थमी सी
थम सी गयी है जिन्दगी ,
थम सी गयी है बन्दगी ,
समां धुला - धुला सा है ,
सब कुछ बँधा - बँधा सा है ||
रुका - रुका सा है शहर ,
थमा - थमा सा है प्रहर ,
कदम रुके हुए से हैं ,
झुकी हुई सी है नज़र ||
किसी का कोई जोर ना ,
रुके हुए हैं काफिले ,
कोई और भी आ मिले ||
रास्ते वीरान हैं ,
मंजिलें शमशान हैं ,
बस्तियाँ चुपचाप सी ,
बतियाती अपने आप ही ||
पथिक है हैरान सा ,
किससे पूछे रास्ता ,
कौन राह बताएगा ?
मंजिल तक पहुँचाएगा ||
कोई राहगीर तो मिलता ,
सूनी पड़ी राहों में ,
मंजिल तक पहुँचाता ,
पता - ठिकाना कुछ तो बताता ||
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