Thursday, June 18, 2020

LAHAR NASHEELEE

 
 समंदर (  लहर नशीली  ) भाग --29

सागर तेरा पानी खारा ,
फिर भी हुआ नशीला कैसे ?
नदियों का मीठा जल सागर ,
खारा और नशीला कैसे ??

नशें में डूबीं लहरें तेरी ,
हरदम दौड़ लगाती हैं ,
हरदम करती हैं किलोल ,
कभी नहीं थक पाती हैं  ||

प्याला नहीं भरूँगी सागर ,
पिया ना जाए ये खारा ,
कदम बढ़े हैं मेरे सागर ,
छोड़ के आऊँ जग सारा  ||

लहरों के संग मैं खेलूँ ,
उछलेगा पानी खारा ,
प्यार भरी लहरों के बीच ,
नशा चढ़ेगा यूँ सारा  ||

आगे बढ़ तू भी तो सागर ,
हाथ पकड़ ले तू मेरा ,
साथ तेरे बह जाऊँ मैं ,
ले के सहारा मैं तेरा  ||

खेल - खेल के तुझ संग सागर ,
नशा यूँ चढ़ता जाता है ,
मानो मैं हूँ लहर तेरी ,
नशे में डूबी एक लहर  ||

लंबा प्रहर बिताया मैंने ,
सागर तेरी लहरों में ,
लिया है मैंने तुझसे सागर ,
नशा लहर का रग - रग में  ||

संग रह कर तेरे सागर ,
लहरों संग कर अठखेलि ,
बन गयी हूँ मैं तो सागर ,
तेरी ही एक लहर नशीली  || 
 
 

No comments:

Post a Comment