Friday, March 19, 2021

ANOKHA RANGMANCH ( NATAK IN RANGMANCH )

    अनोखा  रंगमंच 

                प्रथम  दृश्य 

 दुनिया के रंगमंच पर,उतरे कई सितारे ,

सुंदर ,सुनहरे ,चमकीले ,अनगिनत सितारे |


पहला सितारा भानु आया,

किरनों का जाल फैलाया ,

दुनिया में जीवन उपजाया,

साँसों का परिसर फैलाया |


भानु --

" जागो रश्मियों जागो ,कदम बढ़ाती जाओ ,

 रोशनी तुम फैलाओ ,अपना जाल बिछाओ ,

 सर्दी को गर्माओ ,जीवन को उपजाओ | "

रश्मियाँ --

"जो आज्ञा भानु ,हम सब जाती हैं ,

आपकी दी गई ,आज्ञा का पालन करती हैं |"

                 प्रणाम कर जाती हैं |

                  द्वितीय दृश्य 

सभी रश्मियाँ एक साथ मिल ,

बन कर धूप उतरती हैं ,

धरती को गर्माती हैं ,

जल को वाष्प बनाती हैं |


जल वाष्पित हो उड़ता है ,

आपस में जल - कण मिलकर के ,

बदरा का रूप बनाते हैं |


घन - घन बदरा ,गरज - गरज कर ,

बूँदों को बरसाता है ,

जल - बूँदों की सुंदर वर्षा ,

गर्मी को कम कर जाती है ,

भानु रश्मियों को हल्के से ,

सहला जाती है |

               तृतीय दृश्य 

संध्या अवतरित होती है ,

शीतल बयार बह जाती है ,

सबका मन हर्षाती है ,

खेलों में बच्चे डूबे हैं ,

साँसों के परिसर झूले हैं ,

सैर में सब जन भूले हैं |


धीरे -धीरे भानु अपनी ,

कुटिया की ओर बढ़ता जाता है ,

साथ ही उसकी रश्मियाँ,सिमट-सिमटकर,

घर अपने को जाती हैं |

             चतुर्थ दृश्य 

धीरे -धीरे रजनी ,

अपना कदम बढ़ाती है ,

चरों ओर वह छा जाती है ,

ऐसे ही अंधकार में ,

गगन में चाँद उदय होता ,

चमकीला ,गोल - गोल चाँद ,

संग में लिए चाँदनी |


अपना चमकीला चाँदी सा ,

रूप लिए चाँदनी ,

चमकीली धूप लिए चाँदनी ,

सब ओर फैलती चाँदनी ,

अपने आँचल में धरा को ,

समेटती चाँदनी |


देख -देख प्राणी खुश होते ,

चैन से सभी प्राणी अपने ,

घरौंदो में सोते ,गहरी चैन की नींद ,

सभी अपने सपनों में खोते ,

कुछ भविष्य -निर्माण के ,

कुछ प्यार के ,दुलार के ,

अलग-अलग प्राणी,अलग-अलग सपने|


अलग सा ये अपना रंगमंच ,

बनाया जिसने ,सजाया जिसने ,

मुस्कुराया वो ,रचेता वो ,

कठपुतली की तरह ,सबको नचाए वो ,

खुशियाँ सभी की झोली में डाले वो | 


समेटना है कैसे ?

" ये तो हम -तुम क्या जानें ?

जाने सिर्फ वो ,चलो विदा लेते हैं ,

आगे फिर मौका मिला तो ,

आएँगे अपना ,किरदार निभाने ,

विदा दोस्तों | "




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