Wednesday, March 31, 2021

JELLY RE JELLY ( HAASY RAS )

  

          जैली रे जैली 

 

जैली रे जैली ,तेरा रंग कैसा ? 

दूध ,संतरी और गुलाब जैसा | 

जैली रे जैली ,तेरा स्वाद कैसा ? 

रंग ,खुश्बु की तरह ,अलग जैसा | 

 

पानी उबाल कर ,जैली पाउडर मिलाएँ ,

धीरे - धीरे से उसे ठंडा कराएँ ,

मगर छोटे बच्चे शोर मचाएँ ,

नानी जल्दी ठंडा करो ,जिससे हम खाएँ | 

 

फ्रिज में रख कर ,ठंडा जो किया ,

बाउल में जैली ने ,डांस वो किया ,

छोटी बाउल में ,बच्चों ने लिया ,

चम्मच में जैली ,हिलती ,फिसलती रही | 

 

उसकी फिसलन पर ,बच्चों ने हँस दिया ,

धीरे - धीरे जैली ,मुँह में फिसलती रही ,

बच्चों के चेहरों पे ,हँसी खिलती रही ,

जैली रे जैली ,ओ मेरी जैली | 

 

 

 

Monday, March 29, 2021

TUMHARE SAMNE ( GEET )

 

          तुम्हारे सामने 

 

तुम्हें सामने पाके नजरें ,

उठीं मगर झुक गईं ,

तुम्हारी नजरें थीं ,चेहरे पर मेरे ,

आया पसीना ,ठंडी हवा में ,

कहा बोलने को ,होठों ने तेरे ,

लगी सोचने मैं ,बोलूँ मैं क्या ? 

लव्ज़ खिल सके ना ,अधरों पे मेरे | 

 

एक अर्से से ,सजाए थे सपने ,

तुम मिलोगे ,मुलाकातें होंगी ,

बातें होंगी ,देखेंगे तुम्हें जी भर के ,

पर जब तुम मिले ,

तो मुलाकातें हुईं ,बातें ना हुईं ,

देखा जरूर मगर ,जी भर के नहीं | 

 

Sunday, March 28, 2021

NAZAREN (GEET)

 

           नजरें 


रेशम के कच्चे तारों से ,

कैसे बुन पाऊँगी ?

मैं अपने जीवन के जाल अधूरे | 


प्रणय , प्यार ना ,माँग सुहाग ,

कुछ भी नहीं मेरे सोए भाग्य ,

जिस ओर बढ़ी मैं लिए उम्मीद ,

वहीं दिया अपनों ने त्याग ,

बिखर गए मेरे सारे ,

हुए नहीं सपने पूरे | 


हर ओर एक ही सूनापन ,

हर तरफ एक वीरानापन ,

क्या इन्हीं में खो जाएगा ? 

मेरा पतझड़ सा ये जीवन ,

क्या कभी नजारा खुशियों का ?

देखेंगी नहीं मेरी नजरें | 


PYAAR KI HOLI ( DOHE )

 

                 प्यार की होली 

सभी को होली की बहुत - बहुत बधाई ,

दोहे --

लाल रंग है प्यार का ,पीला है स्नेह ,

नीला रंग आकाश का ,बढ़ा लो सबसे नेह | 

 

घर में तुम अंदर रहो ,निकलो ना बाहर ,

कोरोना का संकट तो ,आए ना अंदर | 

 

रंग उड़ाओ प्यार का ,फैला दो स्नेह ,

गगना तक फैलाओ ,सबके दिल में नेह | 


होली का त्योहार है ,खुशियों से भरपूर ,

परिवार संग खेल लो ,इसको तुम भरपूर | 



 

Thursday, March 25, 2021

HO JAAEN ( GEET )

 

