Sunday, June 28, 2020

PARDESEE ( JIVAN )

         
             परदेसी 


तुम तो ठहरे परदेसी ,मिलने कब आओगे ?


यादों के दरीचों में ,तुम ही तो बसते हो |
कभी तो चलते रहते हो , कभी -कभी रुकते हो |
जब मिलने आओगे ,ठंडी हवा के झोंके लाओगे |


जब मिलने आए थे ,प्यार साथ लाए थे ,
रंग इंद्रधनुष में थे , फूल भी खिलाए थे ,
उन्हीं फूलों के रंगों को ,
फिर से कब महकाओगे ?


परदेसियों के बीच में ,प्यार बाँटते रहना ,
दोस्तों को अपने तुम ,प्यार करते रहना ,
ऐसे ही तो तुम ,जग में प्यार फैलाओगे |

No comments:

Post a Comment