संदेसा बदरा का
बदरा ने संदेसा भेजा ," मैं आया हूँ ,
आजा तू घर से बाहर सखे ,
मेरी रिमझिम सी बूँदों में ,तू भी तो ले भीग सखे | "
"मेरी गर्जन सुन कर के ,डर ना जाना प्रिय सखे ,
मेरी तो आवाज कड़क है ,मगर प्यार में डूबी सखे |"
"रंग -रूप जैसा भी मेरा ,पर मैं हूँ तेरा ही सखे ,
जनम -जनम का रिश्ता अपना ,
नहीं चार दिनों का मेल सखे |"
कुछ ही तो रिश्ते हैं अपने ,तुझसे ,जल से ,दामिनी से ,
बाकी तो जीवन में सब कुछ ,फानी है ,फानी है सखे |"
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