                 हो जाएँ 


मेरी नज़रों की ज़ुबां समझ लो गर ,

मेरी हर मुश्किल आसां हो जाए ,

प्यार से यूँ मुझे लो बाँहों में ,

दिल की तमन्ना तो पूरी हो जाए | 


प्यार नज़रों से तेरी छलका है ,

जाम भर लूँ मैं अपनी खुशियों का ,

मुझको नजरें जरा मिलाने दे ,

मेरी नजरें शराबी हो जाएँ | 


खुश्बु आई है तेरी साँसों से ,

हरेक फूल महका गुलशन का ,

इस तरफ भी जो हो निगाहे - करम ,

मेरी तन्हाईयाँ महक जाएँ | 


Wednesday, March 24, 2021

AAII HAI ( GEET )

        

              आई है 

 

उनके आने की खबर आई है ,

कितनी प्यारी ये घड़ी आई है |

 

कितना अजब है ये तेरा संदेसा ,

कि हवा में तेरी साँसों की महक आई है | 

 

बाहर की किसी भी आहट पर मेरी ,

चुनरी काँधे से सरक आई है | 

 

प्यार से तू मुझे ऐसे छुएगा ,

लाज की लाली गालों पे सिमट आई है | 

 

तेरी नज़रों की याद आने से ,

प्यार की मस्ती सी छलक आई है | 

 

किस तरह प्यार करूँगी तुझको ,

होठों पे थिरकन सी उभर आई है |


Tuesday, March 23, 2021

GUNGUNAYENGE ( GEET )

     

               गुनगुनाएँगे 


सुन मेरे साजना रे ,

    तेरी यादों में डूबी हूँ ,

        ख्यालों में मेरे हमदम ,

            मैं इतना खो गई हूँ | 


कि सुध है नहीं अपनी ,

    ये दिल हुआ दीवाना है ,

        लबों पर इक तराना है ,

            जो बस तुमको सुनाना है | 


अगर तुम आओगे सजना ,

     मेरे लब मुस्कुराएँगे ,

         मेरे दिल का तराना ,

             ये ही तो गुनगुनाएँगे | 


PARI AAI ( CHANDRAMA )

        

  चंद्रमा  ( परी आई )  भाग -- 7


एक परी आई मेरे आँगन में ,

एक कली खिली मेरे गुलशन में--- | 


बहार लौट आई घर फिर से ,

देखने उस कली की मुस्कानें ,

देख कर बार - बार उसको ,

मन मेरा लगता है गुनगुनाने --- | 

 

चाँद शर्माता है चेहरे से उसके ,

चाँदनी छुप के लौट जाती है ,

जब मेरी गुड़िया के चेहरे पर ,

एक खिलती सी हँसी आती है --- |

 

जिंदगी खुशियों से भर जाएगी ,

दामन में फूल होंगे सारे ,

जिधर भी कदम उठा देगी वो ,

उसके अनुकूल होंगे तारे --- | 

 

 


Monday, March 22, 2021

PREYASI ( CHANDRAMA ) ( GEET )

 

    चंद्रमा  ( प्रेयसी )  भाग -- 28 

 

 चाँदनी के आँचल में ,

     लिपटी रात के ,

        दर्द को ,कौन समझ पाया ? 

            सभी ने ,चाँद को समझा | 

 

रात का टीका ,

    और सोचा ,

         गहने हैं सितारे ,

             खड़ी है पहने ,

                  बाँहें पसारे | 

 

पिया मिलन को आतुर ,

    दिन ,जो पिया था रात का ,

        जो बेखबर था उससे ,

             जा मिला उषा से ,

                  और कभी संध्या से | 

 

जाने के बाद उनके ,

   सोचा चलूँ घर ,

       मनाऊँ ,रूठी प्रेयसी को ,

           पर फिर,देर हो चुकी थी ,

                रात तो तब तक ,

                    दुल्हन बन सन्नाटे की ,

                         सो चुकी थी |       



Sunday, March 21, 2021

KALPANA ( GEET ) PITA KE UDGAAR

 

           कल्पना    ( पिता के उदगार )

 

एक कल्पना प्यारी सी आई मेरे घर आज ,

दिन बड़ा सुहावना प्यारी तारीख है आज ,

दिल चाहता है नाचने को आज ,

कई युग के बाद एक कली आई मेरे घर आज | 

 

