Friday, January 28, 2022

ANDHERI SI ( JIVAN ) PM

 

                अँधेरी सी 

 

चमकते तारों की बारात आई ,

तो चंदा की चाँदनी भी गहराई ,

हर ओर धवल चाँदनी फैली तो ,

उजालों की मानो बरसात आई | 

 

मगर तभी बदरा की ,

लहरों ने घेरा आकाश को ,

छिपे सब सितारे ,छिप गया चंदा ,

चाँदनी ने भी अपना आँचल समेटा ,

उजाले छिप गए सब ,अँधेरों के पीछे ,

दोस्तों अब तो अँधेरी सी रात आई | 

 

सभी जीव छिप गए अपने नीड़ में ,

सभी प्राणी छिप गए अपनी ही छाँव में ,

सभी ओर अँधेरी सी छाँव आई |

Wednesday, January 26, 2022

DOSTI ( KSHANIKA )

                        
              दोस्ती

           
     समय चक्र चलता जाता है ,
      गया पुराना , नया है आया ,
     बिछुड़े का तुम गम ना करना ,
     स्वागत है आने वाले का  ||


  बात दोस्ती की है , तो दोस्तों तक जाएगी ,
  दोस्तों के साथ ही तो ये , रिश्ते सभी निभाएगी  ||


  दूर हों या पास में , दोस्त तो हैं दिल में ,   
  भूले नहीं हैं हम जिनको , तो याद कैसे आएगी  ??

 
  एक वक्त था जब हम साथ थे ऐ - दोस्त ,
   रोज़ मिलते थे समय साथ बिताते थे ,
  आज दूर हैं तो क्या ग़म है ?
    दिल में याद तो समायी है  ||


   तारीखों को बगल दबा कर , उड़ - उड़ करता रहा कलैण्डर ,
    कुछ तारीखें रचतीं इतिहास , कुछ तारीखें करतीं  परिहास ,
    रुकता नहीं है वक्त कभी भी , वक्त भी तो है एक कलन्दर  ||
                              
    स्वास्थ्य रहे   सबका उत्तम ,रहे खुशियों भरा परिवार ,
   यही दुआ है हम सबकी , यही दुआ है हम सबकी ||        
                                                                                

DOST ( KSHANIKA )

               दोस्त

     फूलों के जैसे मुस्कुराओ तुम ,
      रंगों के जैसे चहचहाओ तुम ,
      बच्चों की हैं  किलकारियाँ मीठी ,
     बच्चों के जैसे खिलखिलाओ तुम ||


   खुश्बू बन के जग को महकाओ तुम ,
   अपने परिजनों का सदा प्यार पाओ तुम ,
    हम जब भी मिलें तुम से - ए - दोस्त ,
   प्यार से हमारे गले लग जाओ तुम  ||


    ईश्वर की छाया , खुशियों की माया ,
  जीवन का संगीत , मिल जाए सभी तुमको ,
  आशीर्वाद हो बड़ों का , स्नेह परिजनों का ,
   हाथ हो ईश्वर का , मिल जाए सभी तुमको  ||


   अपने देवघर में , पूजा , अर्चना करो तुम ,
  रंग जीवन में भर जाएँ , हमारी शुभकामनाएँ हैं तुमको  ||                
 

HAMAARI NURSARY ( SMALL POEM )

      

              हमारी नर्सरी 

 

दीपा के दीपों से ,जगमगाती नर्सरी ,

झिलमिल सितारों से ,झिलमिलाती नर्सरी | 


चाँद की चंदनिया से ,चंदनियाती नर्सरी ,

सूरज की किरनों से ,धुपियाती नर्सरी | 


रखा जो कदम अंदर ,चुंधियाई नजरें ,

मिली हमें वहाँ पर ,खिलखिलाती नर्सरी | 


समझो ना सिर्फ अपनी ,सबकी है नर्सरी ,

जब तुम हो हमारी ,तो हमारी भी नर्सरी | 


Monday, January 24, 2022

BAALIKA DIVAS ( SMALL POEM ) PM

 

            बालिका दिवस 

 

एक दिन क्या नन्हीं परी का ? 

एक दिन क्या नन्हीं कली का ? 

