चंद्रमा ( परी आई ) भाग -- 7
एक परी आई मेरे आँगन में ,
एक कली खिली मेरे गुलशन में--- |
बहार लौट आई घर फिर से ,
देखने उस कली की मुस्कानें ,
देख कर बार - बार उसको ,
मन मेरा लगता है गुनगुनाने --- |
चाँद शर्माता है चेहरे से उसके ,
चाँदनी छुप के लौट जाती है ,
जब मेरी गुड़िया के चेहरे पर ,
एक खिलती सी हँसी आती है --- |
जिंदगी खुशियों से भर जाएगी ,
दामन में फूल होंगे सारे ,
जिधर भी कदम उठा देगी वो ,
उसके अनुकूल होंगे तारे --- |
No comments:
Post a Comment