पुराना मकान
समय पुराना था बीता ,जो पुराने मकान में ,
कितनी सारी यादें हैं ? कितनी प्यारी यादें हैं ?
किलकारियाँ आज भी गूँज रही हैं ,
खिलखिलाहटें आज भी गूँज रही हैं ,
नन्हें कदमों की चाप की आज भी पहचान है ,
कद बढ़ने की आज भी पहचान है |
समय बदल जाता है ,
स्कूल छूट जाते हैं ,कॉलेज आ जाता है ,
पढ़ाई के साथ -साथ ,दोस्तों की गपशप ,
मस्ती भरे दिन थे ,आज भी सब कुछ याद है |
हर दिन का कॉलेज ,क्लास और पढ़ाई ,
ऐसे ही समय बीतता रहा ,
पुराना मकान तो विरह में जीता रहा ,
अकेला , उदास ,
कैसे बताए किसी को अपनी व्यथा ?
कैसे सुनाए किसी को अपनी व्यथा ?
चलो आज मिलकर उसे सजाते हैं ,
पुराने मकान में गुनगुनाते हैं ,
शायद वो खिल उठे ,सज उठे ,
दीपों की रोशनी से जगमगाते हैं ,
दीपों की नाचती रोशनी ,
उस मकान को जगमग कर देगी |
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