पूरा बरस भी उसके लिए कम है | 


उसकी तो किलकारी गुंजन ,

उसकी खिलखिलाहट भी गुंजन ,

कदम नाचते से हैं चलते ,

घर में गूँज जाती है छन -छन | 


मुस्कानों से फूल खिलाती ,

बोलों से कोयल सी कूकती ,

आओ गर तुम मेरे पास ,

तुम्हें दिखाऊँ अपनी मुन -मुन | 


रंगों में वो सतरंगी सी ,

मानो वो है इंद्रधनुषी सी ,

दुनिया को रंगों से रंग दे ,

ऐसी है वो मेरी जिंदगी | 


GOLIYON KA SWAAD ( SMALL POEM )

 

                   गोलियों का स्वाद

 

बचपन के वो सुंदर दिन ,

वो सब अपने खेल खिलौने ,

मुस्का के खिलौनों से बातें करना ,

अपने ही मन से उनके जवाब सुनना | 

 

खेल -खेल के ,कूद -कूद के ,

 सबको खुश करना ,

बचपन में मिलने वाली ,

वो खट्टी -मीठी गोलियाँ ,

क्या स्वाद ? क्या मज़ा उनका ? 

रंग -बिरंगी खट्टी -मीठी गोलियाँ | 


आज भी याद आता है वो स्वाद ,

मुँह में वही रस घुल जाता है जैसे ,

होंठों पे मुस्कान तिर आती है ,

 काश आज भी वो गोलियाँ मिल जातीं | 


क्या आपने भी खाईं हैं वो गोलियाँ ?

नहीं खाईं ! तो अब कैसे खाओगे?

यदि कहीं मिल जाएँ ,तो हमें भी बताना ,

हमने तो बहुत ढूँढीं ,मगर मिली नहीं ,

बोलो बताओगे ना ? 

 

Saturday, January 22, 2022

NETAJI (DESH) PM

 

                     नेता जी 

नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 

के अवसर पर शृद्धा -सुमन ,


भारत माँ का वीर सपूत ,नाम सुभाष ,

जलाए हृदय में आज़ादी की मशाल ,

आज़ादी हासिल करने के लिए ,

कोशिशें तो उसकी थीं बहुत ही कमाल | 


कई बार रूप बदलकर ,

अंग्रेजों को धोखा देकर ,

एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना ,

तरकीबें उसकी थीं बहुत ही कमाल | 


देश दूसरे में पहुँच कर ,

अकेले दम पर सेना बना कर ,

सेना के हौसले और हिम्मत को बुलंदकर ,

उनकी हिम्मत थी बहुत ही कमाल | 


चलते गए ,करते गए ,नए -नए काम ,

एक नया जोशीला नारा दिया ,

"तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा ",

उनका ये नारा था बेमिसाल ,बेमिसाल | 


सभी ने उन्हें नेताजी कहा ,

जो सभी को नया रास्ता दिखाएँ ,

आज़ादी प्राप्त करने की राह सुझाएँ ,

उनकी सूझ -बूझ तो थी बहुत ही कमाल | 

जय हिंद |

Thursday, January 20, 2022

RAAT JANGAL KI ( KSHANIKA )

 

                    रात जंगल की

 

एक समय की बात है ,जब गाँव ,खेत और जंगल थे ,

बड़े और घने जंगल थे ,

रात के समय अगर गुजरो वहाँ से ,

जुगनुओं का मेला लगा रहता था | 

 

झींगुरों की आवाज गूँजती रहती थी ,

घने पेड़ों के कारण चाँद की ,

चाँदनी भी नीचे तक नहीं जाती थी ,

सर्दी की रातें तो और काली हो जाती थीं | 

 

अगर पैदल वहाँ से निकलो ,

तो डर ही दिल में समाया रहता था ,

जुगनुओं की चमक से दिल में ,

और होठों पर मुस्कान का साया रहता था | 

 

आज भी धरा पर  जंगल हैं ,

 मगर वो तो कंक्रीट के जंगल हैं ,

 पेड़ों का नामोनिशां तक नहीं ,

जुगनू तो अब दिखाई ही नहीं देते हैं | 


आज तो जुगनुओं की जगह ली है ,

किसी और ने यानि मोबाईल फोन ने ,

उसी की लाइट जलाओ तो ,

दूर वाला उसे ही जुगनू समझेगा ,

यह तो आधुनिक जुगनू है दोस्तों | 


VIRHIN ( KSHANIKA )

