Tuesday, June 30, 2020

TERE PAAS

   तेरे पास

यान पहुँचा -ए - चँदा ,
ले के प्यार हमारा तेरे पास ,
उतरा तेरे आँगन में ,
ले के प्यार हमारा तेरे पास |

तू मुस्काया देख प्यार को ,
हम मुस्काए दे के प्यार को ,
दुनिया भी मुस्कायी चँदा ,
देख हमारी मुस्कानों को ,
इन मुस्कानों को चँदा ,
रख ले अपने पास  |

बार - बार हम आएँगे ,
तुझपे प्यार लुटाएँगे ,
तू भी चँदा चमकते रहना ,
हम पे प्यार लुटाते रहना ,
अपनी चाँदनी को रोज ही चँदा ,
भेज हमारे पास  |

रुक ना पाएँ ,तू और हम ,
मिलते जाएँ , तू और हम ,
सदा साथ यूँ चलते रहें ,
ऊपर तू है नीचे हम ,
दूर बहुत हैं हम तो चँदा ,
पर दिल हैं पास - पास |

तेरा हम सम्मान करें ,
तेरा हम गुणगान करें ,
तू है प्यारा बच्चों का ,
तू है मामा बच्चों का ,
विज्ञानं हमारा होकर भी ,
पहुँचा है तेरे पास |  


Monday, June 29, 2020

AAJ KO ( KSHANIKA )

 आज  को  

 
कल हमेशा कल रहेगा ,
आज को अपनाइए ,
कल की चिंता छोड़कर ,
आज से हाथ मिलाइए |

बीते को छोड़ उस हाल पर ,
आगे कल को उस साल पर ,
पकड़िए ना किसी को ,
ना पीछे दौड़ लगाइए |

कल जो बीत गया है ,
वापस फिर ना आएगा ,
जैसा भी बीता है ,
बदल नहीं वो पाएगा ,
ग़म ना करो कल का ,
आज तो मुस्काइए |

आगे आने वाला पल ,
दिखता नहीं किसी को ,
जैसा भी होगा वो ,
रुकेगा ना तुमसे वो ,
कुछ नहीं वश में ए -दोस्त ,
जो मिले वो पाइए |

याद ना कीजे बीते को ,
नहीं झाँकिए आगे को ,
आज में जीते जाओ तुम ,
हरदम ही मुस्काओ तुम ,
बीते कल में ना डूबिए ,
आगे कल में ना जाइए |

कल में डूब जाओगे गर ,
मीठी बातों का ध्यान करो ,
आने वाले कल की तो ,
चिंता नहीं इंतजार करो ,
तभी तो अपने आज को तुम ,
मुस्कानों से भर पाओगे |

JINDAGEE LAMBEE NAHEEN , BADEE HONEE CHAHIE BABU MOSHAY (SHORT STORY)

जिंदगी लम्बी नहीं ,बड़ी होनी चाहिए बाबू मोशाय

माता - पिता का आशीर्वाद , जुग - जुग जिओ बेटा ,
जुग - जुग लंबी जिंदगी , कैसे जिएगा बेटा ?

ये जिंदगी उन्हीं की बदौलत है ,
उन्हीं के प्यार से लबालब है ,
आज परिवार बढ़ गया साहब ,
उसी तरह हम भी उसको सींच रहे |

मिली जो जिंदगी हमें साहब , उसे हम प्यार से ,
खुशियों से भर रहे साहब , हम ना यूं ही उसको खींच रहे |

लंबी हो जिंदगी , उसका क्या करना ?
प्यार से भरी हो जिंदगी गर , जिंदगी वो बड़ी हो जाएगी |

शीर्षक तो डॉयलॉग फ़िल्मी है , पर अपने आप में तो इल्मी है ,
इसे अपनाओगे तो साहब , जिंदगी खुद -ब - खुद मुस्काएगी |

