अँधेरी सी
चमकते तारों की बारात आई ,
तो चंदा की चाँदनी भी गहराई ,
हर ओर धवल चाँदनी फैली तो ,
उजालों की मानो बरसात आई |
मगर तभी बदरा की ,
लहरों ने घेरा आकाश को ,
छिपे सब सितारे ,छिप गया चंदा ,
चाँदनी ने भी अपना आँचल समेटा ,
उजाले छिप गए सब ,अँधेरों के पीछे ,
दोस्तों अब तो अँधेरी सी रात आई |
सभी जीव छिप गए अपने नीड़ में ,
सभी प्राणी छिप गए अपनी ही छाँव में ,
सभी ओर अँधेरी सी छाँव आई |
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