Tuesday, March 29, 2022

KOMAL SAPANE ( JIVAN )

 

               कोमल सपने 

 

फूलों की कोमलता है जग प्रसिद्ध ,

मगर सपनों की कोमलता ? 

क्या कोई जानता है ? 

सपनों की कोमलता के बारे में ? 

 

सपनों की कोमलता या कोमल सपने ,

वो सपने जो प्यार से भरे ,

दुलार से भरे ,

माता -पिता की ममतार से भरे ,

बच्चों की खिलती किलकार से भरे | 

 

कोमल सपने ,जिन्हें याद करते ही ,

होठों पर मुस्कान तिर आए ,

आँखों में चमक छा जाए ,

दिल की धड़कन ,मीठी सी धुन बजाए | 

 

कोमल सपने ,जो दोस्तों के कहकहों से भरे हों ,

यादों के दरीचों में ,पुराने और नए ,

दोस्तों वाले झरोखे खुलें हों ,

याद दोस्तों की ,जीवन को मुस्कुरा दे ,

सपनों को हमारे ,कोमल और कोमलतम बना दे | 

 

Sunday, March 27, 2022

GUNGUNI ( PREM )

 

                         गुनगुनी 

 

कंदराओं में फिरूं मैं ,घूमती सी अनमनी , 

जिंदगी का साज छेड़ूँ ,घूमती सी अनमनी | 


दीये की लौ सी मैं लहकूँ ,दूँ प्रकाश सभी को ,

सागर की लहरों सी चहकूँ ,घूमती सी अनमनी | 


कलियों का राज है चमन में ,रंगों में खिलता है चमन ,

मैं तो फूलों जैसी महकूँ ,घूमती सी अनमनी | 


नदियों की धारा है बहती ,पर्वतों से नीचे की ओर ,

मैं सदा नीचे ही रहती ,घूमती सी अनमनी | 


जिंदगी सबकी चहकती ,इस जहां की ताल पर ,

मेरे दिल की धड़कन तो चलती ,घूमती सी अनमनी | 


आज इस संसार में ,तू है मेरा हमसफ़र ,

मैं भी तेरी हमसफ़र हूँ ,डूबती सी चुनमुनी | 


प्यार हम दोनों का जानम ,है अमर संसार में ,

तू भी ,मैं भी ,दोनों ही ,हो गए हैं गुनगुनी | 


बदरा जब बरसे हैं जानम ,दोनों भीगे हैं खूब ,

बदरा का था पानी कम ,प्यार की बरखा घनी | 


Saturday, March 26, 2022

SUNAHARI DHOOP ( JIVAN )

 

                         सुनहरी धूप 

 

कितनी उधेड़बुन है  जिंदगी में ,कभी छाँव तो कभी धूप ,

वो वो गर चाहे तो बदल सकता है ,जिंदगी का यह रूप | 

 

तमन्ना है कि जिंदगी फिर से ,पहले सी हो जाए ,

मगर यह होगा तभी जब वो ,चाहे बदलना इसका रूप | 

 

जीवन कब एक जैसा चलता है ,बदलता है उसका रूप ,

कंकरीले रास्ते हैं कभी ,तो कभी कालीन बिछे हैं खूब | 

 

रात के अँधियारे छाए हैं कभी ,तो खिली है कभी धूप ,

कभी -कभी तो रात में ही ,खिल गई है चाँदनी अनूप | 

 

भोर हुई तो रवि के दर्शन हुए ,बाद में तो तप गई है धूप ,

शाम के आँगन में आते ही ,फ़ैल गई है हल्की सुनहरी धूप | 


उसी ने दर्द छिड़क दिया ,है पूरे जहान में ,

वही तो छिड़केगा दवा भी ,खाली करेगा दर्दों का कूप | 


वही तो बदलेगा अँधियारों को ,उजियालों की भोर  में ,

वही तो देगा सभी को ,प्यार का अनोखा स्वरुप | 


तू भी हाथ थाम ले उसका ,ले सहारा उसी का ,

वही तो खड़ा करके तुझे ,देगा शक्ति भरपूर | 


रंग जाएगा जीवन ,उसी के प्यारे से रंग में ,

उसी के प्यार में अगर ,तू जाएगा डूब | 


काँच जैसी ये जिंदगी है ,हल्की सी चोट का भी खतरा है ,

बचा के रखना है इसे ,जिससे ये ना टूट जाए | 


कलम से शब्द बिखरते जाते ,पन्नों पे संवर जाते हैं ,

इन्हें जोड़कर तू गीत बना ,खुश हो जाए सबका दिल खूब | 


Thursday, March 24, 2022

JAROORI HAI ( JIVAN )

