खिला अंबर
नीले -नीले अंबर में ,बदरा जब छा जाएँ ,
बूँदों की रिमझिम सी ,बारिश जब बरसाए ,
सूरज की किरनों का ,जाल जब बिछ जाए ,
अंबर भी तब तो ,सतरंगी हो जाए |
ऐसा लगता है तब ,अपनी धरा ने ,
ओढ़ी है देखो तो ,सतरंगी चूनर ,
चूनर को ओढ़ के तो ,धरा भी इतराए ,
उसे ऐसे देख के ,अंबर भी मुस्काए |
मौसम तब भीगा सा ,रंगों में डूबा सा ,
सभी कुछ तो ,धरे और अंबर के रंगों में ,
मिल रंगीन हो गया सा ,खिल गया सा ,
मिट्टी भी अब तो ,सौंधी सी खुश्बु लुटाए |
इस सतरंगी मौसम में ,हम भी तो रंग गए ,
उसी में रंग के हम भी ,सतरंगी हो गए ,
मिट्टी की सौंधी सी ,खुश्बु में डूब के ,
हम भी तो अब ,खुश्बुदार हो गए |
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