PANEE JHARA

         पानी झरा

अचानक ही ,
घिर आए कारे बदरा ,
अचानक ही ,
झमाझम पानी झरा बदरा से |

पवन के झोंके से ,
झूले बदरा ,
इधर से उधर ,
नीचे और ऊपर  |

ताल - तलैया ,
नदिया - नाले ,
सभी हुए हैं ,
जल - थल , जल - थल |

तपती धरा तृप्त हुई ,
हरियाली सी चमक गई ,
नदिया भी तो उछल गई ,
सागर की लहरें मचल गईं |

रेत के ऊपर उछल - उछल कर ,
उसे साथ में बहा - बहा कर ,
सागर के ऊपर छलकाया ,
लहरों संग रेत भी उछलाया ,
खेल सभी का मुस्काया ,
बदरा से झर पानी आया |

EK LEKHAK (SHORT STORY )

  
      एक लेखक

मन में मचलते भावों को ,
बहने का रास्ता देने वाली है लेखनी ,
लेखनी के चलने से बनते ,
शब्दों से ही तो बनती है कविता , कहानी |

भावों का स्वरूप भरा होगा ,
नवरसों में से किसी एक रूप से |

कोई जन तो डूबेगा हास्य के सागर में ,
कोई है श्रृंगार का दीवाना ,
हमें तो प्रेम है प्रकृति से ,
हम तो उसी में डूबते , उड़ते हैं  |

सागर ,बदरा दोस्त हैं ,तो चाँद भी सखा है ,
दामिनी है सहेली ,साथ में बरखा है |

लेखनी में शब्द तो ,रसों के ही बसते हैं ,
मन में आए भावों की ही , कहानी कहते हैं |

अपने जीवन में जो पाया है , उसी में खुश रहेंगे हम ,
हम तो जीते हैं प्यार में ,और प्यार में मरेंगे हम |

Sunday, June 28, 2020

MAINE POOCHHA CHAND SE ( CHANDRAMA )

        मैंने पूछा चाँद से

मैंने पूछा चाँद से , कहाँ हो भाई ?
दिखाई देते ही नहीं , बादलों में छिप गए |

हम जब छोटे बच्चे थे , चंदा मामा कहते थे ,
आज हमारे बच्चे तुमको , मामा - मामा कहते हैं ,
अब तो दोस्त हमारे हो तुम ,बातें करते हैं हम - तुम |

हम तो अपनी बात करें , तुम भी हमें बताओ कुछ ,
क्या हैं राज तुम्हारे चंदा , तुम भी हमें समझाओ कुछ ,
क्या तेरी धरती पर चंदा ,कुछ दोस्त तुम्हारे रहते हैं ?
               क्या बच्चे प्यारे रहते हैं ?
          मैंने पूछे चाँद से , यही सवाल हैं  |

AANE VALA PAL ( JIVAN )

 
 आने वाला पल

आने वाले पल में ,आने वाले कल में ,
क्या छिपा है कोई क्या जाने ?
आज में जी लो बंधु ,
 कल क्या होगा कैसे जाने ?

चिंता न करो तुम कल की ,
ना सोचो कल क्या होगा ?
जो होगा देखा जाएगा |

क्या बदल सका है कोई ,
आने वाले कल को ,
नहीं तो फिर क्यों सोचो ?
जो होगा देखा जाएगा |

बीता कल तो बीता है ,
उसमें क्या कोई जीता है ?
उसमें बसी वो मुस्कातीं यादें उनसे ,
आज तो तुम मुस्का लो ,
आज को सुंदर बना लो |

इन मुस्कानों को लेकर ही,
 कल में कदम रखो तुम ,
कल भी मुस्काएगा ,
गीत मधुर गाएगा |

मुस्कानों से भरे कदम जब ,
पड़ेंगे कल की धरती पर ,
कल सुंदर बन जाएगा ,
कल खुशियों से भर जाएगा |

    आशावाद -- जयहिंद

PARDESEE ( JIVAN )

         
             परदेसी 


तुम तो ठहरे परदेसी ,मिलने कब आओगे ?