फूलों से भी नाजुक है वो ,

चाँद से भी खूबसूरत है वो ,

एक भीगी सी महक घर में छाई हुई है ,

मैं तो होश गँवा रहा हूँ इस महक में आज | 

 

कोई तो संभालो मुझको ,

मेरी भी उम्र लग जाए इसको ,

कभी ना मुरझाए मेरी छोटी सी कल्पना बेटी ,

कभी ना हो इसको कोई दुःख ,

भगवान इसको खुश रखना सदा | 

 

 

Friday, March 19, 2021

ANOKHA RANGMANCH ( NATAK IN RANGMANCH )

    अनोखा  रंगमंच 

                प्रथम  दृश्य 

 दुनिया के रंगमंच पर,उतरे कई सितारे ,

सुंदर ,सुनहरे ,चमकीले ,अनगिनत सितारे |


पहला सितारा भानु आया,

किरनों का जाल फैलाया ,

दुनिया में जीवन उपजाया,

साँसों का परिसर फैलाया |


भानु --

" जागो रश्मियों जागो ,कदम बढ़ाती जाओ ,

 रोशनी तुम फैलाओ ,अपना जाल बिछाओ ,

 सर्दी को गर्माओ ,जीवन को उपजाओ | "

रश्मियाँ --

"जो आज्ञा भानु ,हम सब जाती हैं ,

आपकी दी गई ,आज्ञा का पालन करती हैं |"

                 प्रणाम कर जाती हैं |

                  द्वितीय दृश्य 

सभी रश्मियाँ एक साथ मिल ,

बन कर धूप उतरती हैं ,

धरती को गर्माती हैं ,

जल को वाष्प बनाती हैं |


जल वाष्पित हो उड़ता है ,

आपस में जल - कण मिलकर के ,

बदरा का रूप बनाते हैं |


घन - घन बदरा ,गरज - गरज कर ,

बूँदों को बरसाता है ,

जल - बूँदों की सुंदर वर्षा ,

गर्मी को कम कर जाती है ,

भानु रश्मियों को हल्के से ,

सहला जाती है |

               तृतीय दृश्य 

संध्या अवतरित होती है ,

शीतल बयार बह जाती है ,

सबका मन हर्षाती है ,

खेलों में बच्चे डूबे हैं ,

साँसों के परिसर झूले हैं ,

सैर में सब जन भूले हैं |


धीरे -धीरे भानु अपनी ,

कुटिया की ओर बढ़ता जाता है ,

साथ ही उसकी रश्मियाँ,सिमट-सिमटकर,

घर अपने को जाती हैं |

             चतुर्थ दृश्य 

धीरे -धीरे रजनी ,

अपना कदम बढ़ाती है ,

चरों ओर वह छा जाती है ,

ऐसे ही अंधकार में ,

गगन में चाँद उदय होता ,

चमकीला ,गोल - गोल चाँद ,

संग में लिए चाँदनी |


अपना चमकीला चाँदी सा ,

रूप लिए चाँदनी ,

चमकीली धूप लिए चाँदनी ,

सब ओर फैलती चाँदनी ,

अपने आँचल में धरा को ,

समेटती चाँदनी |


देख -देख प्राणी खुश होते ,

चैन से सभी प्राणी अपने ,

घरौंदो में सोते ,गहरी चैन की नींद ,

सभी अपने सपनों में खोते ,

कुछ भविष्य -निर्माण के ,

कुछ प्यार के ,दुलार के ,

अलग-अलग प्राणी,अलग-अलग सपने|


अलग सा ये अपना रंगमंच ,

बनाया जिसने ,सजाया जिसने ,

मुस्कुराया वो ,रचेता वो ,

कठपुतली की तरह ,सबको नचाए वो ,

खुशियाँ सभी की झोली में डाले वो | 


समेटना है कैसे ?

" ये तो हम -तुम क्या जानें ?

