कल्पना ( पिता के उदगार )
एक कल्पना प्यारी सी आई मेरे घर आज ,
दिन बड़ा सुहावना प्यारी तारीख है आज ,
दिल चाहता है नाचने को आज ,
कई युग के बाद एक कली आई मेरे घर आज |
फूलों से भी नाजुक है वो ,
चाँद से भी खूबसूरत है वो ,
एक भीगी सी महक घर में छाई हुई है ,
मैं तो होश गँवा रहा हूँ इस महक में आज |
कोई तो संभालो मुझको ,
मेरी भी उम्र लग जाए इसको ,
कभी ना मुरझाए मेरी छोटी सी कल्पना बेटी ,
कभी ना हो इसको कोई दुःख ,
भगवान इसको खुश रखना सदा |
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