यादों के दरीचों में ,तुम ही तो बसते हो |
कभी तो चलते रहते हो , कभी -कभी रुकते हो |
जब मिलने आओगे ,ठंडी हवा के झोंके लाओगे |


जब मिलने आए थे ,प्यार साथ लाए थे ,
रंग इंद्रधनुष में थे , फूल भी खिलाए थे ,
उन्हीं फूलों के रंगों को ,
फिर से कब महकाओगे ?


परदेसियों के बीच में ,प्यार बाँटते रहना ,
दोस्तों को अपने तुम ,प्यार करते रहना ,
ऐसे ही तो तुम ,जग में प्यार फैलाओगे |

EK SHAPIT CANVAAS (SHORT STORY )

          एक शापित कैनवास

शाप नहीं होता कोई ,फिर शापित होगा कैसे ?

आशीर्वाद सदा फलता है ,वही काम करेगा भई |

कर्म हमारे जैसे होंगे ,फल भी हमें मिलेगा वैसा |

प्रकृति से हम दूर हो गए ,फिर कैसे पनपेंगे हम ?

कैनवास तो होगा सादा ,उस पर चित्र बनाएंगे |

उस में सुंदर रंग भरेंगे ,दुनिया को रंगीन बनाएंगे |

AGAR TUM SAATH HO (SHORT STORY )

      अगर तुम साथ हो

ये सारी दुनिया हमें मिल जाएगी ,
अगर तुम साथ हो ,
जिन्दगी खुशियों से भर जाएगी ,
अगर तुम साथ हो |

रंग जीवन में मेरे भर जाएँगे ,
फूल राहों में मेरी खिल जाएँगे ,
खुशी हर ओर मिल जाएगी ,
अगर तुम साथ हो |

सन्नाटे भी गुनगुनाएंगे ,
खामोशियाँ भी चहचहाएंगी ,
वीराने में भी कलियाँ चटख जाएंगी ,
अगर तुम साथ हो |

मौसम का मिज़ाज भी बदल जाएगा ,
भीगा -भीगा सा मौसम छा जाएगा ,
फुहारें भी मुझको भिगो जाएंगी ,
अगर तुम साथ हो |

खुशियों में मस्तियाँ छा जाएंगी ,
रंगीनियाँ भी बिखर जाएंगी ,
ये कहानी भी कविता बन जाएगी ,
अगर तुम साथ हो |

RAVAANI SAMAY KII ( JIVAN )

रवानी  समय की

समय चक्र है चलता जाता ,
कभी नहीं ये रुक पाता ||

पल - पल , छिन -छिन चलता जाता ,
व्यक्ति को बच्चे से ,बूढ़ा ये कर जाता ,
अंत में दुनिया से ही रुखसत कर जाता ||

यही हाल पेड़ों - पौधों का ,
पहले सब खिल जाते हैं ,
अंत में सभी मिट्टी में मिल जाते हैं ||

देशों की भी देखो तो ,
ऐसी ही कहानी है ,
उनके भी इतिहास ,
बन जाने में रवानी है ,
उनके उत्थान -पतन का ,
रस्ता है चलता जाता ||

दुनिया में भी दोस्तों ,कई रास्ते हैं ,
आती -जाती राहों में ,
समय ही चलता जाता है ||

इन सारी राहों में , समय की रवानी है ,
हमने तो ए -दोस्तों ,कविता में कही कहानी है ||


CHHATAREE

      छतरी

बदरा ने पानी बरसाया ,छतरी ने मुझे बचाया ,
खुद ही बरखा को झेला ,पर मुझको उसने बचाया |

हर रंग की होती छतरी , छोटी -बड़ी है छतरी ,
डिजाईन कोई भी लो ,सुंदर सी है हर छतरी |

खुल जाती फूल जैसी ,सिर ऊपर वह विराजे ,
जब ना झरे पानी तो ,सिमट जाए कोमलता से |

छोटी को तुम रखो पर्स में , बड़ी को छड़ी बनालो,
हर साईज में ही मिलती ,किसी को भी अपनालो |