 

                  जरूरी है 

 

दिल की दुनिया में ,खिलखिलाती हँसी हो ,

या शांति भरी चुप ,

उसमें धड़कन तो शोर मचा ही रही है ,

और वही तो जरूरी है ,

धड़कन के शोर को ,शांत मत होने देना ,

वही तो जरूरी है | 

 

छोटे - छोटे सपने पूरे हों ,तो खुश रहना ,

वही तो जरूरी है ,

बड़े सपने पूरे हों या नहीं ,मुस्काते रहना ,

वही तो जरूरी है | 

 

परिवार के साथ जुड़े रहना ,

वही तो जरूरी है ,

परिवार ही तो अपना है ,जीवन का सपना है ,

वही तो जरूरी है | 


उम्मीदों को जगाए रखना ,आशाओं को थामे रखना ,

वही तो जरूरी है ,

उम्मीदों और आशाओं की डोर से ,जिंदगी बंधी है ,

वही तो जरूरी है | 


महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का ,अथक प्रयास करना ,

वही तो जरूरी है ,

महत्वाकांक्षा -

अपनी हो या परिवार की ,उसको निरंतर पूरा करना ,

वही तो जरूरी है | 


Wednesday, March 23, 2022

VEERON KI YAAD ( DESH )

 

              वीरों की याद

 

मना रहे हैं हम आज ,देश की आजादी का अमृत -महोत्सव ,

आज हम बैठे हैं ,आजादी की ठंडी छाँव में ,

हरियाली फैली है आज ,देश के हर गाँव में | 


देन है उन शहीदों की ,जो हुए कुर्बान देश पर ,

जिंदगी दे दी जिन्होंने ,अपने प्यारे देश पर | 


देश की वो शान हैं ,देश का सम्मान हैं ,

आज भी तो देश का ,बढ़ता उनसे मान है | 


आज हम नमन करें ,आज उन शहीदों को ,

शीश अपना झुका दें ,याद में उन वीरों की | 


Monday, March 21, 2022

BHAASHA OR BHAVANA ( KSHANIKA )

 

       भाषा और भावना 

 

जन्म लिया था जब हमने ,

सुनी थी भाषा माता की ,

वही शब्द थे हमने जाने ,

वही शब्द तो हमने पहचाने | 

 

सुनी निरंतर वह भाषा ,

समझ में आई वह भाषा ,

 बाद में दोस्तों वही भाषा ,

कहलाई हमारी मातृभाषा | 


पढ़ने -लिखने में भी बंधु ,

वही सीखी -सिखाई मातृभाषा ,

मगर अनजानी ही रही ,

अलग -अलग प्रान्त भाषा | 


मगर एक तरीका था ,

एक अलग चुनाव था ,

अनुवाद का ,उसी के जरिए ,

पढ़ीं ,अलग -अलग प्रान्त भाषा | 


मातृभाषा से अलग बंधु ,

भाई हमें मातृभावना ,

भावना शब्द की गहराई में डूबे ,

भाई हमें हर रिश्ते की भावना | 


भावना ,भाषा जैसी नहीं ,

इसका कोई अनुवाद नहीं ,

समझे हम इसको ऐसे ,

मानो दिल में समाई जैसे | 


समझो ये तुम भी बंधु ,

हर रिश्ते की भावना को ,

कोई भी तुम्हें नहीं देगा ,

अनुवाद करके भावना को | 


GALE LAGAAEN ( JALAD AA )

 गले लगाएँ   ( जलद आ  ) भाग - 18 

 

