,

मानव उस आग से डरता था,फिर देखा उसने बंधु ,

हर जानवर उस आग से डरता था ,

मानव - मस्तिष्क तब जाग उठा ,

हिम्मत कर उसने अपने डर को भगाया ,

आग को उठाया और उसे ,अपनी गुफा में ले आया | 


डरे जानवर आग से ,गुफा से दूर भाग गए ,

मगर आग को इकठ्ठा करना ,बहुत ही मुश्किल था बंधु ,

तब मानव ने पत्थर को रगड़ के ,

नई आग को उपजाया ,

और आग को घर में ही रखने का ,

उसने ये नया तरीका अपनाया | 


Tuesday, April 11, 2023

THAHAAKE ( JIVAN )

 

                        ठहाके 


जीवन की मीठी यादों का ,नाम ही जिंदगी है ,

गुजरे हर पल तो यादों में ,बस नहीं जाते ,

जो आँखों में ,चमक पैदा करते हैं ,

वर्ना होठों पे मुस्कान ,हर पल नहीं लाते | 


कौन हमारा अपना है ?कौन सच्चा साथी है ? 

ये तो गुजरता हुआ ,वक्त ही बताता है ,

वक्त को ही सबकी पहचान है ,

वही तो सच्चा पारखी है | 


आपके होठों की मुस्कान ,जब चमक जाती है ,

तभी तो हमारे होठों पे ,मुस्कान उतर आती है ,

हमारी मुस्कान बनी रहे हमेशा ,

इसलिए सदा मुस्कुराते रहो दोस्तों | 


कुदरत ने हमें ,मुस्कुराहट का तोहफ़ा दिया है ,

उसका खूब ,इस्तेमाल करो दोस्तों ,

फूल मुस्कुराते हैं ,तो खुश्बुएँ बिखेर देते हैं ,

हम सब मुस्कुराएँगे ,तो ठहाके बिखर जाएँगे | 


Wednesday, April 5, 2023

SANDESAA SAAGAR KAA ( RATNAAKAR )

 

                      संदेसा सागर का 


सागर का संदेसा आया ,लहरें लेकर आईं हैं ,

उसने कहलाया है ,"घर से बाहरनिकल सहेली ,

मैं आया हूँ तेरे घर ,अपना प्यार लेकर के सहेली | " 


" लहरें मेरी मचल -मचल कर ,आईं हैं साथ मेरे ,

वो भी दोस्त मेरी हैं ,देख रहीं हैं तेरा घर ,

तू ,मैं और मेरी लहरें ,मिल के गप्पें मारेंगे सहेली | " 

 

" मेरा आँगन बहुत बड़ा है ,पानी - पानी भरा पड़ा है ,

रत्नों का भंडार जड़ा है ,जीवों से वह भरा पड़ा है ,

ऐसे ही बाहर से देखकर ,तुझे लगेगी बड़ी पहेली | "

 

" लहरें सब- कुछ जानती हैं ,तू उनसे ही बात करे तो ,

सब-कुछ समझा देंगी तुझको ,मेरे घर -अँगना के बारे ,

तू भी सब -कुछ समझ जाएगी ,सुलझा लेगी पूरी पहेली ,

क्योंकि हम दोनों तो हैं ,सखा -सहेली ,सखा -सहेली | " 

 

CHAAND KAA SANDESAA ( CHANDRAMA )

 

               चाँद का संदेसा 


आया है संदेसा चाँद का सखि ,कहा उसने ,

" चमका हूँ मैं आकाश में सखि ,बाहर आ ,

कुछ बातें कर लें हम दोनों ,साथ में सखि | "


" आज तो मैं पूरा गोल हूँ चमका ,

मेरा पूरा रूप है ,आकाश में दमका ,

चाँदनी मेरी फैली है खूब ,तेरे पास में सखि  | "


" मेरी चाँदनी में तुम भी नहा लो आज ,

कुछ देर तो छुट्टी लो ,काम - काज से आज ,

वक्त दोस्त के साथ ,बिता लो जरा सखि |"


" हर रोज मेरा रूप बदल जाता है सखि ,

कभी छोटा ,तो कभी बड़ा ,हो जाता है सखि ,

आज तो पूर्ण हूँ मैं ,चाँदनी भी मेरी चमकीली है सखि ,

चमक जाओ नहा के ,मेरी चाँदनी में सखि | "


Monday, April 3, 2023

SANDESAA BADARAA KAA ( JALAD AA )

 

                         संदेसा बदरा  का      


बदरा ने संदेसा भेजा ," मैं आया हूँ ,

आजा तू घर से बाहर सखे ,

मेरी रिमझिम सी बूँदों में ,तू भी तो ले भीग सखे | "


"मेरी गर्जन सुन कर के ,डर ना जाना प्रिय सखे ,

मेरी तो आवाज कड़क है ,मगर प्यार में डूबी सखे |" 


"रंग -रूप जैसा भी मेरा ,पर मैं हूँ तेरा ही सखे ,

जनम -जनम का रिश्ता अपना ,

नहीं चार दिनों का मेल सखे |"


कुछ ही तो रिश्ते हैं अपने ,तुझसे ,जल से ,दामिनी से ,

बाकी तो जीवन में सब कुछ ,फानी है ,फानी है सखे |"