छोटी को जो अपनाओ ,चले जब हवा उड़ जाए ,
उड़ -उड़ के मनचली सी ,वापस पलट के ना आए |

हल्की सी बूँदा -बाँदी हो ,या हो तेज झरना ,
मूसलाधार बारिश हो ,सबको है उसने झेला |

मानसून है जब आता ,और तेज बारिश आती ,
हर दिन तो देखो मुझको ,मेरी छतरी है बचाती |

Saturday, June 20, 2020

AAO MANU AB

     आओ मनु अब

फ़ैली महामारी भारत में तेरे ,
आओ मनु अब तुम ही संभालो  ||

शिव ने हलाहल को था संभाला ,
तुम ने मानव को नैया में था बैठाला ,
आज भी जरूरत है मानव को तुम्हारी ,
आओ ,आओ तुम फिर संभालो ,
आओ मनु अब -----

छोटे से बच्चे ,ऑनलाइन पढ़ रहे हैं ,
घर में ही रह के ,द्वार बंद कर रहे हैं ,
उनको तो इस बंद से तुम बचालो ,
आओ मनु अब -----

बुजुर्गों को थोड़ा, समय और मिल जाए ,
अपने अनुभवों को , बच्चों में बाँट जाएँ ,
उनकी व्यस्तता में मददगार हो जाएँ ,
व्यस्त हो तुम भी वहाँ ,
पर कुछ समय निकालो            
आओ मनु अब  -----

रुको ना वहाँ पर ,अब नीचे तुम आओ ,
कुछ तो करो और ,मानव को बचाओ ,
इस महामारी का ,कोई हल निकालो ,
आओ मनु अब -----

संसार इस महामारी से लड़ रहा है ,
इस से ग्रसित,मौत की ओर बढ़ रहा है ,
पिछले इतिहास को तुम ,फिर से दोहरा लो ,
आओ मनु अब  तुम ही संभालो -- ||

Thursday, June 18, 2020

ANJAANAA

   अन्जाना

अन्जान सा नगर है ,
अन्जान हर डगर है ,
आऊँ मैं कैसे बोल तू  ?
ये कौन सा शहर है  ??

ना  दोस्त हैं यहाँ पर ,
ना सखा , कोई सहेली ,
ये शहर तो मुझको लगता ,
अन्जान सी पहेली  ||

अन्जान सा हर चेहरा ,
लगा चुप का जिस पे पहरा ,
हर रास्ते में हर कोई ,
लगता है जैसे ठहरा  ||

प्रात: की बेला हो या ,
साँझ का समां हो ,
एक सा ही लगता ,
इक हो या कारवाँ हो  ||

दिन हो या रात हो फिर भी ,
चलता हरेक पाँव है ,
मिलती नहीं है फिर भी ,
किसी को ठंडी छाँव है  ||

रुकता कभी नहीं है ,
चलता ही रहता हरदम ,
रफ़्तार की ना पूछो ,
लगे दौड़ता है हरदम  ||

रुक क्यों नहीं कोई पाता ?
क्यों दौड़ है लगाता  ?
इस शहर की तासीर ऐसी क्यों है ?
क्यों रुक नहीं कोई पाता  ??

LAHAR NASHEELEE

 
 समंदर (  लहर नशीली  ) भाग --29

सागर तेरा पानी खारा ,
फिर भी हुआ नशीला कैसे ?
नदियों का मीठा जल सागर ,
खारा और नशीला कैसे ??

