गोलियों का स्वाद
बचपन के वो सुंदर दिन ,
वो सब अपने खेल खिलौने ,
मुस्का के खिलौनों से बातें करना ,
अपने ही मन से उनके जवाब सुनना |
खेल -खेल के ,कूद -कूद के ,
सबको खुश करना ,
बचपन में मिलने वाली ,
वो खट्टी -मीठी गोलियाँ ,
क्या स्वाद ? क्या मज़ा उनका ?
रंग -बिरंगी खट्टी -मीठी गोलियाँ |
आज भी याद आता है वो स्वाद ,
मुँह में वही रस घुल जाता है जैसे ,
होंठों पे मुस्कान तिर आती है ,
काश आज भी वो गोलियाँ मिल जातीं |
क्या आपने भी खाईं हैं वो गोलियाँ ?
नहीं खाईं ! तो अब कैसे खाओगे?
यदि कहीं मिल जाएँ ,तो हमें भी बताना ,
हमने तो बहुत ढूँढीं ,मगर मिली नहीं ,
बोलो बताओगे ना ?
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