Monday, January 24, 2022

GOLIYON KA SWAAD ( SMALL POEM )

 

                   गोलियों का स्वाद

 

बचपन के वो सुंदर दिन ,

वो सब अपने खेल खिलौने ,

मुस्का के खिलौनों से बातें करना ,

अपने ही मन से उनके जवाब सुनना | 

 

खेल -खेल के ,कूद -कूद के ,

 सबको खुश करना ,

बचपन में मिलने वाली ,

वो खट्टी -मीठी गोलियाँ ,

क्या स्वाद ? क्या मज़ा उनका ? 

रंग -बिरंगी खट्टी -मीठी गोलियाँ | 


आज भी याद आता है वो स्वाद ,

मुँह में वही रस घुल जाता है जैसे ,

होंठों पे मुस्कान तिर आती है ,

 काश आज भी वो गोलियाँ मिल जातीं | 


क्या आपने भी खाईं हैं वो गोलियाँ ?

नहीं खाईं ! तो अब कैसे खाओगे?

यदि कहीं मिल जाएँ ,तो हमें भी बताना ,

हमने तो बहुत ढूँढीं ,मगर मिली नहीं ,

बोलो बताओगे ना ? 

 

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