नाच हमारा
समय लगेगा कितना बंधु ?बहने में इस धारा को ,
कब बरसेंगे बादल रिमझिम ?देंगे ठंडी फुहारों को |
कब चमकेगी चमक दामिनी ?भर देगी उजालों को ,
कब आएगी बयार की ठंडक ?तपती सी इन राहों को |
हर पल बीतेगा जीवन में ,धीरे -धीरे हर कल जाता ,
चलते रहते घड़ी के काँटे,हर पल मुस्कानों में ढल जाता |
तू भी राही चलते रहना ,रुकना नहीं एक पल भी तू ,
तू जो रुका तो दुनिया रुकेगी,फूलों की मुस्कान रुकेगी |
तूने बिताए अनगिन पल ,पलों से बीते अनगिन बरस ,
आगे भी हैं अनगिन पल,उनसे भी बनेंगे अनगिन बरस |
जाग के सब कुछ देखना है,जीवन की इस बगिया को ,
दो पल के लिए भी ,वक्त ना यूँ ही बिताना है |
जीवन बगिया खिल जाएगी,रंग खिलेगा फूलों का ,
खुश्बु महकाएगी अँगना,द्वार खुलेगा खुशियों का |
सोचो कल जब यह सब होगा,खुशियों में नाचेंगे हम ,
जीवन के इस रूप में ढल के,खुशियों में नाचेंगे हम |
No comments:
Post a Comment