 

                     विरहिन 

 

सीता का है नाम बसा ,रामायण की हर चौपाई में ,

वन -वन घूमी सीता तो ,दर्जा था ऊँचाई में | 

 

उर्मिला का भी नाम हुआ ,गुप्त जी की साकेत में ,

कवि ने उर्मिला की विरह वेदना ,वर्णित की गहराई में | 

 

राज्य मिला भरत को मगर ,वह तो त्याग समझते थे ,

चरण पादुका रख राम की ,खुद बैठे चरणाई में | 

 

सबने दिया दर्जा ऊँचा ,इन सभी चरित्रों को ,

क्या किसी ने झाँक के देखा ?माण्डवी -हृदय की गहराई में | 

 

एक महल में रहते हुए भी ,क्या वह भरत के साथ थी ? 

क्या वह एक सुहागिन थी ? क्या वह राजकुमारी थी ? 

 

ना संग पति का था ,ना कोई उसको सुख था ,

वह तो विरहिन थी ,जो महल में कैदी जैसी थी ,

जीवन उसका बीत रहा था ,विरहिन बन अँगनाई में | 

 

Monday, January 17, 2022

CHANDANI ( KSHANIKA )

  

                चाँदनी 

 

जन्म लिया जब बच्चों ने ,मात -पिता भी जन्मे तब ,

तभी से उनकी आँखों में ,सपने तिरते गए नए ,

उन नन्हें बच्चों के लिए | 

 

शायद वो उनके उलझे और ,अनसुलझे सपने थे ,

जोपूरे नहीं हुए कभी ,बच्चों में वही सपने ,

पूरे करने की ख्वाहिश ने जन्म लिया | 

 

खुद से बड़ा करने की ख्वाहिश ,

अधिक सुंदर जीवन देने की ख्वाहिश ,

खुद तो जो जुगनु बन रहे जिंदगी भर ,

बच्चों को चाँद बनाने की ख्वाहिश | 

 

दुनिया के कँटीले अंधकार में ,

मात -पिता का जीवन बीत चला ,

मगर बच्चों को चमकाएँ ,

दुनिया के ऊपर स्वच्छ गगन में ,

चमकीली चाँदनी लिए ,

धवल सी चाँदनी लिए | 


Saturday, January 15, 2022

JINDGI CHALI AAI HAI (GEET ) PM

 

                   जिंदगी चली आई है 

 

नन्हें -नन्हें तारों जैसी ,चमकीली सी ,प्यारी सी ,

लहराती ,बलखाती सी ,जिंदगी चली आई है दोस्तों | 


घर ,आँगन में प्यार बरसाती सी ,

खुशियों का खजाना लुटाती सी ,

मुस्कानों की बहार लाती सी ,

जिंदगी चली आई है दोस्तों | 


फूलों की खुश्बुओं से महकाती सी ,

तितलियों जैसी उड़ती जाती सी ,

बच्चों की खिलखिलाहटें गुंजाती सी ,

जिंदगी चली आई है दोस्तों | 


वीणा की मधुर तान सुनाती सी ,

तबले की थाप लगाती सी ,

घुँघरुओं की झनकार बजाती सी ,

जिंदगी चली आई है दोस्तों | 


गीतों के बोलों से सजाती सी ,

लय -ताल से कानों में रस घुलाती सी ,

दिल की धड़कनों को बढ़ाती सी ,

जिंदगी चली आई है दोस्तों | 


MELE TYOHAARON KE ( SAMAJIK )

    

                मेले त्योहारों के  


एक दिन  --तेरह जनवरी ,

पंजाब में लोहड़ी मनाई जाए ,

बोन फायर के चारों तरफ ,भंगड़ा डालते हुए ,

नई फसल ईश्वर को अर्पण की जाए ,

खुशियाँ सभी मनाएँ ,नृत्य भी दिखाएँ |

 

चौदह जनवरी --मकर संक्रांति आई,

तिल ,गुड़ खाने की बारी आई ,

हर साल इसी दिन ये त्योहार आए ,

हर घर में खुशियाँ ले आए ,

उत्तर भारत में ,पश्चिम भारत में ,

ये त्योहार मनाया जाए | 

 

