Monday, April 17, 2023

MERII KAMAAII ( GEET )

 

                    मेरी कमाई 


होठों पे खिलने दो मुस्कान ,

मन में उगने दो नूतन गान ,

सुरों की छिड़ने दो मीठी तान ,

यही तो खरी कमाई है दोस्त | 


देखो जब नव - पल्लव को तुम ,

रहो ना तुम तब गुमसुम ,

आँखों में चमक करे रुनझुन ,

यही तो खरी कमाई है दोस्त | 


किसी रोते को हँसा दो तुम ,

सहारे का हाथ बढ़ा दो तुम ,

फूल मुस्कानों के खिला दो तुम ,

यही तो खरी कमाई है दोस्त | 


चाँद से बातें करो अनटोक ,

सागर को बाँहों में भर लो ,

रवि को भोर में करो प्रणाम ,

यही तो खरी कमाई है दोस्त | 


मेरी इस रचना को पढ़ लो ,

थोड़ी सी मुस्कान जगा लो तुम ,

अगर कुछ राय भी दे दो तुम ,

यही तो मेरी खरी कमाई है दोस्त | 


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