बालिका दिवस
एक दिन क्या नन्हीं परी का ?
एक दिन क्या नन्हीं कली का ?
पूरा बरस भी उसके लिए कम है |
उसकी तो किलकारी गुंजन ,
उसकी खिलखिलाहट भी गुंजन ,
कदम नाचते से हैं चलते ,
घर में गूँज जाती है छन -छन |
मुस्कानों से फूल खिलाती ,
बोलों से कोयल सी कूकती ,
आओ गर तुम मेरे पास ,
तुम्हें दिखाऊँ अपनी मुन -मुन |
रंगों में वो सतरंगी सी ,
मानो वो है इंद्रधनुषी सी ,
दुनिया को रंगों से रंग दे ,
ऐसी है वो मेरी जिंदगी |
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