आसाम में इसी दिन ,पारंपरिक ढंग से ,

बिहू मनाया जाए ,

तीन दिन तक चले त्योहार ,

पूजा -पाठ और गीत ,नृत्य ,

फसलों का यह त्योहार खुशियाँ बरसाए | 

 

दक्षिण भारत में नाम दूसरा ,

पोंगल का त्योहार ,चले चार दिन ,

खुशियों का खजाना लाए ,

खुशियों का रंग बरसाए | 

 

आई छब्बीस जनवरी---ये है गणतंत्र -दिवस ,

पूरा देश मनाता इसको ,संविधान के इस दिवस को ,

अपना देश ,अपना संविधान ,अपना कानून |

 

त्योहारों का ये मेला ,पूरे देश को खुश कर जाए ,

सभी देशवासियों का  दिल खिल जाए |  

 

सभी को इन त्योहारों की शुभ -कामनाओं सहित  ,

                                 मिथलेश आज़ाद ,

 

 

 

Friday, January 14, 2022

AAO PARI ( KSHANIKA )

 

              आओ परी

 

बच्चों की कल्पना की दुनिया ,

ये है परियों की दुनिया , 

मेरी नन्हीं सी गुड़िया है मेरी परी ,

उसी में बसी है ,मेरी परियों की दुनिया | 


परियों के पास होती ,एक जादू की छड़ी ,

उसे ही घुमा कर ,होता जादू का तमाशा ,

दूध से श्वेत वस्त्र धारण कर ,

गोरी -गोरी सी परियाँ मुस्कान ले के आएँ | 


दो पंखों के सहारे ,उड़ -उड़ के आएँ ,

अपनी मुस्कान से ,हमारा दिल भी खिलाएँ ,

छड़ी को घुमाएँ और अपने ,

जादू से सबकी ,इच्छा पूरी कर जाएँ | 


ऐसे ही तो सब उनसे खुश हो जाएँ ,

आओ नन्हीं परियों हमारे पास आओ ,

इच्छा पूरी कर जाओ ,दिल खुश कर जाओ ,

आओ ,आओ ,आओ |

Thursday, January 13, 2022

VIDESH YAATRAA ( KSHANIKA )

 

                     विदेश यात्रा 

 

बेटा गया जब पढ़ने विदेश ,हम भी खुश हुए खूब दोस्तों ,

जब डिग्री मिलने लगी ,हम भी चले उसके पास दोस्तों | 


ख़ुशी - लंबा हवाई सफर ,तय किया हमने दोस्तों ,

वहाँ उतरकर बाहर निकले ,तो बेटे को देख खुश हुए दोस्तों | 


धीरे -धीरे वहाँ का रहन -सहन ,जानने लगे दोस्तों ,

उसके दोस्तों से मिलकर ,हमें बहुत अच्छा लगा दोस्तों | 


उनकी किचन भी अनजानी थी ,हुई उससे भी दोस्ती दोस्तों ,

नयी -नयी जगह जब घूमे ,वो भी परिचित लगीं दोस्तों | 


कुछ परिचित सा ,कुछ नया सा लगा दोस्तों ,

घूमने पर जब जो देखा ,सभी प्यारा सा लगा दोस्तों | 


फंक्शन होने के बाद ,हम खुश थे दोस्तों ,

बेटे को अच्छी जॉब मिली दोस्तों | 


समय उड़ चला ,पंख लगा के दोस्तों ,

वापस लौटने का समय भी ,आ गया जल्दी ही दोस्तों ,

हो गई विदेश यात्रा भी ,हमारी दोस्तों | 

 


PURANA MAKAAN ( JIVAN )

 

           पुराना  मकान  

 

समय पुराना था बीता ,जो पुराने मकान में ,

कितनी सारी यादें हैं ? कितनी प्यारी यादें हैं ? 

 

किलकारियाँ आज भी गूँज रही हैं ,

खिलखिलाहटें आज भी गूँज रही हैं ,

नन्हें कदमों की चाप की आज भी पहचान है ,

कद बढ़ने की आज भी पहचान है | 

 

समय बदल जाता है ,

स्कूल छूट जाते हैं ,कॉलेज आ जाता है ,

पढ़ाई के साथ -साथ ,दोस्तों की गपशप ,

मस्ती भरे दिन थे ,आज भी सब कुछ याद है | 

 

हर दिन का कॉलेज ,क्लास और पढ़ाई ,

ऐसे ही समय बीतता रहा ,

पुराना मकान तो विरह में जीता रहा ,

अकेला , उदास ,

कैसे बताए किसी को अपनी व्यथा ? 

