अन्जाना
अन्जान सा नगर है ,
अन्जान हर डगर है ,
आऊँ मैं कैसे बोल तू ?
ये कौन सा शहर है ??
ना दोस्त हैं यहाँ पर ,
ना सखा , कोई सहेली ,
ये शहर तो मुझको लगता ,
अन्जान सी पहेली ||
अन्जान सा हर चेहरा ,
लगा चुप का जिस पे पहरा ,
हर रास्ते में हर कोई ,
लगता है जैसे ठहरा ||
प्रात: की बेला हो या ,
साँझ का समां हो ,
एक सा ही लगता ,
इक हो या कारवाँ हो ||
दिन हो या रात हो फिर भी ,
चलता हरेक पाँव है ,
मिलती नहीं है फिर भी ,
किसी को ठंडी छाँव है ||
रुकता कभी नहीं है ,
चलता ही रहता हरदम ,
रफ़्तार की ना पूछो ,
लगे दौड़ता है हरदम ||
रुक क्यों नहीं कोई पाता ?
क्यों दौड़ है लगाता ?
इस शहर की तासीर ऐसी क्यों है ?
क्यों रुक नहीं कोई पाता ??
अन्जान सा नगर है ,
अन्जान हर डगर है ,
आऊँ मैं कैसे बोल तू ?
ये कौन सा शहर है ??
ना दोस्त हैं यहाँ पर ,
ना सखा , कोई सहेली ,
ये शहर तो मुझको लगता ,
अन्जान सी पहेली ||
अन्जान सा हर चेहरा ,
लगा चुप का जिस पे पहरा ,
हर रास्ते में हर कोई ,
लगता है जैसे ठहरा ||
प्रात: की बेला हो या ,
साँझ का समां हो ,
एक सा ही लगता ,
इक हो या कारवाँ हो ||
दिन हो या रात हो फिर भी ,
चलता हरेक पाँव है ,
मिलती नहीं है फिर भी ,
किसी को ठंडी छाँव है ||
रुकता कभी नहीं है ,
चलता ही रहता हरदम ,
रफ़्तार की ना पूछो ,
लगे दौड़ता है हरदम ||
रुक क्यों नहीं कोई पाता ?
क्यों दौड़ है लगाता ?
इस शहर की तासीर ऐसी क्यों है ?
क्यों रुक नहीं कोई पाता ??
No comments:
Post a Comment