सात रंगों की रंगीनियाँ ,

फ़ैल गईं हैं बदरा के आँचल में ,

जग को रंगीं कर गईं ,

फ़ैल कर बदरा के आँचल में | 


सात सुरों की गूँज तो ,

झंकृत कर गईं बीना के तारों को ,

स्वर अनेक भर गईं वह ,

कोयल की मधुर कूक में | 


सात दिवसों का समय भी ,

सिमटा ग्रहों की बाहों में ,

नामों का सिमटा सिलसिला भी ,

उन्हीं के चमकते नामों में | 


चाहे हों रंगों के बादल ,

चाहे उड़े रंगीन आँचल ,

चाहे स्वर की गूँज मीठी ,

कानों में रस घोल जाए ,

चाहे सप्त नाम दिन के ,

ग्रहों के साथ ही घूमें जाएँ ,

हम तो उस सातवें आसमां पे चढ़ ,

बदरा को अपने गले लगाएँ | 


Thursday, March 17, 2022

KHILAA AMBER ( KSHANIKA )

 

                 खिला अंबर

 

नीले -नीले अंबर में ,बदरा जब छा जाएँ ,

बूँदों की रिमझिम सी ,बारिश जब बरसाए ,

सूरज की किरनों का ,जाल जब बिछ जाए ,

अंबर भी तब तो ,सतरंगी हो जाए | 

 

ऐसा लगता है तब ,अपनी धरा ने ,

ओढ़ी है देखो तो ,सतरंगी चूनर ,

चूनर को ओढ़ के तो ,धरा भी इतराए ,

उसे ऐसे देख के ,अंबर भी मुस्काए | 

 

मौसम तब भीगा सा ,रंगों में डूबा सा ,

सभी कुछ तो ,धरे और अंबर के रंगों में ,

मिल रंगीन हो गया सा ,खिल गया सा ,

मिट्टी भी अब तो ,सौंधी सी खुश्बु लुटाए | 

 

इस सतरंगी मौसम में ,हम भी तो रंग गए ,

उसी में रंग के हम भी ,सतरंगी हो गए ,

मिट्टी की सौंधी सी ,खुश्बु में डूब के ,

हम भी तो अब ,खुश्बुदार हो गए | 

 

 

Tuesday, March 15, 2022

EK SAPANA ( KSHANIKA )

 

               एक  सपना 

 

सुबह की मीठी नींद में देखा ,

हमने सुंदर सपना ,

घूम रहे हैं हम वहाँ दोस्तों ,

बचपन का घर था जो अपना | 

 

छोटी बगिया खिली वहाँ पर ,

तितलियाँ उड़ रहीं थीं फर -फर ,

प्यार बसा था उस बगिया में ,

तितली का खेल था अपना | 

 

बचपन के घर में हम तो दोस्तों ,

रहे खेलते घंटों ,

यादें जहाँ बसी थीं अपनी ,

जीवन बीता जहाँ अपना | 


तभी आए दो साये  वहाँ पर ,

प्यार से हाथ को थामा ,

गौर से उनको देखा जब तो ,

वो थे साये माता -पिता के अपने | 


नींद खुली जब चौंक के दोस्तों ,

पाया खुद को अकेला ,

सपने के ध्यान में हम डूबे ,

और बोल उठे ,"ये तो था एक सपना " | 


Friday, March 11, 2022

THAME RAHO HAATH MERA ( PREM )

 

                    थामे रहो हाथ मेरा 

 

सन्नाटा फैला हर ओर ,कहीं नहीं  है कोई शोर ,

सन्नाटे की एक आवाज ,गूँजती है सिर्फ कान में ,

इस आवाज को कैसे समझें ? कैसे जानें ? 

 

तू भी आ साथी मेरे ,सुन लें ये आवाज ,

कुछ समझे तो बता मुझे ,समझा मुझे ,

कैसे समझूँ ? ये बतला मुझे ,समझा मुझे | 

 

तड़प ये दिल की, तू ना जाने , 

तू ना समझे ,ओ दीवाने तू ना जाने ,

रंग प्यार के कैसे होते ?रंग प्यार के कैसे दिखते ? 


