Sunday, June 28, 2020

CHHATAREE

      छतरी

बदरा ने पानी बरसाया ,छतरी ने मुझे बचाया ,
खुद ही बरखा को झेला ,पर मुझको उसने बचाया |

हर रंग की होती छतरी , छोटी -बड़ी है छतरी ,
डिजाईन कोई भी लो ,सुंदर सी है हर छतरी |

खुल जाती फूल जैसी ,सिर ऊपर वह विराजे ,
जब ना झरे पानी तो ,सिमट जाए कोमलता से |

छोटी को तुम रखो पर्स में , बड़ी को छड़ी बनालो,
हर साईज में ही मिलती ,किसी को भी अपनालो |

छोटी को जो अपनाओ ,चले जब हवा उड़ जाए ,
उड़ -उड़ के मनचली सी ,वापस पलट के ना आए |

हल्की सी बूँदा -बाँदी हो ,या हो तेज झरना ,
मूसलाधार बारिश हो ,सबको है उसने झेला |

मानसून है जब आता ,और तेज बारिश आती ,
हर दिन तो देखो मुझको ,मेरी छतरी है बचाती |

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