नशें में डूबीं लहरें तेरी ,
हरदम दौड़ लगाती हैं ,
हरदम करती हैं किलोल ,
कभी नहीं थक पाती हैं  ||

प्याला नहीं भरूँगी सागर ,
पिया ना जाए ये खारा ,
कदम बढ़े हैं मेरे सागर ,
छोड़ के आऊँ जग सारा  ||

लहरों के संग मैं खेलूँ ,
उछलेगा पानी खारा ,
प्यार भरी लहरों के बीच ,
नशा चढ़ेगा यूँ सारा  ||

आगे बढ़ तू भी तो सागर ,
हाथ पकड़ ले तू मेरा ,
साथ तेरे बह जाऊँ मैं ,
ले के सहारा मैं तेरा  ||

खेल - खेल के तुझ संग सागर ,
नशा यूँ चढ़ता जाता है ,
मानो मैं हूँ लहर तेरी ,
नशे में डूबी एक लहर  ||

लंबा प्रहर बिताया मैंने ,
सागर तेरी लहरों में ,
लिया है मैंने तुझसे सागर ,
नशा लहर का रग - रग में  ||

संग रह कर तेरे सागर ,
लहरों संग कर अठखेलि ,
बन गयी हूँ मैं तो सागर ,
तेरी ही एक लहर नशीली  || 
 
 

Tuesday, June 16, 2020

THAMI SI ( JIVAN )

      थमी सी 

थम सी गयी है जिन्दगी ,
थम सी गयी है बन्दगी ,
समां धुला - धुला सा है ,
सब कुछ बँधा - बँधा सा है  ||

रुका - रुका सा है शहर ,
थमा - थमा सा है प्रहर ,
कदम रुके हुए से हैं ,
झुकी हुई सी है नज़र  ||

कहीं भी कोई शोर ना ,
किसी का कोई जोर ना ,
रुके हुए हैं काफिले ,
कोई और भी आ मिले  || 
 
रास्ते वीरान हैं ,
मंजिलें शमशान हैं ,
बस्तियाँ चुपचाप सी ,
बतियाती अपने आप ही || 
 
पथिक है हैरान सा ,
किससे पूछे रास्ता ,
कौन राह बताएगा ?
मंजिल तक पहुँचाएगा  || 
 
कोई राहगीर तो मिलता ,
सूनी पड़ी राहों में ,
मंजिल तक पहुँचाता ,
पता - ठिकाना कुछ तो बताता  ||
 
 
 

Monday, June 15, 2020

ANOKHAA INDRADHANUSH ( SAAMAJIK )

     अनोखा इंद्रधनुष
जल कणों से छनकर ,
सूर्य रश्मियों के आने से ,
रंग बिखर जाते हैं ,
गगन के आँगन में ||
रंगों  की छटा से आसमां ,
रंगीला होता जाता ,
उसी का नाम तो ,
इंद्रधनुष जाना जाता  ||
VIBGYOR   क्रम में ,
रंग  दिखाई देते ,
उन्हीं की व्याख्या तो ,
हम हैं सुन लेते  ||
V-विश्वास हो हम में ,
दूसरों के लिए ,
अपनों के लिए ,
देश के लिए  ||
I- इंसानियत रखें हम ,
अपनों के प्रति ,
समाज के प्रति ,
समस्त जीवों के प्रति  ||
B- बहादुरी का जज़्बा लेकर ,
जिएँ हम इस धरा पर ,
अपने वीरों को देकर ,
उचित सम्मान बहादुरी के लिए  ||
G- ग्यान हम समेटें ,
जहाँ से भी मिले ,
ग्यान हम बाँटें उसको ,
जो भी हमें मिले  ||
Y- यादें साथ रखें ,
गौरवशाली इतिहास की ,
बीते हुए कल से ही तो ,
नींव पड़ी है आज की  ||
O- केसरिया रंग चाहें ,
भर लें उसे दिल में ,
मातृभूमि की रज को ,
चढ़ा लें शीश में  ||
R- रज हो अनमोल हमें ,
उसको ना कोई रौंदे ,
हम हैं कर्जदार इस रज के ,
हम हैं उसी के पौधे  ||
ये इंद्रधनुष चमका है ,
अपने नील - गगन में ,
उसकी तो छटा बिखरी है ,
दुनिया के सारे चमन में  ||