Wednesday, April 5, 2023

CHAAND KAA SANDESAA ( CHANDRAMA )

 

               चाँद का संदेसा 


आया है संदेसा चाँद का सखि ,कहा उसने ,

" चमका हूँ मैं आकाश में सखि ,बाहर आ ,

कुछ बातें कर लें हम दोनों ,साथ में सखि | "


" आज तो मैं पूरा गोल हूँ चमका ,

मेरा पूरा रूप है ,आकाश में दमका ,

चाँदनी मेरी फैली है खूब ,तेरे पास में सखि  | "


" मेरी चाँदनी में तुम भी नहा लो आज ,

कुछ देर तो छुट्टी लो ,काम - काज से आज ,

वक्त दोस्त के साथ ,बिता लो जरा सखि |"


" हर रोज मेरा रूप बदल जाता है सखि ,

कभी छोटा ,तो कभी बड़ा ,हो जाता है सखि ,

आज तो पूर्ण हूँ मैं ,चाँदनी भी मेरी चमकीली है सखि ,

चमक जाओ नहा के ,मेरी चाँदनी में सखि | "


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