Monday, March 21, 2022

GALE LAGAAEN ( JALAD AA )

 गले लगाएँ   ( जलद आ  ) भाग - 18 

 

सात रंगों की रंगीनियाँ ,

फ़ैल गईं हैं बदरा के आँचल में ,

जग को रंगीं कर गईं ,

फ़ैल कर बदरा के आँचल में | 


सात सुरों की गूँज तो ,

झंकृत कर गईं बीना के तारों को ,

स्वर अनेक भर गईं वह ,

कोयल की मधुर कूक में | 


सात दिवसों का समय भी ,

सिमटा ग्रहों की बाहों में ,

नामों का सिमटा सिलसिला भी ,

उन्हीं के चमकते नामों में | 


चाहे हों रंगों के बादल ,

चाहे उड़े रंगीन आँचल ,

चाहे स्वर की गूँज मीठी ,

कानों में रस घोल जाए ,

चाहे सप्त नाम दिन के ,

ग्रहों के साथ ही घूमें जाएँ ,

हम तो उस सातवें आसमां पे चढ़ ,

बदरा को अपने गले लगाएँ | 


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