रंगों को और निखर जाने दे ,

सपनों को और संवर जाने दे ,

किस्मत को और चमक जाने दे | 


जीवन जैसा भी चले ,चलाओ खुश होकर ,

जीवन को संवार लो ,हिम्मती होकर ,

भूलो ना एक जीवन है ,सजेगा जैसे उसे ,

सजाओगे ,संवरेगा जैसे उसे संवारोगे | 


आज से कल सुंदर होगा ,कल से सुंदर परसों ,

इसी तरह बनते -बनते बीतेंगे ,फिर बरसों ,

थामे रहो हाथ मेरा ,कस के साथी मेरे | 


हर कदम बढ़ाते जाओ ,हिम्मत और मेरे साथ ,

मैं हूँ तुम्हारे साथ ,सदा तुम्हारे साथ ,

थामे रहो हाथ मेरा ,कस के साथी मेरे  |

Sunday, March 6, 2022

CHAAY KA MAZAA ( PREM )

 

           चाय का मजा 

 

थाम लो मेरे साथ ,चाय का कप ,

बोल के चीयर्स ,टकराओ चाय का कप ,

स्वाद चाय का बढ़ जाएगा ,

आनंद चाय बका बढ़ जाएगा | 

 

साथ बैठकर लेंगे जब ,चुस्कियाँ चाय की ,

मीठी सी हो जाएँगी ,चुस्कियाँ चाय की ,

चाय का मजा तो तभी आएगा | 

 

 जब तुम कहीं जाते हो ,

चाय की चुस्कियों का स्वाद भी तो ,

तुम अपने साथ ही ले जाते हो ,

तब चाय का मजा ,क्या खाक आएगा ? 

 

मैं तुम्हें बहुत तब ,याद करती हूँ ,
आने की तुम्हारे ,तब राह तकती हूँ ,

मेरे कप की चाय भी ,फरियाद करती है ,

आओ जल्दी तभी तो ,चाय का मजा आएगा | 


Thursday, March 3, 2022

SAMAY KAM ( JIVAN )

  

                          समय कम 

 

धरा हमारी प्यारी हमको ,जंगल ,नदियाँ ,

सब बसते हैं ,ऊँचे पहाड़ों के रस्ते हैं ,

जीव -जंतु सब रहते हैं ,कोई धरा पर ,कोई पानी में ,

मगर सभी अपनी ही रवानी में | 

 

कुछ पहाड़ों की ऊँचाइयों में ,कुछ सागर की गहराइयों में ,

कुछ को तो मैं भी जानूँ ,कुछ से मैं हूँ अनजानी ,

दुनिया सब की है ,सब वासी हैं इस दुनिया के ,

कुछ मुझसे अनजाने हैं ,कुछ से मैं हूँ अनजानी | 

 

पानी में कितने प्राणी रहते ? कुछ तो ऊँचे आकाश में उड़ते ,

दुनिया एक है हम सब जानें ,जीव -जंतु कुछ जाने पहचाने ,

दूर कहीं अंतरिक्ष में बंधु ,और जीव भी होते होंगे ,

वो हम सब को ना जानें ,हम भी ना उनको पहचानें | 

 

तारों भरे आसमां में ,ना जाने कितनी नजरें ? 

हमारी धरा को देखती होंगी ,हमें वो ढूँढती होंगी ,

हम भी तो ढूँढते हैं रात में ,किसी अपने जैसे को ,

किसी अलग से को ,काश हम जान पाते | 

 

पता नहीं ,क्या होगा ? समय केपर्दे में ,

नीले आकाश के छिपे खजाने में ? 

रचेता के रचे ब्रह्मांड में ,काश कोई ढूँढ दे ,

अपनी बची जिंदगी में हम जान पाएँ ,

किसी छिपे रहस्यों के पर्दे के पीछे की दुनिया ,

उम्मीद तो कम है ,हम लंबी जिंदगी पार कर चुके ,

आगे समय कम है ,आगे समय कम है | 


Tuesday, March 1, 2022

KHEL LAHARON KE ( RATNAKAR )

 

                       खेल लहरों के 

 

सागर की लहरें लहरातीं ,

शोर मचाकर सबको बुलातीं ,

आओ खेलो साथ हमारे ,

हम सब मिल कर तुम्हें पुकारें | 

 

हम हैं चंचल - चंचल लहरें,

सागर की हैं हम तो प्रहरी ,

तुम आओ और हम को पकड़ो ,

देखो तो हम तुम्हें हराएँ | 

 

रत्नाकर की प्रहरी बन कर ,

दोस्त तुम्हारी हम बन जाएँ ,

प्यार - प्यार से मुस्कानों से ,

हम तो तुम को खेल खिलाएँ | 

 

आओगे गर अँगना हमारे ,

हम सब मिल कर खेलेंगे ,

हम हैं प्यारी - प्यारी लहरें ,

खुशियों से झोली भर देंगे |