जुड़ जाओ दोस्तों
मिट्टी का मटका ही ,बन जाओ तुम दोस्तों ,
अपनी ही धरा से ,तुम जुड़ जाओ दोस्तों ,
अपनी जड़ों को ,मिट्टी में डुबा दो तुम दोस्तों ,
प्रकृति की इस देन को ,प्यार अपनाओ दोस्तों |
ईश्वर ने इस प्रकृति को ,सुंदर सा बनाया दोस्तों ,
मानव को उसी में ,उसने उपजाया दोस्तों ,
सोच और स्वास्थ्य से ,मानव को सजाया दोस्तों ,
तो तुम भी अपना कर्म ,पूर्ण -रूपेण निभाओ दोस्तों |
ये धरा जो माँ है ,जननी है तुम्हारी दोस्तों ,
ये प्रकृति जो साथी है ,सब कुछ देती है दोस्तों ,
प्रकृति के नियमों और ,लाभों को अपनाओ दोस्तों ,
सूरज ,चंदा को भी ,अपना साथी बनाओ दोस्तों |
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