जादुई शाम
ए - मेरे हमसफर ,चल मेरे संग में ,इस नयी राह में ,
पार करने ये लंबा सफर ,इस जादुई शाम में |
ढलते रवि की ये जादुई किरणें ,शाम को हसीन बनाती हैं ,
ऐसे में ये किरणें ,तुझको - मुजादू जादू झको बुलाती हैं |
रंग सुनहरी जो बिखरा है ,धरा की बन गई है ,
ऐसे में तो ये धरा ,सपनीली हो गई है |
ऐसे में हम -तुम जो चले ,शाम का जादू और निखरेगा ,
रवि -किरणों का सोना भी ,कुछ और बिखरेगा ,
आ हम ही समेट लें ,इस सारे जादू को ,इस सारे जादू को |
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