Thursday, January 13, 2022

PURANA MAKAAN ( JIVAN )

 

           पुराना  मकान  

 

समय पुराना था बीता ,जो पुराने मकान में ,

कितनी सारी यादें हैं ? कितनी प्यारी यादें हैं ? 

 

किलकारियाँ आज भी गूँज रही हैं ,

खिलखिलाहटें आज भी गूँज रही हैं ,

नन्हें कदमों की चाप की आज भी पहचान है ,

कद बढ़ने की आज भी पहचान है | 

 

समय बदल जाता है ,

स्कूल छूट जाते हैं ,कॉलेज आ जाता है ,

पढ़ाई के साथ -साथ ,दोस्तों की गपशप ,

मस्ती भरे दिन थे ,आज भी सब कुछ याद है | 

 

हर दिन का कॉलेज ,क्लास और पढ़ाई ,

ऐसे ही समय बीतता रहा ,

पुराना मकान तो विरह में जीता रहा ,

अकेला , उदास ,

कैसे बताए किसी को अपनी व्यथा ? 

कैसे सुनाए किसी को अपनी व्यथा ? 


चलो आज मिलकर उसे सजाते हैं ,

पुराने मकान में गुनगुनाते हैं ,

शायद वो खिल उठे ,सज उठे ,

दीपों की रोशनी से जगमगाते हैं ,

दीपों की नाचती रोशनी ,

उस मकान को जगमग कर देगी | 


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