कैसे सुनाए किसी को अपनी व्यथा ? 


चलो आज मिलकर उसे सजाते हैं ,

पुराने मकान में गुनगुनाते हैं ,

शायद वो खिल उठे ,सज उठे ,

दीपों की रोशनी से जगमगाते हैं ,

दीपों की नाचती रोशनी ,

उस मकान को जगमग कर देगी | 


Monday, January 10, 2022

DARD KI VIDAAI ( GEET )

          

                    दर्द की विदाई 

 

खुशियाँ  तुमसे ही बाँटते हैं दोस्तों ,

आज कुछ दर्द बाँटते हैं ,

खुशियों में मुस्कानें बाँटी हैं दोस्तों ,

आज कुछ आँसू बाँटते हैं | 

 

जिंदगी में मिलता सभी कुछ है दोस्तों ,दर्द भी ,दवा भी ,

दर्द के साथ दवा मिले तो ,हम दर्द भूल जाते हैं | 

 

धरा तपती है तब ,बादल भी बरस जाते हैं ,

रिमझिम फुहारों के बाद ,तूफ़ान भी आ जाते हैं | 

 

सभी के साथ मिल ,दर्द मेरा खो जाए ,

प्यार की थपकी से तो ,दर्द भी सो जाते हैं | 

 

ज्यादा दर्द नहीं लिखते हैं ,

क्यों    दोस्तों को उदास करें ,

दोस्तों के प्यार में खोकर ,

दर्द को विदा करते हैं | 

 



SAATHI MERE ( PREM )

 

                       साथी  मेरे 

 

रंग भरे बादल पे ,अपने इस आँचल पे ,

लिख दिया मैंने तेरा नाम ,ओ मेरे साथी रे | 

 

जीवन बीत रहा तुम संग ,प्यार का उसमें भरा है रंग ,

बीत जाए यूँ ही जीवन ,रहें हमेशा हम संग -संग ,

                                    ओ मेरे साथी रे | 

 

लंबी बहारें देखी हैं ,फूलों की कतारें देखी हैं ,

सावन की फुहारें देखी हैं ,दीपों की कतारें देखी हैं ,

                                      ओ मेरे साथी रे | 

 

बदरा की इस रिमझिम में ,चल दो मेरा हाथ पकड़ ,

बरसा दें हम भी मुस्कानें ,हाथों में हाथ पकड़ ,

                                  ओ मेरे साथी रे | 

 

NAACH HAMAARA ( JIVAN )

 

                             नाच  हमारा 

 

समय लगेगा कितना बंधु ?बहने में इस धारा को ,

कब बरसेंगे बादल रिमझिम ?देंगे ठंडी फुहारों को | 

 

कब चमकेगी चमक दामिनी ?भर देगी उजालों को ,

कब आएगी बयार की ठंडक ?तपती सी इन राहों को | 

 

हर पल बीतेगा जीवन में ,धीरे -धीरे हर कल जाता ,

चलते रहते घड़ी के काँटे,हर पल मुस्कानों में ढल जाता | 

 

तू भी राही चलते रहना ,रुकना नहीं एक पल भी तू ,

तू जो रुका तो दुनिया रुकेगी,फूलों की मुस्कान रुकेगी | 

 

तूने बिताए अनगिन पल ,पलों से बीते अनगिन बरस ,

आगे भी हैं अनगिन पल,उनसे भी बनेंगे अनगिन बरस | 

 

जाग के सब कुछ देखना है,जीवन की इस बगिया को ,

दो पल के लिए भी ,वक्त ना यूँ ही बिताना है | 

 

जीवन बगिया खिल जाएगी,रंग खिलेगा फूलों का ,

खुश्बु महकाएगी अँगना,द्वार खुलेगा खुशियों का | 

 