जाने सिर्फ वो ,चलो विदा लेते हैं ,

आगे फिर मौका मिला तो ,

आएँगे अपना ,किरदार निभाने ,

विदा दोस्तों | "




Wednesday, March 17, 2021

SHRIDHHA SUMAN (RUBAIYAN )

 

       शृद्धा   सुमन 

 

ये मेरे शृद्धा सुमन मेरे प्रिय कवि 

स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन जी के लिए --- , 

 

बैठ किनारे सागर के ,

भरा है मिट्टी का प्याला ,

   देख - देख मुस्काता हूँ ,

    उसमें भरी भरी हुई हाला ,

कोई ना आएगा दोस्त ,

कोई नहीं होगी साकी बाला ,

     खाली जब हो जाए प्याला ,

      भर देगी अपनी मधुशाला | 


घूँट - घूँट कर पीता हूँ ,

खाली ना होता प्याला ,

     पर कम होती जाती है ,

      मेरी मदिर ,मादक हाला ,

देख रही है खड़ी -खड़ी ,

मुस्काती साकी बाला ,

       सागर उसके हाथों में ,

        सजी है अपनी मधुशाला | 


बीता उसका हर पल ही ,

छलकाते अपना प्याला ,

     उस प्याले में भरी हुई थी ,

       मस्त ,मदिर ,मादक हाला ,

उस हाला को पिया किसी ने ,

वो भी तो मदमस्त हुआ ,

       रास आ गई उनको भी ,

       बच्चन जी की मधुशाला | 


Tuesday, March 16, 2021

BARASI ( JALAD AA )

 

   बरसी   ( जलद  आ  )  

 

मैं तो चुप थी ,मैं थी सोई , 

मेरे दुःख में , बदली रोई |

 

दिल भर आया ,आँख ना बरसी ,

पर ऐसे में ,बदली बरसी | 


ना सखि मेरी ,ना तू बहना ,

फिर काहे को ,तू यूँ रोई  | 


कह दे पिया से ,तड़पें ना वो ,

अगर मिलूँ फिर , नींद में सोई  |  



Thursday, March 11, 2021

ZULFEN ( CHANDRAMA )

     

            ज़ुल्फ़ें 

 

जुल्फ़ें खुली हुईं हैं ,

    तुम ही इन्हें सँवारो ,

        रातों की चाँदनी को ,

            तुम ही जरा निखारो  | 

 

सारा जहां है सोया ,

   सपनों में है वो खोया ,

         दिल मेरा डूबा जाता ,

             तुम ही उसे उबारो  | 

 

उजली सी चाँदनी भी ,

    फैली है इस धरा पर ,

         चेहरे पे बिखरी जुल्फ़ें ,

                तुम ही इन्हें सँवारो  |

NEEND KA PAIGHAM ( CHANDRAMA )

    

          नींद का पैग़ाम 

 

ढल गया दिन आई शाम ,

लाई तेरे लिए नींद का पैग़ाम ,

चंदा भी गाता लोरी ,

चाँदनी झुलाती है पलना  ------  | 

 

कलियाँ सोईं हैं चमन में ,

तारे सोए हैं गगन में ,

पंछी सोए आँगन में ,

तू भी सोजा मेरे मन में  ------  | 

 

निंदिया रानी आएगी ,

सपने तुझे दिखाएगी , 

परियों के उस देश की वो ,

तुझको सैर कराएगी  ------  | 



Tuesday, March 9, 2021

KAR PAATE ( GEET )

      

     कर   पाते 


पलकें बिछीं हैं राहों में ,

आरजू हैं लिए निगाहों में ,

हम भी काबिल जो तेरे हो जाते ,

काश तुम हमको प्यार कर पाते | 


दिल को खुशियाँ जो नहीं मिलतीं ,

दिल में हमारे दर्द पल पाते ,

जिंदगी फूलों से महक उठती ,

काँटों पर ही पाँव चल पाते | 


तू हमें अपना ना कहता न सही ,

हम ही साथ तेरे चल पाते ,

तूने तो जिंदगी को जी ही लिया ,

काश हम बिन मौत ही तो मर जाते |