शृद्धा सुमन
ये मेरे शृद्धा सुमन मेरे प्रिय कवि
स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन जी के लिए --- ,
बैठ किनारे सागर के ,
भरा है मिट्टी का प्याला ,
देख - देख मुस्काता हूँ ,
उसमें भरी भरी हुई हाला ,
कोई ना आएगा दोस्त ,
कोई नहीं होगी साकी बाला ,
खाली जब हो जाए प्याला ,
भर देगी अपनी मधुशाला |
घूँट - घूँट कर पीता हूँ ,
खाली ना होता प्याला ,
पर कम होती जाती है ,
मेरी मदिर ,मादक हाला ,
देख रही है खड़ी -खड़ी ,
मुस्काती साकी बाला ,
सागर उसके हाथों में ,
सजी है अपनी मधुशाला |
बीता उसका हर पल ही ,
छलकाते अपना प्याला ,
उस प्याले में भरी हुई थी ,
मस्त ,मदिर ,मादक हाला ,
उस हाला को पिया किसी ने ,
वो भी तो मदमस्त हुआ ,
रास आ गई उनको भी ,
बच्चन जी की मधुशाला |
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