अनोखा रंगमंच
प्रथम दृश्य
दुनिया के रंगमंच पर,उतरे कई सितारे ,
सुंदर ,सुनहरे ,चमकीले ,अनगिनत सितारे |
पहला सितारा भानु आया,
किरनों का जाल फैलाया ,
दुनिया में जीवन उपजाया,
साँसों का परिसर फैलाया |
भानु --
" जागो रश्मियों जागो ,कदम बढ़ाती जाओ ,
रोशनी तुम फैलाओ ,अपना जाल बिछाओ ,
सर्दी को गर्माओ ,जीवन को उपजाओ | "
रश्मियाँ --
"जो आज्ञा भानु ,हम सब जाती हैं ,
आपकी दी गई ,आज्ञा का पालन करती हैं |"
प्रणाम कर जाती हैं |
द्वितीय दृश्य
सभी रश्मियाँ एक साथ मिल ,
बन कर धूप उतरती हैं ,
धरती को गर्माती हैं ,
जल को वाष्प बनाती हैं |
जल वाष्पित हो उड़ता है ,
आपस में जल - कण मिलकर के ,
बदरा का रूप बनाते हैं |
घन - घन बदरा ,गरज - गरज कर ,
बूँदों को बरसाता है ,
जल - बूँदों की सुंदर वर्षा ,
गर्मी को कम कर जाती है ,
भानु रश्मियों को हल्के से ,
सहला जाती है |
तृतीय दृश्य
संध्या अवतरित होती है ,
शीतल बयार बह जाती है ,
सबका मन हर्षाती है ,
खेलों में बच्चे डूबे हैं ,
साँसों के परिसर झूले हैं ,
सैर में सब जन भूले हैं |
धीरे -धीरे भानु अपनी ,
कुटिया की ओर बढ़ता जाता है ,
साथ ही उसकी रश्मियाँ,सिमट-सिमटकर,
घर अपने को जाती हैं |
चतुर्थ दृश्य
धीरे -धीरे रजनी ,
अपना कदम बढ़ाती है ,
चरों ओर वह छा जाती है ,
ऐसे ही अंधकार में ,
गगन में चाँद उदय होता ,
चमकीला ,गोल - गोल चाँद ,
संग में लिए चाँदनी |
अपना चमकीला चाँदी सा ,
रूप लिए चाँदनी ,
चमकीली धूप लिए चाँदनी ,
सब ओर फैलती चाँदनी ,
अपने आँचल में धरा को ,
समेटती चाँदनी |
देख -देख प्राणी खुश होते ,
चैन से सभी प्राणी अपने ,
घरौंदो में सोते ,गहरी चैन की नींद ,
सभी अपने सपनों में खोते ,
कुछ भविष्य -निर्माण के ,
कुछ प्यार के ,दुलार के ,
अलग-अलग प्राणी,अलग-अलग सपने|
अलग सा ये अपना रंगमंच ,
बनाया जिसने ,सजाया जिसने ,
मुस्कुराया वो ,रचेता वो ,
कठपुतली की तरह ,सबको नचाए वो ,
खुशियाँ सभी की झोली में डाले वो |
समेटना है कैसे ?
" ये तो हम -तुम क्या जानें ?
जाने सिर्फ वो ,चलो विदा लेते हैं ,
आगे फिर मौका मिला तो ,
आएँगे अपना ,किरदार निभाने ,
विदा दोस्तों | "
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