 सोचो कल  जब यह सब होगा,खुशियों में नाचेंगे हम ,

जीवन के इस रूप में ढल के,खुशियों में नाचेंगे हम | 


Sunday, January 9, 2022

GHAATIYAAN ( JIVAN )

 

                    घाटियाँ

 

प्रकृति ने बनाए ऊँचे - ऊँचे पर्वत ,

पर्वतों के बीच थीं घाटियाँ ,

इन घाटियों में बसे थे ,

सुंदर शहर और मनमोहक गाँव | 


उन्हीं शहरों और गाँवों में ,

बसने लगे अनगिनत लोग ,

जो अलग -अलग कार्यक्षेत्र में ,

सक्षम थे कार्य करने में | 


कार्य उनका सुंदर ,मनमोहक था ,

जिंदगी उनके कार्यों से आगे बढ़ने लगी ,

उनके द्वारा बनाई बस्तियाँ ,

सुंदरता का अनूठा नमूना थीं | 


कपड़ा व खाना बनाने में वो परफेक्ट थे ,

हर कोई उनके काम से प्रभावित था ,

दूर -दूर तक उनके नाम का ,

परचम ऊँचा लहराने लगा | 

 

उनके बनाए मकानों में ,

नई और पुरानी कला का मिश्रण था ,

रोजमर्रा के लिए ,आराम के साधन थे ,

सभी के लिए ख़ुशी का पर्याय था | 

 


Saturday, January 8, 2022

AJANABI ( PREM )

 

                अजनबी 

 

मिल जाते हैं जिंदगी में ,

कई बार ऐसे अजनबी ,

छोड़ जाते हैं अपनी यादें ,

कई बार ऐसे अजनबी | 

 

व्यक्तित्व में शायद चुंबक हो ,

बोली में मीठी चाशनी घुली हो ,

बोली की गूँज छोड़ जाते हैं ,

कई बार ऐसे अजनबी | 

 

मिलते ही देते हैं प्यारी मुस्कान ,

जिससे दिल सभी का खिल जाता है ,

मुस्कानों का बगीचा खिला जाते हैं ,

कई बार ऐसे अजनबी | 

 

ख़ुशी से भरी बातों से ,

कानों में मानो रस बरसाते हैं ,

साँसों को भी महका जाते हैं ,

कई बार ऐसे अजनबी | 

 

जाते -जाते भी वो लोग ,

आगे मिलने की राह छोड़ जाते हैं ,

इंतजार करने की चाह छोड़ जाते हैं ,

कई बार ऐसे अजनबी | 

 

आज भी याद उनकी आती है ,

दिल में एक टीस सी जगाती है ,

पर मुस्कान भी साथ लाती है ,

क्योंकि याद आते हैं वो प्यारे अजनबी | 


Friday, January 7, 2022

EGGS ( GEET ) BY ANSH ARORA

 

                EGGS 

 

LOTS OF ANIMALS ,COME FROM EGGS ,

SOME WITH FINS ,AND SOME WITH LEGS ,

SOME THAT CHATTER ,AND SOME THAT CHEEP ,

SOME THAT FLY ,AND SOME THAT CREEP ,

SOME THAT SLITHER ,AND SOME THAT RUN ,

SOME WITH FEATHERS ,AND SOME WITH NONE ,

ANIMAL EGGS CAN BE QUITE SMALL ,

OR JUST BIG AS A TENNIS BALL ,

THE ANIMALS ARE HERE ,

THEY ARE A QUITE FEW ,

HATCH FROM EGGS ,

AND LAY THEM ,TOO .

MATVALA (KSHANIKA )

 

                      मतवाला 

 

नदिया के उस पार नहीं है ,कोई बावरा मतवाला ,

रहता नहीं है कोई अकेला ,प्यार में डूबा मतवाला | 

 

किस्मत में किसकी उस पार ?रहने का है घरौंदा बंधु ,

किसके पास हम जा सकते ?किसको कहदें मतवाला ? 

 

नदिया के इस पार हम बसे ,नदिया के उस पार कोई ना ,

चलो चलें हम ही वहाँ पर ,जहाँ ना कोई मतवाला | 

 

चलते हैं हम वहाँ -वहाँ ,जहाँ ले जाए हमें दिलवाला ,

दूर किनारे पर ना है कोई ,वहाँ बसेगा ये मतवाला | 

 

आप भी आना तुम भी बंधु ,जब बन जाए महल हमारा ,

इस मतवाले का झोंपड़ा भी ,कहलाएगा महल हमारा | 

 

Thursday, January 6, 2022

NANHA NAATI ( JIVAN )

 

                     नन्हा  नाती


जिसने मेरे पद को बढ़ाया ,मुझको नानी बनाया ,

आया जब गोद में ,अनुभव हुआ अनूठा ,

उस अनुभव को ,उस धड़कन को ,

ना बाँट सकी किसी से मैं | 


रुक गया था समय मानो ,

चाहे घड़ी की सूईयाँ चल रहीं थीं ,

रुक गई थी धड़कन मानो ,

चाहे साँसें चल रहीं थीं | 


मेरी प्यार भरी लोरियाँ सुनकर ,

जब वह मेरी गोद में सोता ,

लगता पूरा संसार ही था ,

मेरी गोद में था सोता | 


चलना ,खेलना ,खाना ,सोना ,

सभी मेरे संग था होता ,

आज भी वह नन्हा नाती ,

मेरी कविताओं और गीतों पर समीक्षा देता | 


जिंदगी खुशनुमा बनाई उसने ,

किलकारियों से है सजाया ,

मैं हूँ संसार की सबसे सुखी नानी ,

क्योंकि मेरा नन्हा नाती ,मेरी जिंदगी में आया | 


MERI NANHIN ( JIVAN ) ( PM )

  

                 मेरी नन्हीं 

 

ये है दास्तां ,मेरी नन्हीं परी की ,

ये है दास्तां ,मेरी नन्हीं कली की , 

मेरी बेटी की बिटिया ,मेरी नातिन की | 


कल्पना थी मेरी ,एक नन्हीं गुड़िया की ,

कर दे जो रोशन ,मेरी बेटी के अँगना को ,

हुई साकार मेरी कल्पना ,आई उतर के फलक से ,

                                 मेरी नन्हीं नातिन | 


सुंदर सा मुखड़ा ,मानो पूनम का चाँद ,

रेशम से बाल ,कोयल सी स्वर -लहरी ,

किलकारियों से भर दिया है ,उसने दिल का हर कोना ,

                                 मेरी नन्हीं नातिन | 


मैं रही हूँ प्रभावित ,मैडम क्यूरी के जीवन से ,

उन के कार्यों से ,उनके अचीवमेंट से ,

इसी धुन में मैंने ,नाम दिया मैडम क्यूरी ,

                             अपनी नातिन को | 


अब जब वो नानी कहकर ,लिपटती है प्यार से ,

मैं चूम लेती हूँ उसे ,मेरी मैडम क्यूरी कहकर ,

और वः कसकर ,लिपट जाती है मुझसे ,

                         मेरी नन्हीं नातिन | 


नाम है उसका अल्पना ,मतलब है रंगोली ,

रंगीन रहे उसका जीवन ,खेले वो खुशियों की होली ,

आशीर्वाद उसकी नानी का ,जीवन सुखमय बीते ,

                                    मेरी नन्हीं नातिन | 


Wednesday, January 5, 2022

BHAAL GAGAN KA ( KSHANIKA )

 

            भाल गगन का 

 

हुआ सूर्यास्त ,शाम का धुँधलका ,

पंछी चल दिए ,अपने नीड़ की ओर ,

उतर आया धरा पर ,रात का अँधेरा ,

चमके जगमग तारे ,गगन के भाल पर | 

 

दिन भर के काम से ,थके -हारे प्राणी ,

करने लगे आराम ,अपने धाम पर ,

आराम के बाद ,जागे प्राणी ,

सुबह हुई ,छायी लाली ,गगन के भाल पर | 

 

सूर्य मुस्कुराया ,जग में उजाला छाया ,

जीवन भी जगमगाया ,पंछी ने गीत गाया ,

सब जीव लगे काम पर ,आलस सभी का भागा ,

दिया कर्म तब दिखाई ,गगन के भाल पर | 

 

सूर्य का रथ चल दिया ,पौधे भी मुस्कुराए ,

फूलों के रंग देखकर ,तितलियों ने पर फैलाए ,

बच्चों की टोली ने भी ,शोर सा मचाया ,

संगीत बज उठा तब ,गगन के भाल पर | 

 

नव दिवस आता देखकर ,हर कोई मुस्कुराया ,

धीरे से समय ने भी ,अपना पग बढ़ाया ,

ऐसे ही धीरे - धीरे ,नव -वर्ष भी है आया ,

बधाईयों का संदेश भी ,चमका गगन के भाल पर |

 

Tuesday, January 4, 2022

O - RACHETA ( AADHYATMIK )

    

                         ओ - रचेता

 

ओ रचेता ,तेरी बनाई इस दुनिया में ,फूलों के संग काँटे भी हैं ,

तेरी इस दुनिया में ,दुःखों के संग सुख भी हैं | 


तेरी इस दुनिया में ,आँसुओं के संग मुस्कानें भी हैं ,

तेरी इस दुनिया में ,पतझड़ के संग बहारें भी हैं | 


तेरी इस दुनिया में ,तपन के संग फुहारें भी हैं ,

तेरी इस दुनिया में ,तूफानों के संग बयारें भी हैं | 


तेरी इस दुनिया में ,दर्द के संग दवा भी हैं ,

तेरी इस दुनिया में ,तड़प के संग राहतें भी हैं | 


तेरी इस दुनिया में ,जलन के संग शीतलता भी हैं ,

तेरी इस दुनिया में ,मझधार के संग किनारे भी हैं | 


तेरी इस दुनिया में , पर्वतों के संग नदियाँ भी हैं ,

तेरी इस दुनिया में ,सूखे के संग जलधार भी हैं | 


तेरी इस दुनिया में ,तपते रेगिस्तान  हैं अगर ,

तो तेरी इस दुनिया में ,महासागर भी हैं | 


तेरी इस दुनिया में ,दिल के संग दिमाग भी हैं ,

तेरी इस दुनिया में ,दुश्मन के संग दोस्त भी हैं | 


तेरी इस दुनिया में ,ऊँचाइयों के संग गहराइयाँ भी हैं ,

तेरी इस दुनिया में ,पिंजरों की कैद के संग उड़ानें भी हैं | 


Saturday, January 1, 2022

BANDHU MERE ( JIVAN )

 

 

                                बंधु  मेरे

 

समय दिया ऊपर वाले ने ,बीत चला है काफी बंधु ,

बाकि समय बचा जो है ,खर्च करो खुश हो कर बंधु | 

 

जितना जीवन है आगे ,मुस्कान बिखेरो उसमें बंधु ,

दोस्त बना लो ,मित्र बना लो ,सखि ,सहेली हैं सब बंधु | 


प्यार ,मोहब्बत जीने की ,राह को आसां करते हैं ,

उन्हीं राहों पे चल कर के ,अपना प्यार बढ़ाओ बंधु | 


फूल मोहब्बत के खिल जाएँ ,इस पूरी दुनिया में ,

ऐसे ही फूल मोहब्बत के ,तुम भी तो खिलाओ बंधु | 


कल जब ये सब फूल खिलेंगे ,सारी दुनिया महकेगी ,

उस सारी खुश्बु में ही ,तुम लथपथ हो जाओ बंधु | 


याद करे ये दुनिया तुमको ,ऐसी खुश्बु फैलाओ तुम ,

अपने साथ -साथ दूसरों का भी ,जीवन सुखी बनाओ बंधु | 


कर जाओ ऐसा काम सखे ,ठोकें सभी सलाम सखे ,

तुम गर्व से सिर ऊँचा कर जाओ ,मुस्कानें खूब दे जाओ सखे | 


ये जिंदगी की शाम है ,इसे हसीन कर लो बंधु ,

तपती दुपहरी तो बीत गई है ,अब तो बयार की शाम है बंधु | 


पूरा जीवन संघर्ष किया है ,अब हल्के - फुल्के काम करो ,

जो कुछ जीवन में ना कर पाए ,उन शौक को पूरा करो बंधु | 


देखो फिर दिल भी खिल जाएगा ,मुस्कान भी अपनी खिल जाएगी ,

उस खिलन से जीवन भी ,महक जाएगा अपना बंधु | 


जीवन की इन मुस्कानों में ही ,जीवन का सत्य छिपा है बंधु ,

जीवन के संघर्षों में ही तो ,कर्म का फल भी छिपा है बंधु |